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मार्च्छा : समाज, संस्कृति और भाषा

चमोली जनपद के सबसे उत्तर में स्थित जोशीमठ के निकट विष्णुप्रयाग है जिसके पश्चिम की ओर से अलकनन्दा नदी और पूर्व की ओर से गौली नदी आकर संगम बनाती है। अलकनन्दा बद्रीनाथ धाम के उत्तर-पश्चिम में स्थित अलकापुरी बांक से निकलती है तथा धौली नदी का उद्‌गम नीति पास (गुठिंग ला) में मुचुकुन्द गुफा के निकट स्थित धौली पर्वत है। यह स्थान जोशीमठ से करीब 115 किमी की दूरी पर है। नीति पास (गुठिंग ला) पुराने भारत-तिब्बत व्यापरिक मार्ग पर स्थित है। 1961 तक नीति घाटी के लोग इसी मार्ग से तथा बड़ाहोती, डामज्यन पास से होकर व्यापार के लिए जाते थे। उन दिनों माणा घाटी तथा नीति घाटी के लोगों का मुख्य आजीविका का आधार तिब्बत व्यापार चा। माच्छा भाषा (रंग्फा काम्ची) नीति घाटी के तीन गांवों नीति, गमसाली व बाम्पा तथा माणा घाटी के सात गांवों में बोली जाती है। इसके अलावा जोशीमठ के निकट परसारी, मेरग आदि गांवों में भी बोली जाती है। इस भाषा को स्थानीय जन रंग्फा काम्ची के नाम से पुकारते हैं। सम्भवतः घाटी से बाहर के लोगों ने इस घाटी की बसासतों के आधार पर इसे मार्च्छा नाम दे दिया है। मेरा मानना है कि नीति घाटी के ऊपरी किनारे यानी...

मध्यकालीन गढ़वाल की संरक्षिका शासिकायें व उनकी राजनीतिक-कूटनीतिक गतिविधि

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सोलहवीं शताब्दी के आरम्भ में मध्य हिमालय क्षेत्र में अवस्थित लगभग 10,875 वर्ग कि.मी. पर्वतीय भू-प्रदेश की अनेक छोटी-बड़ी ठकुराइयों को विजित कर पंवारवंशीय राजा अजयपाल ने आरम्भ में चाँदपुर को अपना प्रशासनिक मुख्यालय बनाया। कालान्तर में कुछ समय के लिए देवलगढ़ को राजधानी के रूप में प्रयुक्त कया गया। तत्पश्चात् श्रीनगर (गढ़वाल) को राजधानी बनाया गया। गढ़ों की अधिकता के कारण यह पर्वतीय राज्य गढ़वाल कहलाया। सातवीं शताब्दी में इस पर्वतीय प्रदेश का भ्रमण करने वाले चीनी यात्री हवेन सांग ने हरिद्वार से ऊपर ब्रह्मपुर के उत्तर में स्त्री राज्यों का उल्लेख किया है। वह लिखता है कि यद्यपि इन राज्यों में राजा तो होते हैं, किन्तु वे केवल नाममात्र के ही राजा हैं, इन राजाओं में स्त्रियाँ ही प्रधान हैं।' वेन सांग के उक्त विवरण से प्रतीत होता है कि सातवीं शताब्दी में इस पर्वतीय अंचल में मातृ-मूलक अथवा मातृ-सत्तात्मक व्यवस्था थी, जिसके कारण इस क्षेत्र में स्त्रियों की प्रधानता थी और वे प्रशासनिक शक्तियों का उपभोग करती थीं। मध्यकाल तक आते-आते इस पर्वतीय अंचल में मातृ-सत्तात्मक व्यवस्था अप्रभावी...