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◆. ब्रिटिश गढ़वाल की राजधानी:- श्रीनगर ◆. 1939 में अल्मोड़ा, गढ़वाल से अलग किया गया और 1840 में श्रीनगर से राजधानी पौड़ी स्थानांतरित कर दी गई। ◆. अंग्रेजी शासन में अलकनन्दा से पूर्व के क्षेत्र को कुमाऊँ मण्डल कहा गया। 1939 में ब्रिटिश गढ़वाल, कुमाऊँ के परगने के रूप में स्थापित किया गया तथा बाद में जिला बना दिया गया। ◆. 1854 में नैनीताल को कुमाऊँ मण्डल का मुख्यालय बनाया गया, 1954 से 1890 तक कुमाऊँ मण्डल में दो जनपद थे। 1890 में अल्मोड़ा जनपद को अल्मोड़ा एवं नैनीताल दो जिलों में बांटा गया। ◆. 24 फरवरी, 1960 तक गढ़वाल दो जनपदों में बंटा था पौड़ी और टिहरी जिनकी सीमा अलकनन्दा थी। ◆. अंगाली देवी मठ- टिहरी ◆. रूपिन-सूपिन का महाभारत में नाम:-  जला-उपजला

टॉप-5 प्रश्न

1. कुंडाखार प्रथा:- उत्तराखण्ड के शौका तथा हुणियों के मध्य व्यापारिक अनुबंध। 2. कव्वालेख:- बागेश्वर के दानपुर परगने में खाती गांव के ऊपर कौवों का पावनधाम माना जाता है। 3. भारतीय सैन्य अकादमी:- 10 दिसंबर, 1932 को ब्रिटिश फील्ड मार्शल सर फिलिप चेटबुडवर्ट द्वारा स्थापित। विधिवत रूप से उद्घाटन "10 दिसंबर, 1962" में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन द्वारा किया गया। 4. तिमुड़ा मेला:- बद्री विशाल के कपाट खुलने से पूर्व किसी शनिवार को आयोजित किया जाता है। 5. स्वतन्त्रता संग्राम में कुमाऊँ का योगदान पुस्तक:- इंद्र सिंह नयाल              (इंद्र सिंह नयाल ने 1932  में आयोजित कुमाऊँ युवक सम्मेलन की अध्यक्षता की थी।)