संदेश

oneliner

1. पर्यावरण विकास योजना- 11 मार्च, 2006 को देहरादून से पीसीएस अधिकारी हरक सिंह रावत द्वारा शुरू. 2. मजदूर कृषक संघ उत्तराखंड- 19983-84, गणेश सिंह गरीब एवं कुंवर सिंह नेगी कर्मठ द्वारा। 3. फेस ऑफ क्राउड नामक कार्यक्रम दूरदर्शन द्वारा  1992 में शुरू किया गया जो आधारित था- बी मोहन नेगी के भोजपत्र पर कला पर। 4. शक्ति पत्र में सरस्वती एवं माधुरी नामक प्रभावशाली लेख थे- हर्षदेव ओली 5. उंटी बैंक लूट- 28 अप्रैल, 1933 को बच्चूलाल गढ़वाली तथा शम्भूनाथ आज़ाद द्वारा। 6. राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी की कर्मभूमि देहरादून थी किंतु उनका जन्म हुआ था- नारनौल, हरियाणा में। 7. रामबाग का मेला- दिनेशपुर के निकट उधमसिंह नगर में आयोजित होता है। इसका सम्बन्ध बुक्सा जनजाति से है। 8. गुडौल है- त्रिमल चन्द के सेनापति संग्राम कार्की की वीरगाथा जो काली कुमाऊँ(चंपावत) तथा नेपाल में प्रचलित है। 9. 30 मई, 1930 तिलाड़ी कांड के समय गोली चलाने के आदेश चक्रधर जुयाल ने, जुयाल को आंदोलनकारियों की गतिविधियों की सूचना देने वाला व्यक्ति- मोहन सिंह रावत 10. बगड़वाल नृत्य- ऐतिहासिक वीर भड़ जीतू बगड़वाल की स्मृति में...

उत्तराखंड के प्रथम पदम् श्री सुखदेव पांडेय

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मदन मोहन मालवीय के प्रिय शिष्य, मूल रूप से अल्मोड़ा जिले के निवासी, 1893 देहरादून में जन्में। गणित और भौतिकी ज्यामिति की 4400 शब्दों की शब्दावली लिखने और बीज गणित तथा त्रिकोणमिति की पुस्तकों का प्रणयन कर ख्याति पाने वाले सुखदेव पांडेय बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में गणित के प्रोफेसर थे। सुखदेव पांडेय 1956 में उत्तराखंड से पदम् श्री पाने वाले प्रथम व्यक्ति हैं। अल्मोड़ा से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर इलाहाबाद के म्योर कॉलेज से 1917 गणित में M. Sc. उत्तीर्ण कर 1918 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में गणित के सहायक प्रोफेसर बने। सेवाकाल में ये NCC के कमांडिंग ऑफिसर भी रहे। इन्होंने प्रसिद्ध गणितज्ञ डॉ. गणेश प्रसाद के निर्देशन में शोध कार्य भी किया। सुखदेव पांडेय अपनी प्रतिभा और कर्तव्यनिष्ठा के कारण मदन मोहन मालवीय के बहुत करीब थे। 1929 में बिरला एजुकेशन ट्रस्ट की स्थापना घनश्याम दास बिरला द्वारा शेखावटी, पिलानी, राजस्थान में की गई। इस ट्रस्ट के तहत एक इंटरमीडिएट स्कूल पिलानी में स्थापित करवाया गया था। GD बिरला द्वारा मदन मोहन मालवीय से अनुरोध किया कि वे BHU छोड़कर यहां प्रधानाचार्य बनें, अथवा अपने...

हिमालय पुत्र हेमवती नंदन बहुगुणा

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राजनेता,  उत्तर प्रदेश   के   मुख्यमंत्री   रह चुके है। हेमवती नंदन बहुगुणा 25 अप्रैल , 1919 को तत्कालीन पौड़ी जिले के चलणस्यूँ पट्टी के बुधाणी गांव में हेमवती नंदन का जन्म हुआ था. हिमालय पुत्र उपनाम से प्रसिद्ध . इनकी आत्मकथा है इण्यिनाइज हम जो इन्होंने स्वयं लिखी थी। माता - दीपा देवी पिता - रेवती नन्दन बहुगुणा पत्नी - धनेश्वरी देवी तथा कमला देवी सन्तानें - रीता बहुगुणा जोशी(पुत्री) विजय बहुगुणा व शेखर बहुगुणा (पुत्र) राजनीति             1936 से 1942 तक हेमवती नंदन छात्र आंदोलनों में शामिल रहे थे. वो वक्त ही ऐसा था कि जिससे जितना हो   सकता था , वो करता था. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में हेमवती के काम ने उन्हें लोकप्रियता दिला दी. अंग्रेजों ने हेमवती को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर 5 हजार का इनाम रखा था. आखिरकार 1 फरवरी 1943 को दिल्ली के जामा मस्जिद के पास हेमवती गिरफ्तार हुए थे. उसके बाद हेमवती यूपी की राजनीति में सक्रिय हो गए. ·         वर...

