कोलेजियम व्यवस्था
NJAC से सुप्रीम कोर्ट को एतराज क्यों? संविधान के संशोधित अनुच्छेद 124ए (1) के ए और बी प्रावधानों में जजों की नियुक्ति की व्यवस्था करने वाले एनजेएसी में न्यायिक सदस्यों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एनजेएसी में कानून मंत्री को शामिल करना संविधान में दिए गए न्यायपालिका की स्वतंत्रता और शक्तियों के बंटवारे के सिद्धांत के खिलाफ माना। कोर्ट ने एनजेएसी में दो प्रबुद्ध नागरिकों को शामिला किया जाना भी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन माना है। सुप्रीम कोर्ट का ये है फैसला - सुप्रीम कोर्ट ने यह मामला बड़ी पीठ को भेजने और कोलेजियम व्यवस्था के पूर्व फैसलों पर पुनर्विचार की सरकार की मांग रद्द कर दी। - 99वें संविधान संशोधन कानून 2014 को अंसवैधानिक और शून्य घोषित किया। - राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग ( NJAC ) कानून-2014 को असंवैधानिक और शून्य घोषित किया। - सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर की कोलेजियम व्यव्सथा को बहाल कर दिया। - वर्तमान कोलेजियम व्यवस्था में सुधार की संभावनाओं पर 3 नवंबर को सुनवाई सवालों के घेरे में कोलेजियम व्यवस्थ