उत्तराखण्ड की प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक, बुरांस (Rhododendron arboreum) न केवल अपनी सुंदरता के लिए बल्कि पारिस्थितिक, औषधीय और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है । यह उत्तराखण्ड के लोगों के लिए गर्व का विषय है। वैज्ञानिक रूप से ‘रोडोडेन्ड्रोन अरबोरियम’ कहलाने वाला बुरांस , स्थानीय बोलियों में बुरांश, लाल बुरांश, ब्रास या बरह-के-फूल जैसे नामों से भी जाना जाता है । बुरांस पूरे हिमालयी क्षेत्र और पड़ोसी देशों में 800 से 3000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है । भारत के अलावा, यह भूटान, चीन, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, पाकिस्तान और तिब्बत में भी मिलता है । स्थानीय तौर पर बुरांश के फूल को कफ्फू फूल भी कहा जाता है। हालांकि कफ्फू शब्द का प्रयोग उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में मोनाल के लिए किया जाता है। सम्भवतः कफ्फू का प्रिय भोजन होने के कारण इसे भी कफ्फू फूल कहा गया हो। बुरांस: वानस्पतिक विशेषताएं बुरांस एक सदाबहार झाड़ी या छोटा पेड़ है, जो आमतौर पर 12 मीटर तक ऊंचा होता है । इसके पत्ते गहरे हरे, चमड़े जैसे और 7 से 19 सेमी लंबे होते हैं, जिनकी निचली सतह पर हल्के भूरे र...