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उत्तराखण्ड: प्रमुख व्यक्तित्व

1. कालू महरा – प्रथम स्वतंत्रता सेनानी जन्म समय -1831 जन्म स्थान -विसुड़ गांव,लोहाघाट,चम्पावत विशिष्ट कार्य -1857में क्रांतिवीर संगठन का निर्माण । मृत्यु- सन 1906   2. बद्रीदत्त पाण्डे -कुर्मांचल केसरी जन्म-  15 फरवरी 1882 जन्म स्थान-  कनखल, हरिद्वार । मूल निवासी अल्मोड़ा विशिष्ट कार्य- 1913 से अल्मोड़ा अखबार के संपादक 1918 में प्रतिबन्धित, इसके बाद अल्मोड़ा से शक्ति साप्ताहिक का प्रकाशन। कुली उतार, कुली बेगार व कुली बर्दायश आदि का विरोध । दो स्वर्ण पदक मिले जिन्हे उन्होने 1962 भारत-चीन युद्ध के समय देश के सुरक्षा कोष में दिये। मृत्यु- 13 जनवरी 1995 3. हरगोविन्द पंत - अल्मोड़ा कांग्रेस की रीढ़। जन्म- 19 मई 1885 जन्म स्थान- चितई गांव , अल्मोड़ा। विशिष्ट कार्य-  कुलीन ब्राह्मणो द्वारा हल न चलाने की प्रथा को 1928 बागेश्वर को स्वयं हल चला कर तोड़ा। मृत्यु- सन् 1957 4. बैरिस्टर मुकुन्दीलाल  जन्म- 14 अक्टूबर 1885 जन्म स्थान- पाटली गांव ,चमोली विशिष्ट कार्य- मौलाराम के चित्रों को खेाजकर उन्हें कला जगत में शिखर पर पहुंचाया 1969 में प्रकाशित उनकी प...

कैप्टन राम सिंह: राष्ट्रगान के धुन निर्माता

आजाद हिन्द फौज के सिपाही और संगीतकार रहे कै० राम सिंह ठाकुर ने ही भारत के राष्ट्र गान “जन गन मन” की धुन बनाई थी। वे मूलतः पिथौरागढ़ जनपद के मूनाकोट गांव के मूल निवासी थे, उनके दादा जमनी चंद जी 1890 के आस-पास हिमाचल प्रदेश में जाकर बस गये थे। 15 अगस्त 1914 को वहीं उनका जन्म हुआ और वह बचपने से ही संगीत प्रेमी थे। 14 वर्ष की आयु में ही वे गोरखा ब्वाय कम्पनी में भर्ती हो गये। पश्चिमोत्तर प्रांत में उन्होंने अपनी वीरता प्रदर्शित कर किंग जार्ज-5 मेडल प्राप्त किया। अगस्त 1941 में वे बिट्रिश सिपाही के रुप में इपोह भेजे गये, पर्ल हार्बर पर जापानी हमले के दौरान उन्हें जापानियों द्वारा बन्दी बना लिया गया। जुलाई 1942 में इन्हीं युद्ध बन्दियों से बनी आजाद हिन्द फौज में यह भी सिपाही के रुप में नियुक्त हो गये। बचपने में जानवर के सींग से सुर निकालने वाले राम सिंह अपनी संगीत कला के कारण सभी युद्ध बन्दियों में काफी लोकप्रिय थे। 3 जुलाई, 1943 को जब नेताजी सिंगापुर पहुंचे तो राम सिंह ने उनके स्वागत के लिये एक गीत तैयार किया- “सुभाष जी, सुभाष जी, वो जाने हिन्द आ गये ...

विभूति गंगोत्री गर्ब्याल

सीमांत प्रांतर पिथौरागढ़ के धारचूला में साढ़े दस हजार फीट की ऊंचाई पर बसे गर्ब्यांग गांव की गंगोत्री गर्ब्याल शिक्षा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट सेवाओं के कारण  1964 राष्ट्र...

गुमानी पन्त जी "कुमाऊँ के प्रथम कवि"

कवि गुमानी पन्त जी का जन्म विक्रत संवत्  1857, कुमांर्क गते 27, बुधवार, फरवरी 1790 को काशीपुर में हुआ था, इनका  पैतृक निवास स्थान ग्राम-उपराड़ा, गंगोलीहाट, पिथौरागढ़ था।  इनका मूल नाम लो...