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रम्माण एक लोक संस्कृति

रम्माण क्या है रम्माण उत्सव उत्तराखंड के चमोली जिलेके सलूड़ गांव में प्रतिवर्ष अप्रैल में आयोजित होता है। इस गांव के अलावा डुंग्री, बरोशी, सेलंग गांवों में भी रम्माण का आयोजन किया जाता है। इसमें सलूड़ गांव का रम्माण ज्यादा लोकप्रिय है। इसका आयोजन सलूड़-डुंग्रा की संयुक्त पंचायत करती है। रम्माण मेला कभी 11 दिन तो कभी 13 दिन तक भी मनाया जाता है। यह विविध कार्यक्रमों, पूजा और अनुष्ठानों की एक श्रृंखला है। इसमें सामूहिक पूजा, देवयात्रा, लोकनाट्य, नृत्य, गायन, मेला आदि विविध रंगी आयोजन होते हैं। इसमें परम्परागत पूजा-अनुष्ठान तथा मनोरंजक कार्यक्रम भी आयोजित होते है। यह भूम्याल देवता के वार्षिक पूजा का अवसर भी होता है एवं परिवारों और ग्राम-क्षेत्र के देवताओं से भेंट करने का मौका भी होता है। रम्माण नाम की उत्पत्ति अंतिम दिन लोकशैली में रामायण के कुछ चुनिंदा प्रसंगों को प्रस्तुत किया जाता है। रामायण के इन प्रसंगों की प्रस्तुति के कारण यह सम्पूर्ण आयोजन रम्माण के नाम से जाना जाता है। इन प्रसंगों के साथ बीच-बीच में पौराणिक, ऐतिहासिक एवं मिथकीय चरित्रों तथा घटनाओं को मुखौटा नृत्य शैली के माध्

वन आरक्षी हेतु उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी भाग-2

1. उत्तराखंड में वन व्यवस्था के लिए प्रथम प्रयास- कमिश्नर ट्रेल (1826) 2. पर्वतीय विकास परिषद- 17 मार्च, 1967 को उत्तर प्रदेश विधान मंडल द्वारा स्वीकृत 1970 में स्थापित 3. एटकिंसन के अनुसार कुमाऊँ का प्रथम वन संरक्षक - हेनरी रैम्जे 4. भाबर क्षेत्र के वन संरक्षित घोषित हुए- 1868 में 5. गोरखवाणी के लेखक- श्याम सिंह नेगी/पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल 6. कोसी का घटवार के लेखक- शेखर जोशी 7. पराशर गौड़ द्वारा जग्वाल(प्रतीक्षा) फ़िल्म बनाई गई- 1983 8. मेघा आ का निर्देशन काका शर्मा द्वारा- 1987 में (इस फ़िल्म के प्रोड्यूसर-एस. एस. बिष्ट थे) 9. गैंठीछेड़ा योजना सितोनस्यु पौड़ी। 10. मरोड़ा परियोजना- नयार नदी 11. पर्वतीय क्षेत्र की सींचित भूमि का नाम- सेरा 12. भारत सरकार द्वारा वन विभाग की स्थापना- 1864 13. कुमाऊँ-गढ़वाल के वन, वन विभाग को समर्पित किए गए- 1868 14. वन विभाग को इम्पीरियल(केंद्रीय) से प्रांतीय विभाग बनाया गया- 1882 15. इंडियन फारेस्ट एक्ट- 1865

