उत्तरकाशी की दो खूबसूरत झीलें

भराड़सर ताल :- यह ताल मोरी के समीप 16000 फीट की दुर्गम ऊँचाई पर है। यह दिव्य स्थल बाहरी दुनिया के लिए अभी तक नितांत अपरिचित है। इसकी जानकारी स्थानीय भेड़ पालकों व बुजुर्ग लोगों को ही है। यह क्षेत्र अनूठे वन्य जीवन, वानस्पतिक वैभव के कारण दर्शनीय है। इस विशाल झील की विशेषता है कि यह पल-पल अपना रंग-रूप बदलती रहती है। झील के उत्तरी कोने पर बर्फ का एक बड़ा ग्लेशियर स्थिर होकर पसरा रहता है। वर्षाकाल में यहां शुष्क शिलाओं पर भी झरने फूटते व अगणित पुष्प खिलते दिखायी देते हैं। दिव्य पुष्प ब्रह्म कमल व फेन कमल यहां बहुतायत में खिले रहते हैं। नैटवाड़ जो मोरी से 12 किमी. दूर है, से पैदल यात्रा शुरू होती है। घने जंगल व बुग्यालों से होते हुए 15 किमी. दूर कैल्डारी उडयार (12000 फीट) पहुंचते हैं। फिर किड्डी ओडी, डालधार, नौलधार होते हुए अत्यंत कठिन दुर्गम चढ़ाई पार करते हुए बौधार-दर्रा (15000 फीट) पहुंचा जाता है। वहां से उतरते हुए कोई एक घंटे बाद भराड़सर ताल पहुंचा जाता है। भराड़सर ताल साहसिक पर्यटन का स्वर्ग है। यह गोलाकार झील लगभग 1.5 किमी. परिधि में फैली हुई है। झील के चारों ओर दुर्लभ ब्रह्मकमल खिले रहते हैं। झील के दूसरी तरफ चित्तचोर माझीवन बुग्याल है।


                                   रुइनसारा ताल 
रुइनसारा ताल :- हर की दून मार्ग पर ओसला (2090 मी.) से एक अलग पगडण्डी इस क्षेत्र को मुड़ती है। झील तक की दूरी 2 किमी है। पूरा पथ हरे-भरे, चहकते -महकते जंगल-झरने, नदी-नालों व मखमली घास फूलों से ढका हुआ है।



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