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सोर के बम-

सोर के बम- ★ सूर्यवंशीय क्षत्रिय  जो नेपाल से आगत थे। ★ सोर के बम राजा डोटी के राजाओं के परिवार की कनिष्क शाखा के सदस्य माने जाते हैं। (सीरा के रैका भी) ★ वर्तमान महाविद्यालय एवं राजकीय इंटर कॉलेज परिसर को घुड़साल कहा जाता था, जो सम्भवतः बम शासकों का अस्तबल था। 【इस स्थान को घुड़साल नाम से जाना जाता था】 ★ पपदेव गाँव के समीप उच्चकोट का टीला तत्कालीन किसी किले का अवशेष प्रतीत होता है। (आज भी जन्म  पत्री इत्यादि में क्षेत्र का जिक्र "उच्चकोट समीपे " के रूप में होता है। उच्चाकोट से संलग्न पर्वत श्रृंखला का अंतिम शिखर उदयपुर कहलाता है जहां कोट के अवशेष अभी तक मौजूद है। ★  विजय बम तथा ज्ञानचन्द का सेलौनी ताम्रपत्र- 1420 ई0 का। इससे ज्ञात होता है कि 1420 तक सोर का शासक विजयबम था किन्तु इसके पश्चात चन्दो के अधीन आया। किन्तु सत्ता संघर्ष यथावत रहा। ★ सौर के वास्तविक निर्माता बम शासकों को ही माना जाता है। (सौर नाम का प्रचलन भी उन्हीं की देन है)  नामोत्पत्ति सम्बन्धी विवरण इतिहास वाले खण्ड में देखें। ★ प्रथम बम राजा कराकील बम था। ★ अंतिम शासक-हरिबम ★ उदय...
क्रेन्क रिज- नारायण तिवाड़ी देवाल से दीनापानी तक का (कसार देवी मन्दिर वाला) क्षेत्र जहाँ मशहूर अमेरिकी मनोवैज्ञानिक तिमोथी फ्रैंसिस लेरी निवासित रहे, अचानक वो इन पहाड़ों पर दौड़ते हुए दिखाई देते थे। क्रेन्की शब्द का अर्थ होता है सनकी अतः उनकी सनक के कारण ही इस क्षेत्र को क्रेन्क रिज कहा जाता है। इसके अतिरिक्त इसे हिप्पी हिल नाम से भी जाना जाता है. हिप्पी हिल - इस नाम का सम्बन्ध 1960 के दशक में हुए हिप्पी आंदोलन से है, उक्त कसार देवी क्षेत्र में विदेशी लोगों का अधिवास बहुत बढ़ गया। 1960-70 के दशक में अमेरिका से शुरू हुए इस हिप्पी आंदोलन का का प्रभाव उत्तराखंड में मात्र इसी क्षेत्र में देखने को मिला।        【 हिप्पी आंदोलन 】◆ हिप्पी शब्द हिप्टर से बना है जिसका अर्थ होता है- परम्पराओं का विरोध करने वाले लोग. ये सांस्कृतिक विरोधी और मनोविकृति धुनों को सुनने वाले लोगों का समूह था जिन्होंने यौन क्रांति को अंगीकार किया. उक्त विचार के लोगों के बसने से क्षेत्र का नाम हिप्पी हिल पड़ा

Oneliner

1. बापू राज पत्रिका का प्रकाशन- गोपाल आश्रम, टिहरी से मीरा बहन द्वारा। (आश्रम गेंवली टिहरी में है) 2. टम्टा सुधार सभा- 1905 3. नित्यानन्द हिमालय शोध संस्थान- दून विश्वविद्यालय में 4. रक...

1822 की क्रांति

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🔤ℹ️ 1857 से पहले 1822 में   सर्वप्रथम हरिद्वार जिले के कुंजाबहादुरपुर गांव के गुर्जर क्रांति का बिगुल    बजा चुके थे। 🔤ℹ️ ये गांव हामड़े गोत्र के गुर्जरो का गांव है।  🔤ℹ️ इस गांव मे सर्वप्रथम गुर्जरो द्वारा अंग्रेजो के विरुद्ध संघर्ष किया इस गांव के कुँए मे अंग्रेजो ने कांच के टुकड़े पीसकर डाल दिए जिससे काफी गुर्जरो की पानी पीने की वजह से मौत हो गई केवल वही बच पाये जो या तो गांव से बाहर थे या माँ के पेट मे थे।  🔤ℹ️ इस वजह से गांव के बासियो को पीने तक का पानी नसीब नही हुआ।  🔤ℹ️ ये वही वीर गुर्जरो का गांव है जहा बच्चे बच्चे की रगो मे दौड़ रहा भारत माँ का खून है जिन्होंने समय समय पर अपने देश के लिए अपना सीना आगे कर दिया गोली खाने के लिए आज गांव से बहुत से नौजवान भारतीय सेना मे नौकरी कर रहे है।  🔤ℹ️ इस गांव मे सेंकडो लोगो को अंग्रेजो ने फ़ांसी पर लटका दिया था। 🔤ℹ️ सर्वप्रथम अंग्रेजो द्वारा फांसी कुंजा बहादुरपुर के हामड़े गोत्र के वीर गुर्जरो को दी गई थी। 🔤ℹ️ इस गांव के वीरो की वीरबानिया (शादीशुदा औरतें) देश के लिए...

महाराजा कीर्तिशाह

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पंचप्रयाग+ केशवप्रयाग

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डोरोथी सीट

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टिफिन टॉप पर 2,292 मीटर की ऊंचाई पर  अयारपट्टा पहाड़ी  पर स्थित,  डोरोथी सीट अंग्रेजी कलाकार डोरोथी केलेट  की स्मृति में योगदान करने के लिए बनाया गया था।  एक विमान दुर्घटना में उसकी मृत्यु हो गई थी, उसके पति ने अपनी प्यारी पत्नी के लिए निर्माण किया है।  उन्होंने एक स्मारक बनाने के लिए  एक पत्थर का बना पिकनिक पर्च   चुना है, जिसे एक ऐसे व्यक्ति के लिए सबसे अच्छा स्थान माना जाता है जो अपने दोस्तों और परिवार के साथ पिकनिक स्थल पर समय बिताना पसंद करता है।