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मार्च, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

उत्तराखंड ज्ञानकोष 10 फटाफट।

1. कृषि से डी. फिल. की डिग्री हासिल करने वाले देश के प्रथम शोधकर्ता- प्रो नन्दन प्रसाद घिल्डियाल 2. गढ़वाल के हातिमताई कहे जाने वाले कुंवर सिंह नेगी जाने जाते है- गुरुमुखी को ब्रेल में तैयार करने हेतु। 3. सेलेक्टेड लैंड रेवेन्यू डिसिजन्स ऑफ कुमाऊँ पुस्तक के लेखक- तारा दत्त गैरोला 4. नैनीताल नगरपालिका के प्रथम भारतीय अध्यक्ष- मोहन लाल साहा 5. सामाजिक परिवर्तन कर त्रेणर्णिक धर्म-निर्णय नामक पुस्तक की रचना- रुद्र चंद द्वारा (अन्य पुस्तकें- उषा रुद्र गोदया, श्येनिक शास्त्र[पक्षी आखेट आधारित], ययाति-चरितम) 6. गढ़वाली और कुमाउनी भाषा की लिपि है- देवनागिरी। 7. गढ़वाली लोकभाषा की प्रथम कहानी कही जाती है - गणेशु कौंका मित्र स्वाला पकोड़ा । 8. गीमा- मरोज के अवसर पर बनने वाला पकवान 9. कुमाऊँ में संस्कार गीतों को कहा जाता है- शकुनाखर और न्यूतण 10. जड़ी-बूटी जिसे कैंसर के अचूक दवा माना जाता है- थुनेर

Uttrakhand one liner

1. उत्तराखंड में दलदली भूमि (Wetlands) की संख्या- 42 2. अल्मोड़ा नगरपालिका की स्थापना- 1864 3. रामायण, महाभारत तथा रुक्मणि प्रणय पर चित्रकला- चैतू (मौलाराम के समकालीन) 4. अक्टूबर, 1814 देहरादून में आक्रमण करने वाला अंग्रेज- जनरल गिलेप्सी 5. मानसखण्ड में उल्लेखित ब्रह्मा पर्वत- द्वाराहाट शिखर 6. टिहरी रियासत में परगने का नाम- ठाणा 7. चकराता छावनी की स्थापना- 1869 (कर्नल ह्यूम) 8. लेन्सडाउन छावनी- 1887 9. रानीखेत छावनी- 1869 10. हार्डिंग पुल- गौला नदी, पर 1913 में लार्ड हार्डिंग द्वारा उद्घाटित।

उत्तराखंड मूर्ति आधारित प्रश्न।

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उत्तराखंड में कला प्रागैतिहासिक काल से ही अपना विशिष्ट स्थान बनाने में समर्थ रही है, चाहे लाखू उडियार हो या अन्य समकालीन स्थल कला और उसके माध्यम से इतिहास का विवरण मिलता है। लगभग 20वीं सदी में मूर्तिकला चरम पर रही।  20वीं सदी में मूर्तिकला का मुख्य केंद्र बिंदु श्रीनगर रहा है। ■◆  शिव की वज्रासन मूर्ति- केदारनाथ ■◆ देवलगढ़ मूर्ति- भगवान विष्णु की ■◆ विष्णु की वामन मूर्ति- काशीपुर ■◆ ब्रह्मा की मूर्तियां- रत्नदेव मंदिर, द्वाराहाट तथा बैजनाथ संग्रहालय। ■◆ नृत्य मुद्रा की शिवमूर्ति- नटराज मंदिर, जागेश्वर तथा गोपेश्वर मंदिर में ■◆ वीर्यसन मुद्रा में शिव मूर्ति- बैजनाथ ■◆ शिव की संहारक मूर्ति- लाखामण्डल (धनुषाकार मुद्रा में) ■◆ नृत्याकार गणपति की मूर्ति- जोशीमठ (8 भुजाओं से युक्त) ■◆ हस्तमुद्रा में पार्वती की मूर्ति- मेखण्डा, रुद्रप्रयाग। ■◆ शेष शयन मूर्ति- बैजनाथ & द्वाराहाट। ■◆ तपस्यारत गौरी प्रतिमा- लाखामण्डल

उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी।

◆● मैक ग्रेगर की उपाधि से विभुषित व्यक्ति- ज्ञान सिंह फर्स्वाण (लेंसडाउन से मास्को की पैदल यात्रा की थी।) ◆● फते प्रकाश, अलंकार प्रकाश पुस्तक के लेखक- कैप्टेन शूरवीर सिंह रावत। ◆● नाद नंदिनी पुस्तक के लेखक- केशवदास अनुरागी ( इन्होंने ढोल सागर पर शोध पत्र लिखा था। ) ◆● वीर केसरी पुस्तक के रचनाकार- पंडित शिवराम ◆● ठोटा खेलना परम्परा का सम्बंध है- बिस्सू मेले से (तीर-कमान परम्परा) ◆●  राज्य में किसान रत्न पुरस्कार की शुरुआत- 2010 से ◆● उत्तराखंड में कुल बाघ रिजर्व क्षेत्रों की संख्या- 04 ( कॉर्बेट, राजाजी, नँधोर, तथा सुरई ) मालूम हो कि पीलीभीत अभ्यारण्य से सटा पूर्वी तराई क्षेत्र जो खटीमा में शामिल है, को बफर क्षेत्र के रूप में 2018 में सुरई टाइगर रिज़र्व बनाया गया है। यहां यह जानना भी जरूरी है कि उत्तराखंड बाघों की सँख्या मामले में देश मे कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर है।

नदी आधारित 10 प्रश्न

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■◆ ड्योडीताल, उत्तरकाशी से निकलने वाली नदी- असी गंगा ■◆ दूधातोली से निकलने वाली पूर्वी तथा पश्चिमी नयार का संगम- बांघाट, सतपुली, पौड़ी। (मालूम हो कि नयार नदी व्यास घाट नामक स्थान पर गंगा में मिल जाती है) ■◆ पुरोला घाटी (उत्तरकाशी) की वरदान- कमल नदी ■◆ कोईराला तथा काली का संगम- पंचेश्वर ■◆ ऐतिहासिक चाँदपुरगड़ी किस नदी के समीप है- आटागाड़, चमोली ■◆ टोंस तथा पाबर नदी के संगम पर स्थित नगर- त्यूणी ■◆ काली नदी का नाम शारदा- बरमदेव नामक स्थान से। ■◆ पिंडर घाटी का अंतिम गाँव- खाती गाँव, बागेश्वर। ■◆ प्रसिद्ध तिलाड़ी मैदान किस नदी के तट पर है- यमुना नदी ■◆ पूर्वी रामगंगा नदी का उद्गम स्थल- नामिक ग्लेशियर।

चुने हुए प्रश्न:-

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©★ उत्तराखंड में  जन्म लेने वाला प्रथम वीर जिसे  विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया- एंड्रयू फ्रिजगिब्न ( विश्व के सबसे कम आयु के विक्टोरिया क्रॉस विजेता 15 वर्ष की आयु में ) ©★ ढोल सागर  के रचनाकार- गुरु खेगदास ©★ जाड़े की रात तथा घसियारी नृत्य नामक चित्र- रणवीर सिंह बिष्ट (लैंसडौन, गढ़वाल) ©★ 20वीं सदी में मूर्तिकला का मुख्य केंद्र- श्रीनगर ©★ द माउंटेन गोडेस, डांसिंग द सेल्फ नामक पुस्तकों के लेखक- विलियम सैक्स (इसने अपना नाम बदलकर बद्री प्रसाद नौटियाल रखा) ©★ उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान- झाझरा, देहरादून। ©★ देवसारी परियोजना-  पिंडर, चमोली। ©★ राज्य में वन पंचायतों का सृजन- 1931 से ©★  बालेश्वर मंदिर अभिलेख- 1223 ई0 में क्राचल्लदेव द्वारा उत्कीर्ण किया गया  (10 मांडलिक राजाओं के नाम उल्लेखित है जिनमें 3 चंद और 7 खस राजा है) ©★ चंद शासक जिसने मैदानों से रेशम बुनकर लाकर कारखानों की स्थापना की-  इंद्र चंद ®   ■◆ इस पोस्ट के साथ एक रोचक जानकारी देना चाहूंगा आप सभी ने अंग्रेजों को चंपारण में क्रिकेट शर्त के बारे में तो सुना ही है उस पर लगान फ़िल्म बनाई गई थी। ऐसी ह

इतिहास की झलक (उजुल सी)

