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अक्तूबर 19, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

भारत सरकार में विभिन्न मंत्रालयों के अधीन विभाग

कृषि मंत्रालय कृषि और सहकारिता विभाग कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग पशुपालन, डेरी और मत्स्यपालन विभाग रसायन और उर्वरक मंत्रालय रसायन और पेट्रो-रसायन विभाग उर्वरक विभाग वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय वाणिज्य विभाग औद्योगिक निति और संवर्धन विभाग संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय दूरसंचार विभाग डाक विभाग सूचना प्रौद्योगिकी विभाग उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय उपभोक्ता मामले विभाग खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग रक्षा मंत्रालय रक्षा विभाग रक्षा उत्पादन और आपूर्ति विभाग रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग वित्त मंत्रालय आर्थिक कार्य विभाग व्यय विभाग राजस्व विभाग विनिवेश विभाग वित्तीय सेवाएँ विभाग स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग आयुर्वेद, योग-प्राकृतिक चिकित्सा पद्दति, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी (आयुश) विभाग भारी उद्योग और लोक उद्यम मंत्रालय भारी उद्योग विभाग लोक उद्यम विभाग गृह मंत्रालय आंतरिक सुरक्षा विभाग राज्य विभाग राज भाषा विभाग गृह विभाग जम्मु तथा कश्मीर विभाग सीमा प्रबंधन विभाग मानव संसाधन विकास म

भारतीय संविधान में महत्वपूर्ण समय सीमाएँ

परिस्थिति       अवधि 1. संसद या राज्य सभा के दो सत्रों के बीच अधिकतम अंतराल छह महीने 2. राष्ट्रपति के अध्यादेश की प्रवर्तन मे रहने की अधिकतम अवधि छह महीने + छह सप्ताह 3. राष्ट्रपति की मृप्यु, पदत्याग, पद से हटाए जाने या अन्य कारण से हुई रिक्ति को भरने के लिए निर्वाचन करने की अधिकतम अवधि छह महीने 4. राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाने की अधिकतम अवधि छह महीने जिसे अधिकतम तीन वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है 5. अवधि जिसके उप्रांत लोक सभा द्वारा पारित धन विधेयक कोई कार्रवाई न होने पर राज्य सभा द्वारा पारित माना जाएगा 14 दिन 6. राष्ट्रपति/ उपराष्ट्रपति / राज्यपाल द्वारा पद ग्रहण की तारीख से पद पर बने रहने की अधिकतम अवधि 5 वर्ष 7. लोक सभा / राज्य विधानमंडल की पहली अधिवेशन की नियत तारीख से विघटित होने तक की अधिकतम अवधि5 वर्ष 8. आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन के दौरान जिस अधिकतम अवधि के लिए लोक सभा / राज्य विधानमंडल की अवधि बढ़ाई जा सकती है एक बार में एक वर्ष 9. यदि लोक सभा / राज्य विधानमंडल की अवधि आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन के दौरान बढ़ाई गई है और आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन मे न रह जाए तो लोक