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अक्तूबर 14, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

वन रैंक वन पैंशन योजना

वन रैंक वन पेंशन स्वीकृत पेंशन किसी नियोक्ता का उसके कर्मचारियों के प्रति दायित्व है। यह दायित्व किसी कर्मचारी की पूर्व में प्रदान की गई सेवाओं के लिए होता है। पूर्व कर्मचारियों के पेंशन का कोई भी संबंध उसी नियोक्ता के भविष्य के नए कर्मचारियों द्वारा प्राप्त वेतन, भत्तों अथवा पेंशन से नहीं होता है। प्रत्येक नियम-विनियम की एक ‘कट ऑफ डेट’ होती है। उदाहरण के लिए यदि कोई कृत्य किसी पूर्व कानून के तहत अपराध घोषित हो किंतु बाद के कानून में उसे आपराधिक कृत्य न माना गया हो तो कोई व्यक्ति पूर्व में किए गए कृत्य (पूर्व कानून के अनुसार अपराध) हेतु नए कानून के अनुसार अपराध मुक्त करने की याचना नहीं कर सकता है। चूंकि पेंशन का आधार भी कर्मचारी की पूर्व में की गई सेवाएं एवं उस दौरान प्राप्त वेतन व भत्तों को बनाया जाता है। इसीलिए वन रैंक वन पेंशन के सिद्धांत को इस हेतु गठित 9 समितियों ने खारिज किया था तथा सर्वोच्च न्यायालय के 2 निर्णयों में इससे असहमति जताई गई थी। यहां पर देश के लिए जान न्योछावर करने वाले सैनिकों का मामला थोड़ा अलग है। सैन्य कर्मियों की सेवा अवधि नागरिक सेवा के कर्मचारियों की तुलना मे

2015 का मेन बुकर

जमैका के लेखक मार्लोन जेम्स को 2015 का प्रतिष्ठित मैं बुकर पुरस्कार दिया गया हैं। उन्हें यह पुरस्कार अपनी पुस्तक ''History Of Seven Killings'' के लिए दिया गया। इस पुरस्कार में 50 लाख ₹(50 हज़ार पाउण्ड) मिलते हैं। यह पुरस्कार पाने वाले जेम्स जमैका के प्रथम साहित्यकार हैं। यह इनका 3rd उपन्यास हैं। इनका पहला उपन्यास 2005 में आया ''John Cross Devil'' था जिसे 78 प्रकाशकों ने प्रकाशित करने से इंकार कर दिया था। इनकी यह पुस्तक 1970 के दशक में बॉब मॉर्ले की हत्या के प्रयास की वास्तविक घटनाओं पर आधारित हैं।