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आधा गढ़वाल, आधा असवाल

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आज आपको गढ़वाल के प्रसिद्ध भड़ भानुदेव असवाल के बारे में बताते हैं जिन्होंने आज आपको गढ़वाल के प्रसिद्ध भड़ भानुदेव असवाल के बारे में बताते हैं जिन्होंने आधा गढ़वाल आधा असवाल की कहावत को जन्म दिया:- भानुदेव असवाल तथा अमर सिंह सजवाण की कथा पौड़ी के महाबगड़ क्षेत्र में भानुगढ़ क्षेत्र का जागीरदार सरदार था भानुदेव असवाल। गढ़वाल के इतिहास में विचित्र कर पद्धति के कारण चर्चाओं में रहे, इन्होंने राजव्यवस्था सुधारने हेतु बांजा घट, बांजी जमीन, बैली गाय, भैंस पर अनोखे कर लगाए। इसकी खबर जब राजा तक पहुंची तो राजा ने अपने राज्य में आज्ञा दी कि भानुदेव असवाल को पकड़ कर लाया जाए, पर किसी की भी हिम्मत भानुदेव को पकड़ने की नहीं हुई क्योंकि उसकी वीरता की हाम पूरे गढ़वाल में थी। अंततः अमर सिंह सजवाण ने डरते-डरते भानुदेव को बुला लाने की सहमति इस शर्त पर दी कि वो भानुदेव से युद्ध नहीं करेगा. प्रचलित दन्त कथा के अनुसार भानुदेव भात के रूप में एक क्विंटल दाल-भात अकेले खा जाता था, और तमासारी गागर से पानी पीता था। अमर सिंह सजवाण डरते-डरते भानुदेवगढ़ पहुंचा और अपने आने का कारण बताया, भानुदेव ने अति