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प्रमुख ऐतिहासिक गाथाएं

भीमा कठैत चन्द शासक ज्ञानचंद (1374-1419) के शासनकाल से सम्बंधित है। गाथा में अतिरंजना तथा घटनाक्रमों की प्रधानता है। चन्दो से पूर्व कत्यूरियों का सामंत होने के कारण भीमा कठैत चन्दो को कर नहीं देता है, इससे ऐतिहासिक ये बात स्पष्ट होती है कि ज्ञानचंद के समय तक चन्दो का राज्य विस्तार पाली-पछाऊँ (रानीखेत) तक नहीं हुआ था। स्युंराजी-भ्यूंराजी बोरा बोहरी कोट के बोर वंश के वीरों की वीरगाथा है। चन्द शासक भारती चन्द (1450) के समकालीन थे। ये भारती चन्द की तरफ से तराई-भाबर में कर वसूलने गए। इनके बेटे रणजीत-दलजीत बोरा भी पराक्रमी योद्धा हुए। गिरीखेत के युद्ध में झिमोडों को पराजित किया था। राना रौत चन्द राजा ज्ञानचंद का भड़, जो गढ़ कुलौली के रूपा रौत का बेटा ठसक कत्यूरी नरेशों के वंशजों तथा माल के योद्धा झंकलू पठान से युद्ध हुआ था। अपने पराक्रम से सौन वंश की सुंदरी मोतिमा को ब्याह लाया था। कलौनी जाति के लोगों के हाथों षड्यंत्र से मारा गया। बाद में इसके पुत्र सोबा रौत ने पिता का बदला लिया था। मैदुवा सौन चिम सौन का पुत्र आषाढ़ी मेले में देवीधुरा के मंदिर में पूजा हेतु शत्रु मटियाली बांज को पराभूत