संदेश

गढ़वाल क्षेत्र में धान का कटोरा कहा जाता है रामा सिराईं

चित्र
        रवाईं क्षेत्र उत्तरकाशी में स्थित   रामा सिराईं को गढ़वाल का धान का कटोरा   कहा जा सकता है। नामकरण का कारण है इस क्षेत्र में उपजने वाला लाल चावल जिसके लिए ये जाना जाता है। ज्ञातव्य हो कि   कुमाउं क्षेत्र में धान का कटोरा बोरारौ में स्थित कोसी नदी घाटी   को कहा जाता है। यहां नदी की बात करें तो   कमल नदी घाटी को धान का कटोरा   कहा जाना उचित प्रतीत होता है। यहां उगने वाला लाल चावल   च्वाटूधान तथा च्वार धान   कहलाता है। यह धान यहां हिमाचल की धान घाटी च्वारघाटी से आया था।           बात कमल नदी की करें तो उत्तराखण्ड के सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के पुरोला विकासखण्ड में बहने वाली कमल नदी का अपना अलग ही महत्त्व है। स्थानीय लोग इस नदी को ‘ कमोल्ड ’ नाम से जानते हैं। कमल नदी यहाँ के लोगों की जीवनरेखा है।           यह नदी कोई ग्लेशियर से निकलने वाली नहीं है , यह तो कमलेश्वर स्थित जंगल के बीच एक प्राकृतिक जलस्रोत से निकलती है। जो सदाबहार जलधारा है। यह जलधारा कमल नदी के र...

10 महत्पवपूर्ण सवाल मिशन UKSSSC सीरीज-16

1- राज्य में जन्तु रक्षक प्रशिक्षण केन्द्र कहां स्थित है?     सही उत्तर है - कालागढ़ 2- सबसे कम कार्यकाल वाले राज्यपाल कौन थे?   सही उत्तर है- बी0एल0 जोशी 3- अन्तर्राष्ट्रीय सीमा बनाने वाले राज्य के जिलों की संख्या कितनी है?  सही उत्तर है-05 4- उत्तराखण्ड में यमुना की सबसे बड़ी सहायक नदी कौन सी है?   सही उत्तर है- टोंस 5- कोटा खर्रा आन्दोलन का सम्बन्ध किससे था?  सही उत्तर है-  तराई में भूमिदान से  6- ऋषिकेश से शुरू किया गया गंगा जागरण अभियान कब प्रारम्भ हुआ था?  सही उत्तर है- उमा भारती द्वारा 28 जून, 2014 7- विषकन्या नामक रचना किसकी है?  सही उत्तर है- गौरा देवी ‘शिवानी’ 8- उत्तराखण्ड राज्य में पदोन्नति में आरक्षण कबसे समाप्त किया गया?  सही उत्तर है- 05 सितम्बर, 2012 9- राज्य का सर्वाधिक उंचाई पर स्थित दर्रा ?  सही उत्तर है- थांगला दर्रा 10- ढेला ईको टूरिज्म जोन कहां स्थित है?  सही उत्तर है- कार्बेट नेशनल पार्क रामनगर

