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10 महत्पवपूर्ण सवाल मिशन UKSSSC सीरीज-17

 1. मानव की शिकार करती हुई आकृतियां प्राप्त हुई हैं- (A) बनकोट (B) किमनी  (C) ल्वेथाप ☑️   (D) फड़का नौली 2. अठूर/खाण्ड ग्राम जहां से कुणिन्द मुद्रायें प्राप्त हुई हैं किस जनपद में है? (A) टिहरी  ☑️           (B) उत्तरकाशी  (C) चमोली         (D) पौड़ी 3. महाभारत के किस पर्व में हिमालय की तीन श्रृंखलाओं का वर्णन मिलता है? (A) भीष्मपर्व (B) वन पर्व  (C) सभा पर्व☑️ (D) इनमें से कोई  4. अमोघभूति की मुद्राओं में अंकित लिपि थी-   (A) ब्राह्मी           (B) शंख  (C) देवनागरी (D) खरोष्ठी ☑️ 5. किस राज्य से कुणिन्द मुद्रायें प्राप्त नहीं हुई है? (A) हिमाचल      (B) पंजाब  ☑️ (C) उत्तर प्रदेश      (D) हरियाणा 6. तालेश्वर लेखों में उल्लिखित श्रेष्ठ नगर माना गया है?  (A) कार्तिकेयपुर (B) ब्रह्मपुर☑️ (C) दीपपुरी           (D) त्रयम्बकपुर 7. वाई0आर0 गुप्ते तथा के0पी0 नौटियाल के अनुसार पौरव वंश का संस्थापक कौन था?  (A) अग्निवर्मन (B) विष्णुर्वमन☑️ (C) द्विजवर्मन (D) वृषवर्मन 8. जतबालदेव के कुलसारी मूर्तिलेख का सम्बन्घ है-  (A) कार्तिकेयपुर वंश      (B) कत्यूर वंश ☑️ (C) कुणिन्

पंवार शासकों का दिल्ली दरबार से सम्बन्ध

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1.  कल्याणपाल/कल्याण शाह ( 1505 के बाद)- कल्याण पाल अजैपाल का पुत्र था। सम्भवतः किसी लोदी शासक ने इसे शाह की उपाधि दी थी। अतः नाम कल्याणपाल से कल्याण शाह पड़ा। हालांकि इनके वंशजों ने पुनः पाल उपनाम से शासन किया। शाह उपनाम बलभद्रशाह के समय से वंशानुगत हुआ है। 2. सहजपाल/बलभद्रपाल/बहादुरशाह या रामशाह ( 1548-1597) ( ये सभी एक ही राजा के विभिन्न नाम थे।)- अधिकांशतः मौखिक इतिहास ही इस सम्बन्ध में प्रचलित है कि अकबर ने बलभद्रपाल को शाह की उपाधि दी थी अतः इसके बाद के शासकों ने अपना उपनाम शाह लिखना प्रारम्भ किया। ये भी जान लेना उचित होगा कि सर्वप्रथम शाह की उपाधि कल्याण शाह को मिल चुकी थी , लो सम्भवतः किसी लोदी सुल्तान ने दी थी। किन्तु अकबर ने शाह की उपाधि बलभद्रपाल को दी थी। 3. मानशाह/मानपाल ( 1591-1611), श्यामशाह ( 1611-1623/ 23) और मुगल - मानशाह के अकबर तथा जहाँगीर के साथ मैत्रीपूर्ण संबन्ध थे। मानशाह और श्यामशाह के सभाकवि भरत का ज्योतिषि के रूप में मुगल दरबार में बहुत सम्मान था। 1621 में श्यामशाह आगरा में जहाँगीर के दरबार में उपस्थित हुआ। जहाँगीरनामा से ज्ञात होता है कि सर्वप्रथम मुग