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कुमाऊँनी मुहावरे और लोकोक्तियाँ भाग-01

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अ   अभागि कौतिक गो,  कौतिकै नि है अर्थात जिसकी किस्मत साथ ना दे वह कही भी सुख प्राप्त नहीं कर पाता अघैईं बामणै कि भैंसेन खीर अर्थात जब किसी का पेट भरा हो तो उसे स्वादिष्ट व्यंजन में भी दोष नजर आते हैं अकल और उमर कैं कभैं भेट नि हुनि अर्थात हर व्यक्ति की बुद्धि का विकास उसकी आयु तथा अनुभव के अनुसार ही होता है तथा हर काम अपने नियत समय पर ही संपन्न होता है अघिन कुकेलि पछिन मिठी... अर्थात ऐसी बात जो कड़वी लगे, पर वास्तव में फायदेमंद हो अपजसी भाग पर म्यहोवक फूल अर्थात जिसकी किस्मत साथ ना दे वह हर हाल में परेशान रहता है अपणा जोगि  जोगता, पल्ले गौं का संत अर्थात अपने क्षेत्र/घर के लोगों की क़द्र ना करना अमुसि दिन गौ बल्द लै ठाड़ उठूँ अर्थात जब आपत्ति आती है तो हर व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता के साथ अपना बचाव करता है अनाव चोट कनाव पड़न अर्थात घबराहट या अनाड़ीपन में उल्टा सीधा काम करना, बुद्धि व विवेक से काम नहीं करना अन्यारै कि मार खबर नै सार अर्थात  किसी कार्य का सही प्रचार व प्रसार नहीं होगा तो कोई भी कैसे जानेगा असोज में करेले कार्तिक में दही, मरे नही