टिहरी रियासत कालीन वनान्दोलन
कुंजणी वन आन्दोलन- 1904 में कीर्तिशाह के समय यह आन्दोलन अंग्रेज सरकार को सहायता देने के लिए बढ़ाये गये टैक्स के कारण हुआ। अमर सिंह ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। स्यूड़ व पाथौ में हजारों किसानों ने घेरा डाला था। टिहरी नरेश को बोलांदा बद्रीश कहा जाता है, इस आन्दोलन में इसका भी विरोध किया गया। स्वयं कीर्तिशाह ने आकर इसमें समझौता किया था। खास पट्टी वन आन्दोलन- 1906-07 में नये भूमि बन्दोबस्त के विरोध में यह स्वतः स्फूर्त आन्दोलन था, फिर भी इसका नेतृत्व बेलमती देवी, भगवान सिंह बिष्ट एवं भरोसाराम द्वारा किया गया। इसी आन्दोलन के परिणामस्वरूप गढ़नरेश कीर्तिशाह द्वारा किसानों हेतु बैंक आफ गढ़वाल का गठन किया गया। असहयोग वन आन्दोलन- 1919-22 मुख्यतः चमोली और पौड़ी में प्रसारित। 1915 में सौण्या सेर एवं बिसाऊ प्रथा के खिलाफ गोपाल सिंह राणा ने आन्दोलन शुरू किया था। यह आन्दोलन इसी का विस्तारित रूप था। श्री गोपाल सिंह राणा को आधुनिक किसान आन्दोलनों का जनक माना जाता है। इस आन्दोलन का विस्तार ककोड़ाखाल, रमोली, सकलाना एवं पट्टी दषज्यूला (चमोली) में लम्बे समय तक रहा। सही मायने में इसी आन्दोलन का परिणाम ...