विधानसभा अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं प्रोटेम स्पीकर

राज्य विधानसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 178 में किया गया है। आज हम उत्तराखंड राज्य विधान सभाबके अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, प्रोटेम स्पीकर इत्यादि का अध्ययन करते है:- 1. विधान सभा अध्यक्ष/स्पीकर-  राज्य के प्रथम अध्यक्ष  -  प्रकाश पन्त (2000-02)            2nd अध्यक्ष -  यशपाल आर्य (2002-07)            3rd अध्यक्ष  -  हरबंस कपूर (2007-12)            4th अध्यक्ष  -  गोविंद सिंह कुंजवाल (2012-17)            5th अध्यक्ष  -  प्रेमचंद अग्रवाल (2017 से वर्तमान) 2. विधान सभा उपाध्यक्ष-  राज्य के प्रथम उपाध्यक्ष  -  विजया बर्थवाल (20 दिसम्बर, 2008 से 27 जून 2009 तक)         2nd उपाध्यक्ष -  अनुसूया प्रसाद मैखुरी (2012-17)         3rd उपाध्यक्ष  -  रघुनाथ सिंह चौहान (2017 से वर्तमान) 3. प्रोटेम स्पीकर-  अनुच्छेद 180(1) के तह...

पूर्व में उत्तराखण्ड में प्रचलित विवाह सम्बन्धी प्रथाएं-

1. अट्टा-सट्टा विवाह- थारू जनजाति में प्रचलित इस प्रथा को आंट-सांट या ग्वरसांट भी कहा जाता है। इसमें दो परिवार एक-दूसरे से बेटी की अदला-बदली कर अपने-अपने परिवार में बहुएं बनाते है।  2. सरौल या डोली विवाह- इसमें वर के बिना वरपक्ष के कुछ लाग कन्यामूल्य देकर कन्या को डोली में बिठाकर वर के घर ले आते थे। सरौल शब्द का अर्थ होता है स्थानान्तरण। सम्भवतः प्रवास पर गये व्यक्ति एवं अयोग्य वरों हेतु इस प्रकार की विवाह परम्परा प्रचलन में आई होगी। यदि किसी कारणवश यदि विवाह के बाद दुल्हे की मृत्यु हो जाती थी तब ब्याहता के पास पूरे अधिका  र होते थे कि वह दूसरा विवाह कर ले। इस प्रकार के विवाह को टका विवाह कहा जाता था।  3. दामतारो विवाह- कुछ गरीब परिवारों के लोग कन्या का दाम लेकर उसका विवाह करते थे। वर पक्ष कन्यापक्ष को उसका दाम देकर विवाह कर वधु ले जाता था, इसलिए इसे दामतारो कहा जाता था। इस प्रकार के विवाह का प्रचलन मुख्यतः दूसरा, तीसरा अथवा प्रौढ़ विवाह के रूप में था।  4. टेकुवा विवाह- किसी विधवा/तलाकशुदा स्त्री द्वारा पति के रूप में परपुरूष को अपने घर में रखा जात...

साहित्यकार गोविन्द बल्लभ पंत

साहित्यकार गोविंद बल्लभ पन्त का जन्म 1898 में हुआ। श्री पंत जी की प्रथम रचना छात्रावस्था में कहानी के रूप में वाराणसी से निकलने वाले पत्र आज में जुलाई , 1922 को प्रकाशित हुई। ज्ञातव्य हो कि 1920 में वे मेरठ में एक नाटक कम्पनी ‘ व्याकुल भारत ’ के सदस्य बन गये थे , वहीं से लेखन की ओर रूख किया असंख्य कहानियां सरस्वती , संगम , धर्मयुग , आज , हिन्दुस्तान जैसे तत्कालीन पत्र - पत्रिकाओं में समय - समय पर प्रकाशित होती रही। वर्ष 1924 में एकादशी तथा 1931 में संध्यादीप नामक शीर्षक से दो कहानी संग्रह भी प्रकाशित हुए। तीस से अधिक निम्न उपन्यासों की उन्होनें रचना की थी इन्हें 1960 से पहले तथा बाद के दो भागों में विभक्त कर प्रस्तुत किया जा रहा हैः - 1960 से पूर्व के उपन्यास - प्रतिमा , मदारी , जूनिया , तारिका , अनुरागिनी , एक सूत्र , अमिताभ , नूरजहा , चक्रकान्त , मुक्ति के बन्धन , प्रगति की राह , यामिनी , नौजवान , जलसमाधि , फारगेट मी नाट , पर्णा , मैत्रेण , तारों के सपने , कागज...