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★ सामंती राज व्यवस्था तक उत्तरकाशी क्षेत्र के लोगों को कहा जाता था- सोंगड ★ द ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ हल्द्वानी - डॉ. राम लाल शाह (कुमाऊँ के प्रथम MBBS) ( शुश्रुत और ह्वांगथेनेचिंग   इनकी  रचनाएं हैं। ) ★ यूरोपियन मिस्लेनी पुस्तक के लेखक-  नारायण दत्त तिवारी। ★ किच्छा क्षेत्र का पुराना नाम- दरऊ ★ सितारगंज क्षेत्र का पुराना नाम- लालरखास ★ उत्तराखंड के शिल्पकारों का व्यावसायिक अधिष्ठाता- कल्या लोहार (मान्यता है कि इन्होंने महाभारत युद्ध मे हथियार बनाये थे) ★ मशहूर दानी महिला जसुली दताल प्रति सप्ताह रुपयों को बहाया करती थी- न्यूलामती नदी में। ★ चरवाहे से शासक बनने वाला राजा - बाज बहादुर चंद।

उत्तराखंड महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी।

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© कुली एजेंसी का सर्वप्रथम विचार- गिरिजा दत्त नैथाणी   (ध्यातव्य हो कि प्रथम कुली एजेंसी जोध सिंह नेगी द्वारा 1908 बनाई गई थी।) © बरा कर- भू-व्यवस्था  की देख-रेख करने वाले समस्त कर्मचारियों के लिए लिया जाने वाला कर। © प्रजामण्डल की स्थापना-  23 जनवरी, 1939 © चमेठाखाल सभा का आयोजन- 30 जनवरी, 1921 मुकुन्दीलाल के नेतृत्व में कुली बेगार आंदोलन के समर्थन में। ©  नायक सुधार समिति का गठन- नवंबर 1924 में कुमाऊँ कमिश्नर एन. सी. स्टिप्फ की अध्यक्षता में।           ★(इसके सदस्य- मशाल सिंह, गोविंद बल्लभ पंत, मुकुन्दीलाल, बृजनंदन प्रसाद, चामू सिंह, चतुर सिंह तथा जंगबहादुर थे।)           ★★ मालूम हो कि नायक जाति के लोग अपनी कन्याओं का विवाह न करवाकर उनसे वेश्यावृति करवाते थे, यही उनका आर्थिक स्रोत होता था।  नायक जाति का उद्भव सम्भवतः चंद राजा भारती चंद के समय हुआ जब 12 वर्षीय युद्ध में डोटी महिलाओं के साथ सैनिकों के अवैध सन्तानों की उत्पत्ति से हुआ जिज़ रूढ़िवादी समाज ने स्वीकार नहीं किया अतः उनकी जीवन शैली इसी में रम गयी। © नायक बालिका रक्षा कानून- 1929 © छिवरो जलविद्युत परियोजना - ट

बाबा मोहन उत्तराखंडी लघु जीवन परिचय

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हमने जिस शिद्दत से एक लौ जलाई थी। सोचा था हम रहे न रहे, लेकिन ये जलती रही... ये पंक्ति बाबा मोहन उत्तराखंडी के संघर्षों को बयां करती है।                 राज्य निर्माण के लिए बाबा मोहन उत्तराखंडी ने वर्ष 1997 से आमरण अनशन से संघर्ष शुरू किया। 13 बार उन्होंने आमरण अनशन कर उन्होंने पहाड़ को एक करने में भी अहम भूमिका निभाई। वहीं शासन/प्रशासन (केंद्र व यूपी सरकारों) को उत्तराखंड निर्माण के बार-बार सोचने पर मजबूर किया। सरकारी नौकरी के साथ घर, परिवार को छोड़कर उन्होंने पहाड़ में आंदोलन की एक नई रूपरेखा रची। नवंबर 2000 को उत्तराखंड देश के नक्शे में नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आया, लेकिन गैरसैंण राजधानी का सपना साकार होना अब भी शेष था। उन्होंने अपना आखिरी आमरण अनश न वेणीताल स्थित "टोपरी उडयार"  में 2 जुलाई 2004 को शुरू किया। 37वें दिन 8 अगस्त को उन्हें कर्णप्रयाग तहसील प्रशासन द्वारा जबरन उठाकर सीएचसी में भर्ती किया गया, जहां उन्होंने रात्रि को दम तोड़ दिया था। जीवन परिचय                   बाबा मोहन उत्तराखंडी का जन्म वर्ष 1948 में हुआ। पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लाक के बठोल

