प्राचीन इतिहास वैदिक काल
वैदिक सभ्यता इस सभ्यता की जानकारी वेद से होती है इसलिए इसका नाम ‘वैदिक सभ्यता’ रखा गया। वैदिक सभ्यता के प्रर्वतक को ‘आर्यजन’ का नाम दिया गया है। आर्यजन भारत के ही मूल निवासी थे। वैदिक काल को ऋग्वैदिक काल (1500-1000 ई.पू.) तथा उत्तर वैदिक काल (1000-600 ई.पू.) में विभक्त किया गया है। ऋग्वैदिक काल: ऋग्वैदिक काल में आर्यजन सात नदियों वाले सप्त सिंधु क्षेत्रा में रहते थे। यह वर्तमान में पंजाब व हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में स्थित हैं। कुरूक्षेत्रा के आस-पास के क्षत्रों को उन्होंने ब्रह्मवर्त का नाम दिया। इसके बाद गंगा-यमुना के मैदानी प्रदेश तक बढ़ आये और इस क्षेत्रा को ‘ब्रहर्षि देश’ कहा। इसके उपरान्त वे हिमालय के दक्षिण एवं नर्मदा नदी के उत्तर (विन्ध्याचल के उत्तर) के मध्य के कुछ प्रदेशों तक बढ़ आये और उस प्रदेश को ‘मध्य प्रदेश’ का नाम दिया। जब उन्होंने वर्तमान के बिहार, बंगाल के आस-पास तक पहुंच गये तब समस्त उत्तरी भारत के क्षेत्रा को ‘आर्यावर्त’ अर्थात् आर्यो के रहने का स्थान कहकर संबोधित किया। उनके भौगोलिक क्षेत्रा के अंतर्गत गोमती का मैदान, द. जम्मू-कश्मीर, दक्षिणी अफगानिस्तान भी आते है