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मई 2, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उत्तराखण्ड के परम्परागत आवास भाग-2

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जहां तक आवासीय परम्पराओं की बात की जायेगी इसे क्षेत्रगत आधार पर बांटा जा सकता है जो भौगोलिक आवश्यकता के अनुरूप बनाया जाता रहा है जैसे कि हिमालय के उच्च बर्फीले क्षेत्र में मात्र पत्थर की उपस्थिति थी उसके अनुरूप शुद्ध पत्थर के आवास बनाये गये, जबकि निचले क्षेत्र में जहां लकड़ी की प्रचुरता थी वहां लकड़ी की बाहुल्यता से आवास बनाये गये। उत्तराखंड की वास्तुकला स्थानीय जलवायु, भूगोल और प्राकृतिक संसाधनों के अनुरूप विकसित हुई है। यहाँ के पारंपरिक आवासों में पत्थर, लकड़ी, मिट्टी और फूस का प्रयोग प्रमुख रूप से देखा जाता है। गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों की भिन्न भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं के कारण यहाँ अलग-अलग प्रकार के आवास निर्मित किए गए। उत्तराखंड के पारंपरिक आवास वास्तुकला, संस्कृति और स्थानीय ज्ञान का संगम हैं, जो आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाए हुए हैं। 1. पंचपुरा घर - उत्तरकाशी क्षेत्र में पाए जाने वाले पंचपुरा घर पारंपरिक बहुमंजिला आवास होते हैं। ये घर मुख्य रूप से पत्थर और देवदार की लकड़ी से बनाए जाते हैं। ये अधिकतर पाँच मंजिलों के होते हैं, निचली मंजिल में पशुओं के लिए जगह होती...

उत्तरकाशी की दो खूबसूरत झीलें

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भराड़सर ताल :- यह ताल मोरी के समीप 16000 फीट की दुर्गम ऊँचाई पर है। यह दिव्य स्थल बाहरी दुनिया के लिए अभी तक नितांत अपरिचित है। इसकी जानकारी स्थानीय भेड़ पालकों व बुजुर्ग लोगों को ही है। यह क्षेत्र अनूठे वन्य जीवन, वानस्पतिक वैभव के कारण दर्शनीय है। इस विशाल झील की विशेषता है कि यह पल-पल अपना रंग-रूप बदलती रहती है। झील के उत्तरी कोने पर बर्फ का एक बड़ा ग्लेशियर स्थिर होकर पसरा रहता है। वर्षाकाल में यहां शुष्क शिलाओं पर भी झरने फूटते व अगणित पुष्प खिलते दिखायी देते हैं। दिव्य पुष्प ब्रह्म कमल व फेन कमल यहां बहुतायत में खिले रहते हैं। नैटवाड़ जो मोरी से 12 किमी. दूर है, से पैदल यात्रा शुरू होती है। घने जंगल व बुग्यालों से होते हुए 15 किमी. दूर कैल्डारी उडयार (12000 फीट) पहुंचते हैं। फिर किड्डी ओडी, डालधार, नौलधार होते हुए अत्यंत कठिन दुर्गम चढ़ाई पार करते हुए बौधार-दर्रा (15000 फीट) पहुंचा जाता है। वहां से उतरते हुए कोई एक घंटे बाद भराड़सर ताल पहुंचा जाता है। भराड़सर ताल साहसिक पर्यटन का स्वर्ग है। यह गोलाकार झील लगभग 1.5 किमी. परिधि में फैली हुई है। झील के चारों ओर दुर्लभ ब...