महत्वपूर्ण उत्तराखंड प्रश्नोत्तरी।

1. हर्बल खेती के जनक- श्याम सुंदर दिगारी ( श्यामला औषधीय कृषि विकास संस्थान के संस्थापक बनबसा चंपावत निवासी, रिटायर्ड ITBP इंस्पेक्टर SPG) 2. उत्तराखंड में यहूदियों के एकमात्र पूजा स्थल - खवाद हाऊस , मुनि की रेती, तपोवन, ऋषिकेश। 3. होमकुंड का निर्माण- 1936 में हवलदार सोहन सिंह और अमृतसर के संत सरदार मोहन सिंह द्वारा स्थापित। 4. चार्लबिले होटल- 1860 में चार्ल्स विल्सन के द्वारा शुरू तत्कालीन देश का सबसे बड़ा होटल, जिसमें 104 कमरें और 400 से अधिक कर्मचारी थे। 1854 से विल्सन के दो पुत्रों चार्ल्स और बेन्द्री (बिले) के नाम पर बनाना शुरू किया।              © देश का एकमात्र होटल जिसकी संरक्षक ब्रिटिश क्वीन थी।              © वर्तमान में इसे लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी के नाम से जाना जाता है।        ■◆ चार्ल्स विल्सन को पहाड़ी विल्सन भी कहा जाता है इनकी पत्नी मुखवा गाँव उत्तरकाशी की महिला रायमती ही।

टिहरी रियासत से कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तरी।

★ वीर गब्बर सिंह नेगी (विक्टोरिया क्रॉस) का स्मारक- 1925 चम्बा, टिहरी में ये प्रथम विश्व युद्ध के वीर थे। ( नरेंद्र शाह द्वारा बनवाया गया ।) ★ पांच भाई कठैतों का सम्बंध- फतेहशाह के समय से है, जो उनके मामा थे। (गढ़वाल में स्यून्दी-सुपु और चुल कर इनके द्वारा ही शुरू किया गया।) ★ सिक्ख गुरु रामराय को देहरादून में भूमि दान देने वाले शासक- फतेहशाह। ★ गढ़वाल का स्वर्णकाल - फतेहशाह के काल को ही कहा जाता है। इसके काल में रतन कवि ने फतेह प्रकाश , कविराज सुखदेव ने वृत कौमुदी तथा वृत विचार ग्रंथो की रचना की। ★ फतेहशाह प्रथम गढ़वाली शासक थे जिन्होंने राज्य में नवरत्न व्यवस्था शुरू की। ★ तिहाड़ कर के विरोध में सकलाना (अठुर) विद्रोह का नेतृत्व- श्री बद्री सिंह असवाल (1851) (इसके बाद बारह आना बीसी नियम की शुरुआत 1861 में हुई।) ★  पाला विसाऊ नामक कर की समाप्ति का श्रेय- लछम सिंह कठैत (लछमू) ( प्रताप शाह के समय ) ★  उचित लेन-देन व्यवस्था हेतु बैंक ऑफ गढ़वाल का सृजन- महाराजा कृति शाह द्वारा।           (© इन्होंने 1891 में महारानी विक्टोरिया की हीरक जयंती के स्मारक के रूप में घण्टाघर टिहरी

हर्षदेव ओली

काली कुमाऊं के मुसोलिनी के नाम आए भी पुकारे जाने वाले हर्षदेव ओली का जन्म 1890 में ग्राम गोशनी, खेतीखान चंपावत में हुआ था। ◆ वह एक शुरुआती पत्रकार एवं कुमाऊँ मण्डल के प्रमुख स्वाधीनता सेनानी थे। उनके कारनामों के कारण गोरे शासक उन्हें मुसोलिनी कहते थे, वहीं कुमाऊं की जनता में वह टाइगर या काली कुमाऊँ का शेर नाम से प्रसिद्ध थे। ◆ सबसे पहले वह स्वामी विवेकानन्द द्वारा खेतीखान के निकट मायावती आश्रम से प्रकाशित   ''प्रबुद्ध भारत'' के प्रकाशन से जुड़े थे। ◆ 1914 में ITD प्रेस के प्रबंधक बने। ◆ 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में पंडित मोती लाल नेहरू के सम्पर्क में आये। ◆ 5 फरवरी, 1919 में मोतीलाल नेहरू ने जब इलाहाबाद से इंडिपेंडेंट का प्रकाशन किया तो हर्षदेव जोशी इनके उप सम्पादक नियुक्त हुए। 1920 में सम्पादक बने। ◆ 1923 में नाभा एस्टेट के राजा रिपुदमन सिंह ने ओली को अपना सलाहकार नियुक्त किया। ◆ 1924 में फारेस्ट ग्रीवेंस कमेटी के उपाध्यक्ष बने। ◆ 12 अगस्त, 1930 देवीधुरा मेले में भाषण के चलते गिरफ्तार हुए। ◆ श्री लाल बहादुर शास्त्री 1934 में गोसनी गाँव मे इनके