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उत्तराखण्ड का इतिहास

उत्तराखण्ड का इतिहास-ः मैंने ये अनुभव किया है कि उत्तराखण्ड का इतिहास श्रोतों के अभाव में अभ्यर्थियों के लिए एक बहुत ही बड़ी समस्या बन के उभरता है। जहां तक इतिहास जानने की बात करें तो इतिहास का सामान्यतः अध्ययन तीन भागों में बांट के किया जाता है तथा उसके विभिन्न श्रोत होते है- क्रमशः- भाग व श्रोत 1.प्रागैतिहासिक काल 2.आद्यऐतिहासिक काल 3.ऐतिहासिक काल उत्तराखण्ड इतिहास के प्रमुख श्रोत- (क). साहित्यिक श्रोत-ः साहित्यिक श्रोतों में उत्तराखण्ड का आद्यऐतिहासिक विवरण प्राप्त होता है। ▷उत्तराखण्ड का सबसे पहला उल्लेख ऋग्वेद में ‘देवभूमि या मनीषियों की भूमि‘ नाम से मिलता है। ▷ऋग्वेद के ब्राह्मण ग्रन्थ ऐतरेय ब्राह्मण में ‘कुरूओं की भूमि या उत्तरकुरू‘ नाम से उल्लेखित है। ▷ स्कंदपुराण में माया क्षेत्र (हरिद्वार) से हिमालय तक के क्षेत्र को ‘‘केदारखण्ड‘‘ तथा नन्दादेवी से कालागिरी पहाड़ी (चम्पावत) तक के क्षेत्र को ‘‘मानसखण्ड‘‘ नाम से जाना जाता है। ▷पालीभाषा के बौद्धग्रन्थों में उत्तराखण्ड को ‘‘हिमवंत‘‘ कहा गया है। ▷उत्तराखण्ड में प्रचलित लोक-साहित्य में लोकगाथा