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उत्तरकाशी जनपद एक अध्ययन भाग-01

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जनपद उत्तरकाशी           परशुराम की तपस्थली। प्राचीन नाम बाड़ाहाट या सौम्यकाशी था।  इस क्षेत्र में प्राचीन अन्नपूर्णा का मंदिर है। अन्नपूर्णा का पर्याय ही काशी कहा जाता है।  काशी रहस्य नामक लघु ग्रन्थ में महर्षि वेदव्यास ने अन्नपूर्णा शब्द का प्रयोग बार-बार किया है।  काशी की भांति वरूणा एवं असी नामक नदियों के मध्य स्थित है। सम्भवतः इसलिए भी इसे उत्तर का काशी अथवा उत्तरकाशी नाम से जाना गया।  पूर्व में झाला गांव (गंगोत्री मार्ग पर) के निकट ‘‘ढैणी का डांडा"  पहाड़ टूट जाने से गंगा नदी अवरूद्ध हो गई, कुछ समय बाद बांध टूटने से पूर्व की ओर से उत्तर की ओर बहने लगी अतः उत्तरवाहिनी हो जाने के कारण भी उत्तरकाशी नामकरण माना जाता है। मुख्यालय      - उत्तरकाशी पड़ोसी जिले/देश/राज्य                           पूर्व में           -      चमोली पश्चिम में -      देहरादून      ...

प्राचीन उत्तराखण्ड परीक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण 10 प्रश्न

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1. मोरध्वज का उत्खनन 1887 में ए.एम. मरखम द्वारा किया गया। 2. राय बहादुर दयाराम साहनी द्वारा उत्तराखण्ड के मंदिरों का अध्ययन 1919-20 में किया था। 3. अलकनन्दा घाटी में पाषाणयुगीन उपकरणों की खोज 1980 गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा की गई। 4. पुरोला, यमुना घाटी में उत्खनन एवं धूसर मृदभाण्ड इत्यादि की खोज 1979 गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा की गई। 5. द्वाराहाट, अल्मोड़ा में शैल चित्रांकन की खोज 1877 रिवेट-कार्नक द्वारा की गई। 6. मलारी शवाधानों की खोज 1956 डाॅ शिव प्रसाद डबराल द्वारा की गई। 7. देवढुंगा ग्राम में पर्वतीय पुरातत्व ईकाई ने इष्टका वास्तु की खोज 1982-83 में 1987-88 में यहां का उत्खनन गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा किया गया। 7. 1856 में देवीधुरा की समाधियाँ खोजने वाले हेनवुड को राज्य में पुरातत्व का जनक कहा जाता है।  8. यौधेय मुद्रायें 1936 जौनसार-बावर से खोजे गये। 9. गोविषाण से सिक्कों की खोज 1960 में के0पी0 नौटियाल ने किया। 10. अल्मोड़ा में सिक्कों की खोज दिसम्बर, 1975 में हुई। 

अल्मोड़ा जिले के प्रमुख व्यक्तियों की सूची पढ़ें और नोट करें।

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if you like than share it. लोकरत्न पंत (साहित्य)- जन्म- 1790 काशीपुर मूल रूप से पिथौरागढ़ के उपराड़ा गांव में हुआ। इन्होनें राम नाम , पंच-पंचाशिका , राममहिमा वर्णन , गंगाशतक , चित्र  पद्यावली रामाष्टक , कालिकाष्टक , नीतिशतक इत्यादि रचनायें लिखी है।   काशीपुर के महाराजा गुमानी सिंह के दरबार में कवि थे। अतः इन्हें लोकरत्न गुमानी नाम मिला। इन्हें खड़ी बोली का पहला कवि कहा जाता है। कुमाऊंनी एवं नेपाली भाषा के प्रथम कवि भी माना जाता है। शिवदत्त सती (साहित्य) -   जन्म 1848 फल्दाकोट , अल्मोड़ा में हुआ। ये मित्रविनोद , भाबर के गीत , घस्यारी , बुद्धि प्रवेश इत्यादि रचनाओं के लिए जाने जाते हैं। गौरी दत्त पाण्डे ‘ गौर्दा ‘ ( साहित्य) - 1872 पटिया गांव , अल्मोड़ा में जन्में   1939 में निधन . चाय लीला एवं हमरौ कुमाऊं प्रसिद्ध रचनाऐं हैं। कुमाऊं केसरी बद्रीदत्त पाण्डे (स्वतंत्रता सेनानी एवं इतिहासकार) - जन्म- 15 फरवरी , 1882 कनखल में मृत्यु- 13 जनवरी , 1965. 1913 में अल्मोड़ा अखबार का सम्पादन किया। 1918 में शक्ति समाचार पत्र निकाला। कुली आन्दोलन में सक्रिय भूमिका न...

काशीपुर नगर परीक्षोपयोगी तथ्य

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1639 में  काशीनाथ अधिकारी  द्वारा  स्थापित नगर। इसे उत्तराखण्ड में उद्योगों का काशी कहा जाता है। काशीनाथ अधिकारी के पुत्र शिवनाथ ने शिवनाथपुर नगर बसाया।   1745 में शिवदेव जोशी ने काशीपुर किला बनवाया। अंग्रेज इसे गोविन्द नगर कहते थे (गोविन्द बल्लभ पंत के नाम पर) ।   1915 में उदयराज हाईस्कूल व जगतवन्ती हाईस्कूल की स्थापना हुई।   देश के कलस्तर के रूप में चुना गया पहला शहर। राज्य की सबसे पुरानी सूती मिल स्थित है 1819 में स्थापित।   ढेला नदी अथवा स्वर्ण भद्रा नदी बहती है। 1777 में काशीपुर के अधिकारी नंद राम ने स्वयं को स्वतंत्र घोषित कर दिया था , जिसे 1801 में शिवलाल ने अंग्रेजों के सुपूर्द कर दिया। इन्हीं काशीपुर के राजकवि गुमानी पंत थे। 10 जुलाई , 1837 को काशीपुर मुरादाबाद जिले में शामिल हुआ। 1944 में बाजपुर , काशीपुर , एवं जसपुर नगरों को काशीपुर परगनें के रूप में पुनर्गठित कर संयुक्त प्रान्त आगरा एवं अवध के तराई का मुख्यालय बनाया गया। 1891 में नैनीताल तहसील को कुमाऊं जनपद में स्थानान्तरित कर तराई को नैनीताल में मिला दिया गया। काशीपुर...