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श्री मौलाराम तोमर

चित्र
श्री मौलाराम तोमर गढ़वाली चित्र शैली के प्रमुख आचार्य , कुशल राजनीतिज्ञ ,   कवि ,   इतिहासकार मौलाराम का उत्तराखण्ड के इतिहास में अद्वितीय ,   अविश्वमरणीय योगदान है। इनको सर्वप्रथम प्रकाश में लाने का श्रेय बैरिस्टर मुकुन्दीलाल को जाता है। 1908 में जब मुकुन्दीलाल बनारस हिन्दु कॅालेज (यह भी जान लें कि 1916 में स्थापित बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय की नींव 1904 में पड़ गई थी।) के छात्र थे ,   वहां उनके गुरू डॅा 0 आनन्द के 0 कुमारस्वामी से मिलने के बाद उनके प्रोत्साहन से ही श्री मुकुन्दीलाल ने कला के क्षेत्र में सामग्री एकत्र करना प्रारम्भ किया। 1909 में इन्होनें कुछ चित्र डॅा 0 कुमारस्वामी को दिखाये जिनमें से छः चित्र उन्होनें खरीद लिया , जो वर्तमान में बोस्टन संग्रहालय में है। 1910 में श्री मुकुन्दीलाल ने प्रयाग प्रदर्शनी में मौलाराम के कुछ चित्र लगाये जिनकी तरफ सबका ध्यान आकर्षित हुआ। वर्ष 1910 में ही सर्वप्रथम मुकुन्दीलाल ने कलकत्ते से प्रकाशित होने वाली पत्रिका माडर्न रिव्यू के दो अंकों में मौलाराम पर लेख प्रकाशित करवाया।                 डॅा 0 आनन्द कुमारस्वामी ने अपनी