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महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी

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नमती प्रथा

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इस प्रथा का सम्बंध टिहरी रियासत (सम्प्रति उत्तरकाशी जनपद के रवांई-जौनपूर) की एक पुरानी परम्परागत प्रथा के साथ है। अचिर पूर्व तक इसका प्रचलन था। इसके अनुसार प्राप्त:काल पांच बजे उठते समय एवं सायंकाल को दस बजे सोते समय गांव का बाजगी मंडाण चौक (गांव के मध्यस्थ पांडव चौक) में नमती बजाता था। इसी प्रकार सुबह दस बजे के लगभग वह सयाणा या लम्बदार के घर बड़ाई बजाता था। अब यह परंपरा केवल कतिपय क्षेत्रों में ही अवशिष्ट है।

उत्तराखंड के प्रमुख शहरों के प्राचीन नाम

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प्रश्नोत्तरी।

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1. कुली बेगार की जांच हेतु गठित समिति- विंढम समिति , 1918     (कुमाऊँ परिषद ने 24/25 दिसंबर, 1918 में दूसरे अधिवेशन, हल्द्वानी में , तारादत्त गैरोला की अध्यक्षता में इसकी मांग की थी।) 2. मोती लाल नेहरू का अल्मोड़ा आगमन- 1920 3. स्वदेशी प्रचार हेतु काशीपुर में खद्दर आश्रम- 1918 में स्थापित। 4. प्रेम विद्यालय- ताड़ीखेत अल्मोड़ा, में स्व0 भगीरथ पांडेय द्वारा स्थापित। 5. कुमाऊँ प्रदेश में ब्रिटिश राज्य का वास्तविक संस्थापक- ट्रेल 6. कुमाऊं कमिश्नरी अधीन थी-: 1816 से ही फर्रुखाबाद स्थापित बोर्ड ऑफ कमिश्नर्स के अधीन 7. कुमाऊं में बच्चों की बिक्री अवैध- जून, 1915 8. न वकील, न अपील, न दलील वाली शासन पद्धति- ट्रेल की 9. फांसी का गधेरा- नैनीताल 10. कालू माहरा को पत्र लिखकर क्रांति में सम्मिलित होने का निमंत्रण- अवध के नवाब वाजिदअली शाह द्वारा

बैरिस्टर जॉन सेंग

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चित्र-: बैरिस्टर सेंग साभार-:  नई दुनिया पोस्ट मसूरी की खूबसूरत वादी में कैमिल्स बैंक रोड स्थित कब्रिस्तान में चिरनिंद्रा में लीन  बैरिस्टर   जॉन लेंग  जिन्होंने झांसी की वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई के दत्तक पुत्र को तत्कालीन अंग्रेजी हुकूमत से मान्यता दिलाने का मुकदमा जॉन लेंग ने ही लड़ा था। जॉन का उत्तराखंड से गहरा नाता रहा और उन्होंने यहीं विवाह किया और जीवन बिताया।  मेरठ से शुरू किए गए अखबार "मफसिलाइट"  को वह अंतिम समय तक मसूरी से भी प्रकाशित करते रहे। 19 दिसंबर 1816 को सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) में जन्मे जॉन के पिता का नाम वाल्टर लेंग और माता का नाम एलिजाबेथ था। उनकी शिक्षा दीक्षा सिडनी कॉलेज में हुई। 1830 में सिडनी विद्रोह में ब्रिटिश शासकों के खिलाफ आवाज उठाने के कारण उन्हें देश निकाला दे दिया गया। वह इंग्लैड चले आए और 1837 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से बैरिस्टर की पढ़ाई की। फिर कुछ दिन ऑस्ट्रेलिया में बिताने के बाद वह भारत आ गए। इतिहासकार जय प्रकाश उत्तराखंडी बताते हैं कि 1841-1845 के बीच जॉन ने कई गरीब भारतीयों के मुकदमे लड़े।  1845 में मेरठ से मफसिलाइट अखबार का प्रकाशन किया, जि

प्रश्नोत्तरी

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1. ऑडिन काल दर्रा- रुद्रगौरा & भिलंगना घाटी उत्तरकाशी 2. पिनोरा ग्लेशियर- पिथौरागढ़ 3. कुमाऊं परिषद का चौथा अधिवेशन- काशीपुर 21-23 Dec. 1920, हरगोविंद पन्त की अध्यक्षता में। 4. नानक सागर बांध रिसाव- 19 सितम्बर, 1967 5. नैनीताल भूस्खलन- 8 सितम्बर, 1890 6. Central Himalaya नामक पुस्तक- Dr. M.S.S. रावत 7. होम स्टे योजना की शुरुआत- कुटी गांव, पिथौरागढ़ से 8. लोसर त्योहार- जाड़ भोटिया के द्वारा। 9. The Kumaun Painting नामक पुस्तक- यशोधर मठपाल 10. उत्तराखंड के राजनीतिक चाणक्य- हेमवती नन्दन बहुगुणा
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