उत्तराखंड की तीजनबाई कबूतरी देवी

चित्र
      “आज पनि झौं-झौ, भोल पनि झौं-झौं, पोरखिन त न्है जूंला” और “पहाड़ों को ठण्डो पाणि, कि भलि मीठी बाणी”।   इस आवाज की मालकिन हैं, "उत्तराखण्ड की तीजन बाई" कही जाने वाली श्रीमती कबूतरी देवी जी। कबूतरी देवी मूल रुप से सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ के मूनाकोट ब्लाक के क्वीतड़ गांव की निवासी थी।  जहां तक पहुंचने के लिये आज भी अड़किनी से 6 कि०मी० पैदल चलना पड़ता है। इनका जन्म 1945 काली-कुमाऊं (चम्पावत जिले) के लेटी गांव में एक मिरासी (लोक गायक) परिवार् में हुआ था। संगीत की प्रारम्भिक शिक्षा इन्होंने अपने गांव के देब राम और  देवकी देवी और अपने पिता श्री रामकाली जी से ली, जो उस समय के एक प्रख्यात  लोक गायक थे। लोक गायन की प्रारम्भिक शिक्षा इन्होंने अपने पिता से ही ली। पहाड़ी गीतों में प्रयुक्त होने वाले रागों का निरन्तर अभ्यास करने के कारण इनकी शैली अन्य गायिकाओं से अलग है। विवाह के बाद इनके पति श्री दीवानी राम जी ने इनकी प्रतिभा को पहचाना और इन्हें आकाशवाणी और स्थानीय मेलों में गाने के लिये प्रेरित किया। उस समय तक कोई भी महिला संस्कृतिकर्मी आकाशव...

पिरान कलियर शरीफ

चित्र
          पिरान कलियर दरगाह , हरिद्वार से करीब 20 किलोमीटर दूर गंगा नदी के तट पर रुड़की शहर में स्थित है। यह दरगाह पूरे देश को मानवता और एकता का संदेश देती है। पीरान कलियर को कलियर शरीफ के नाम से भी जाना जाता है। यह सूफी संत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर की कब्र है। यहां हर वर्ष धार्मिक कार्यक्रम “उर्स” का आयोजन किया जाता है। मुस्लिम समुदाय के साथ साथ हिंदु धर्म के लोग भी यहाँ चादर चढ़ाते हैं तथा मन्नत मांगते है। कहते हैं ”मुद्दई लाख बुरा चाहे तो क्या होता है वही होता है जो मंजूर-ए-ख़ुदा होता है” जी हां वैसा ही इबादत गुजार बन्दों के पर्दा कर जाने के बाद उनकी दरगाह पर लोग अपनी परेशानियों से निजात की आशा लेकर पहुँचते हैं और दुआ प्रार्थना करते हैं और उनकी उम्मीदों की झोली भरती भी है ! इसी तरह कलियर शरीफ में लोगों की मुरादें पूरी होने के साथ ही यह ऐसी दरगाह जहाँ होती है जिन्न और भूत प्रेतों को सरेआम फाँसी और एक फकीर जिसके इशारे पर नाचते हैं दुनिया भर के भूत प्रेत और जिन्नात आज तक पता नही कितने लोगो को मिला है आसमानी बलाओं से छुटकारा जिनकी दरगाह में नाचते हैं भूत प...

10 महत्पवपूर्ण सवाल मिशन UKSSSC सीरीज-15

 1-  उत्तराखण्ड प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबन्धन एवं नियोजन (CAMPA)  की स्थापना कब हुई?      सही उत्तर है- 2010-11  2- हजूर तहसील का गठन कब और किसने किया था? सही उत्तर है-  1816 में ट्रेल द्वारा गठित इससे पूर्व नौ तहसीलें थी जिन्हें मिलाकर हजूर तहसील बनाया 3- उत्तराखण्ड में सर्वाधिक नहरें किस जनपद में है? सही उत्तर है-  सर्वाधिक 303 नहरें पौड़ी में, जबकि सबसे अधिक नहरों का विस्तार 1010 किमी उधमसिंह नगर में सर्वाधिक है। 4- उत्तराखण्ड में डाॅ0 एम0 विश्वेश्वरैया टनल किस नेशनल हाईवे में स्थित है? सही उत्तर है- NH-307 सही है। पुराना नाम 72 A था। 5- दशकुमार चरित का कुमाउंनी अनुवाद किसने किया? सही उत्तर है- ज्वाला दत्त जोशी 6- अमीर खुसरों के बाद खड़ी बोली में काम करने वाले पहले कवि कौन माने जाते हैं? सही उत्तर है- गुमानी पंत 7- खेण तथा पाला  कुप्रथाओं को बन्द करने का श्रेय जाता है? सही उत्तर है- महारानी गुलेरिया की सलाह पर प्रतापशाह ने  8- सुखरम गुफा किस जनपद में है? सही उत्तर है- देवीकुण्ड के निकट, बागेश्वर 9- मुलुक कुमाउं के रचनाकार कौ...