वन आरक्षी हेतु उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी भाग-1

1. राष्ट्रीय वन नीति-1998 के अनुसार पर्वतीय भाग में अनिवार्य वन प्रतिशत◆ 60%                         【इस नीति के अनुसार मैदानी भागों में कम से कम 25% जबकि पूरे भारत में न्यूनतम 33% वन होने अनिवार्य है।】 2. सहकारिता विभाग द्वारा जड़ी-बूटी विकास योजना - 1972 से शुरू 3. भेषज सहकारी संघो की स्थापना - 1980 से प्रारम्भ 4. मिश्रित वन खेती मॉडल के जनक जिन्हें वर्ष 2006 में आर्यभट्ट सम्मान से सम्मानित किया गया- रुद्रप्रयाग निवासी जगत सिंह चौधरी "जंगली"। 5. राज्य में वन पंचायतों का सृजन- 1931 से              【9 सदस्यीय वन पंचायत में 4 महिला सदस्यों का होना अनिवार्य है】 6. राज्य में बेलाडोना की खेती- 1903 कुमाऊँ से प्रारम्भ हुई 7. राज्य में औषधीय पदार्थों का संग्रहण - 1982 वन प्रबन्धन अधिनियम से। 8. राज्य में इको टॉस्क फोर्स का गठन- 2008-09 में 9. गोविंद बल्लभ पंत उच्च स्थलीय प्राणी उद्यान - 1995 नैनीताल में स्थापित। 10. शिव की जटा नाम से जाना जाने वाला पौधा- बाँज 11. टाइगर वॉच योजना- 1991-92 में शुरू                (इसी वर्ष हिम तेंदुआ योजना भी शुरू की गई थी।)

उत्तराखंड oneliner

चित्र
1. उत्तराखंड में एकमात्र यहूदी पूजा स्थल- ख़्वाद हाउस, मुनि की रेती, ऋषिकेश। 2. ठुलो-डुस्को (ठुलखेल) का सम्बंध है- नेपाल से प्रेरित झोड़ा-चांचरी जो पिथौरागढ़ में आयोजित होता है   (पहाड़ी रामायण में भी इसका प्रतिरूप देखने मिलता है) 3. 1930 नमक आंदोलन के दौरान उत्तराखंड की किस नदी में नमक बनाकर नीलाम किया गया- नून नदी, प्रेमनगर देहरादून के उत्तर में। 4. अकबर के काल मे उत्तराखंड में तांबे की टकसाल थी- हरिद्वार 5. मग़लकालीन थडवाट और बोक्साड के आधुनिक नाम- थडवाट- खटीमा बोक्साड- रुद्रपुर

उत्तराखंड से विशेष 3 प्रश्न

1. गोरखा सेनापति जिसे मौलाराम द्वारा दानवीर कर्ण की उपाधि से विभूषित किया गया- रणजोर सिंह थापा         ★ रणजोर सिंह विद्वानों और कलाविदों का सम्मान करता था।         ★ शासन व्यवस्था हेतु सभा मण्डली का गठन किया था।         ★ मोकर, डांकर, मझारी, सलामी, सोन्याफागुन एवं घोकर लगाए।         ★ प्रद्युम्न शाह की मृत्यु के बाद दून उपत्यका के रणजोर सिंह ने अपना आतंक शुरू कर दिया। तत्कालीन गुरु मन्दिर के महंत श्री हरिसेवक पर कढ़ाई दीप के अनुसार दण्डित किया।        2. ' फतेह भूषण' नामक एक अलंकार का ग्रंथ की रचना-  रतन कवि        ★ इस पुस्तक में लक्षणा, व्यंजना, काव्यभेद, ध्वनि, रस, दोष आदि का विस्तृत वर्णन है।        ★ ये रीति काल के कवि थे।        ★ रतन कवि का जीवन वृत्त कुछ ज्ञात नहीं है।        ★ शिवसिंह ने इनका जन्म काल संवत 1798 लिखा है।        ★ इनका कविता काल संवत 1830 के आसपास माना जा सकता है।        ★ यह श्रीनगर, गढ़वाल के 'राजा फ़तहसिंह' के यहाँ रहते थे।        ★ इन्होंने शृंगार के ही पद्य न रखकर अपने राजा की प्रशंसा के कवित्त बहुत रखे हैं।        ★ संवत 182

