उत्तराखंड मूर्ति आधारित प्रश्न।

उत्तराखंड में कला प्रागैतिहासिक काल से ही अपना विशिष्ट स्थान बनाने में समर्थ रही है, चाहे लाखू उडियार हो या अन्य समकालीन स्थल कला और उसके माध्यम से इतिहास का विवरण मिलता है। लगभग 20वीं सदी में मूर्तिकला चरम पर रही। 20वीं सदी में मूर्तिकला का मुख्य केंद्र बिंदु श्रीनगर रहा है।


■◆  शिव की वज्रासन मूर्ति- केदारनाथ

■◆ देवलगढ़ मूर्ति- भगवान विष्णु की

■◆ विष्णु की वामन मूर्ति- काशीपुर

■◆ ब्रह्मा की मूर्तियां- रत्नदेव मंदिर, द्वाराहाट तथा बैजनाथ संग्रहालय।

■◆ नृत्य मुद्रा की शिवमूर्ति- नटराज मंदिर, जागेश्वर तथा गोपेश्वर मंदिर में

■◆ वीर्यसन मुद्रा में शिव मूर्ति- बैजनाथ

■◆ शिव की संहारक मूर्ति- लाखामण्डल (धनुषाकार मुद्रा में)

■◆ नृत्याकार गणपति की मूर्ति- जोशीमठ (8 भुजाओं से युक्त)

■◆ हस्तमुद्रा में पार्वती की मूर्ति- मेखण्डा, रुद्रप्रयाग।

■◆ शेष शयन मूर्ति- बैजनाथ & द्वाराहाट।

■◆ तपस्यारत गौरी प्रतिमा- लाखामण्डल

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