उत्तराखण्ड प्रमुख नृत्य

चित्र
उत्तराखण्ड प्रमुख नृत्य 1. थड़िया नृत्य-: गढ़वाल में विवाहित महिलाओं द्वारा प्रथम बार मायके आने पर किया जाने वाला नृत्य 2. सरौं नृत्य-: यह गढ़वाल क्षेत्र का युद्ध गीत नृत्य है इसे भोटिया जनजाति में "पौणा नृत्य" कहा जाता है। 3. हारुल नृत्य-: पांडव जीवन शैली पर आधारित जौनसारियों का नृत्य 4. मंडाण नृत्य-: टिहरी और उत्तरकाशी जिलों में शुभ अवसरों पर किया जाने वाला नृत्य इसे "केदार नृत्य" कहा जाता है। 5. चौफला नृत्य-: गढ़वाल क्षेत्र में किया जाने वाला नृत्य इसे बिहू और गरबा की सूची में रखा जाता है। 6. झुमैलो-: नारी वेदना का प्रतीक नृत्य 7. झोड़ा-चाचरी-:  गढ़वाल क्षेत्र में चांचरी व कुमाऊँ में झोड़ा कहते है इस नृत्य में 10-200 तक नर्तक भाग लेते है। 8.  सिपैया या रणभूत-: देश प्रेम से युक्त नृत्य 9-: छपेली-: प्रेम ओ रूप की भावना युक्त संवाद नृत्य 10-: बैर नृत्य-: गीत गायन के रूप में प्रतियोगिता के तौर पर किया जाने वाला नृत्य  11. छोलिया या छलिया-: कुमाऊँ क्षेत्र में किया जाने वाला विश्व प्रसिद्ध नृत्य शुभ अवसरों पर विजय का प्रतीक नृत्य  12.  भगनोल-: मेलों इत्यादि ...

कुमाऊँ में गोरखाली सुब्बा

चित्र
       राज्यपाल अथवा प्रांतपति को सुब्बा कहा जाता था। इसकी नियुक्ति नेपाल नरेश प्रधानमंत्री की सलाह पर करता था। कुमाऊँ के प्रमुख सुब्बा निम्नवत् थे- 1. जोगामल्ल ( 1791-93) - यह कुमाऊँ का पहला सुब्बा नियुक्त हुआ। इसने बीसी व्यवस्था को शुरू कर प्रत्येक आबाद जमीन को प्रति बीसी अथवा 20 नाली जमीन पर 1 रु 0 टैक्स निर्धारित किया गया. 2. काजी नरशाही ( 1793-94) - हिमाचल मूल के नगरकोटी राजपूत स्थानीय जनता को गोरखों के विरूद्ध भड़काते थे। जिससे क्रोधित होकर नरशाही ने ढाकचा सैनिकों का गठन कर नगरकोटियों का नरसंहार किया। यह नृषंस हत्याकाण्ड कुमाऊँ के इतिहास में नरशाही का पाला या नरशाही का मंगल तथा मंगल की रात कहलाती है। 3. अजब सिंह खवास ( 1794-95)- इसके साथ नायब सुब्बा श्रेष्ठ थापा तथा फौजदार जसवंत भण्डारी थे। 4. अमर सिंह थापा ( 1795-96)- इसके साथ गोविन्द उपाध्याय को कारदार तथा भक्ति थापा को फौजदार बनाया गया था। 5. प्रबल राणा ( 1796-97)- इसके साथ जैकृष्ण थापा को नायब सुब्बा बनाया गया था। 6. बमशाह ( 1797-99)- इसके साथ इसी के भाई रुद्रवीर शाह को नायब सुब्बा बनाया गया था...