प्रमुख ऐतिहासिक गाथाएं

भीमा कठैत चन्द शासक ज्ञानचंद (1374-1419) के शासनकाल से सम्बंधित है। गाथा में अतिरंजना तथा घटनाक्रमों की प्रधानता है। चन्दो से पूर्व कत्यूरियों का सामंत होने के कारण भीमा कठैत चन्दो को कर नहीं देता है, इससे ऐतिहासिक ये बात स्पष्ट होती है कि ज्ञानचंद के समय तक चन्दो का राज्य विस्तार पाली-पछाऊँ (रानीखेत) तक नहीं हुआ था। स्युंराजी-भ्यूंराजी बोरा बोहरी कोट के बोर वंश के वीरों की वीरगाथा है। चन्द शासक भारती चन्द (1450) के समकालीन थे। ये भारती चन्द की तरफ से तराई-भाबर में कर वसूलने गए। इनके बेटे रणजीत-दलजीत बोरा भी पराक्रमी योद्धा हुए। गिरीखेत के युद्ध में झिमोडों को पराजित किया था। राना रौत चन्द राजा ज्ञानचंद का भड़, जो गढ़ कुलौली के रूपा रौत का बेटा ठसक कत्यूरी नरेशों के वंशजों तथा माल के योद्धा झंकलू पठान से युद्ध हुआ था। अपने पराक्रम से सौन वंश की सुंदरी मोतिमा को ब्याह लाया था। कलौनी जाति के लोगों के हाथों षड्यंत्र से मारा गया। बाद में इसके पुत्र सोबा रौत ने पिता का बदला लिया था। मैदुवा सौन चिम सौन का पुत्र आषाढ़ी मेले में देवीधुरा के मंदिर में पूजा हेतु शत्रु मटियाली बांज को पराभूत

उत्तराखंड oneliner

1. टिम्मरसैण गुफा- नीति घाटी   (अमरनाथ स्वरूप शिवलिंग) 2. पन्तनगर विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति- डॉ. केनेथ एंथनी पार्कर स्टीवेंसन 3. कुमाऊँ रेजीमेंट का मुख्यालय आगरा से रानीखेत- 1948 4. कोटलीभेल परियोजना- गंगा नदी, टिहरी में 1000MW क्षमता। 5. कुमाऊँ युवा सम्मेलन- अल्मोड़ा में 1932 में इंद्र सिंह नयाल की अध्यक्षता में। 6. हम लड़ते रयां भूला कविता के लेखक- गिरीश तिवारी "गिर्दा" 7. हल्सन साहिब ऑफ गढ़वाल के लेखक - दुर्गा चंद्र काला 8. "यदि हमें मरना ही है तो अपने सिद्धांतो और विश्वास की सार्वजनिक घोषणा करते हुए मरना श्रेयकर है" यह कथन है- श्रीदेव सुमन 9. नेशनल इंडियन मिलिट्री कॉलेज की स्थापना- 1 मार्च, 1922 को देहरादून में स्थापित, ड्यूक ऑफ विंडसर (प्रिंस ऑफ वेल्स) द्वारा स्थापित। 10. ”द राजा ऑफ हर्सिल“ - फ्रेडरिक विल्सन।

Oneliner Uttarakhand

1. बद्रिकाश्रम के पास स्थित नर-नारायण पर्वत प्रतीक स्वरूप है- अर्जुन-विष्णु के। 2. गोविंद बल्लभ पंत की जन्मभूमि- शीतलाखेत 3. गढ़वाल चित्रावली: एक सर्वेक्षण- डॉ. यशवंत सिंह कठौच 4. कुलाचार/बिरुदावली- औजी जाति के लोगों द्वारा अपने यजमान ब्राह्मणों अथवा क्षत्रिय की ब्याही कन्या के घर जाकर गाया जाने वाला गीत। 5. राज्य में गाया जाने वाला उपदेशात्मक गीत- पट या छुड़ा 6. बुड़ियात लोकनृत्य- जौनसारी 7. रमतला वाद्ययंत्र- हारूल नृत्य के समय अनिवार्य रूप से बजाया जाता है। 8. दूसरा सबसे ऊँचा बाँध- किशौ बांध, टोंस नदी, देहरादून। 【 टिहरी-260.5 M】 【किशौ-253 M】【लखवाड़-192 M】 【कोठार-155 M】                    【कालागढ़-126 M】              uk-solution.blogspot.com 9. खेदरी परियोजना- यमुना नदी 10. पुरवासी पत्र का प्रकाशन- अल्मोड़ा से 11. वेदमाला पुस्तक- हरिराम धस्माना