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डाउनलोड करें 2019 वन रिपोर्ट

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            यूकेपीडिया पुस्तक में जो वनों का आकड़ा प्रस्तुत किया गया है वह वर्ष 2017-18 की वन सांख्यिकी की रिपोर्ट के अनुसार प्रस्तुत किया गया है।       यह भी अवगत कराना है कि उक्त आंकडे़ अन्तिम थे। 2018-19 के उत्तराखण्ड के आंकड़े वन विभाग उत्तराखण्ड सरकार द्वारा विवाद की स्थिति के कारण प्रकाशित नहीं किये गये हैं।  भारत सरकार द्वारा 2019 वन रिपोर्ट प्रकाशित की जा चुकी है। जिसे निम्नानुसार उत्तराखण्ड वाला हिस्सा आप लोगों के लिए प्रस्तुत है।  डाउनलोड करने हेतु निम्न लिंक पर क्लिक करें।   डाउनलोड  2019 वन रिपोर्ट

10 महत्पवपूर्ण सवाल मिशन UKSSSC सीरीज-12

 1. गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण का निर्माण कब किया गया ? ( A ) 2014                              ( B ) 2012 ( C ) 2010                              ( D ) 2009   ✓   2. 1901 में रियासत टिहरी गजट का प्रकाषन किस शासक ने करवाया- ( A ) भवानी शाह      ( B ) कीर्तिशाह   ✓ ( C ) नरेन्द्रशाह        ( D ) इनमें से कोई नहीं   3. उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के 11 वें मुख्य न्यायाधीष हैं- ( A ) एस 0 एच 0 कपाड़िया ( B ) आर 0 एस 0 चैहान   ✓ ( C ) रमेष रंगनाथन     ( D ) के 0 एम 0 जोसफ   4. लास्या नृत्य का सम्बन्ध किस जनजाति से है ? ( A ) जौनसारी        ( B ) थारू ( C ) भोटिया   ✓                  ( D ) राजी   5. मोनाल परियोजना सम्बन्धित है- ( A ) किषारियों से   ✓            ( B ) राज्य पक्षी से ( C ) भिक्षावृत्ति से         ( D ) इनमें से कोई नहीं   6. उत्तराखण्ड के औली में शीतकालीन हिमक्रीड़ा स्थल एवं रज्जुमार्ग (औली परियोजना) का शुभारंभ कब किया गया था ? ( A ) जुलाई , 1981                 ( B ) जुलाई , 1982 ( C ) जुलाई , 1983     ✓               ( D ) जुलाई ,

उत्तराखण्ड भाषा का विकास भाग-02 गढ़वाली भाषा

गढ़वाली बोली - ग्रियर्सन ने भारतीय भाषाओं का वर्गीकरण करते हुए पहाड़ी समुदाय में केन्द्रीय उपशाखा के अन्तर्गत गढ़वाली को भी शामिल किया गया है। मैक्समूलर ने अपनी पुस्तक साइन्स आफ लैंग्वेज में गढ़वाली को प्राकृतिक भाषा का एक रूप माना है। सम्भवतः गढ़वाली भाषा का प्रथम नमूना पंवार शासक जगतपाल के देवप्रयाग ताम्रपत्र(1455ई0) में मिलता है। पंवार युग में गढ़वाली राजभाषा थी। 1750 तक गढ़वाली अभिलेखों एवं दस्तावेजों की ही भाषा मानी जाती है। साहित्यिक रूप में 1780 ई0 में समैणा और 1792 में उखेल नामक पुस्तकें गद्य में लिखी गई है।   गढ़वाली की विविध बोलियां - गढ़वाली भाषा की आठ बोलियाँ मानी जाती है- 1.  श्रीनगरी- श्रीनगर , पौड़ी , देवल क्षेत्रों में बोली जाती है।    2.  नागपुरिया- यह बोली चमोली जनपद की नागपुर पट्टी और उसके उत्तर पश्चिमी समीपवर्ती क्षेत्रों में बोली जाती है। 3.   दसौल्या- दसौली पट्टी , चमोली जनपद और उसके आस-पास के क्षेत्रों में है। 4.   बधाणी- चमोली जनपद का नंनाकिनी और पिंडर नदियों के मध्यवर्ती क्षेत्र बधाण कहलाता है। 5.  राठी- कुमाऊँ का पौड़ी गढ़वाली का सीमान्त क्षेत्र राठ कहलात

हिमालय की आराध्या माँ नन्दा

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  हिमालय की आराध्या माँ नन्दा नन्दा की उत्पत्ति - स्व 0 डा 0 शिव प्रसाद नैथानी के अनुसार नन्दा मूल रूप से सुमेरियाई लोगों की मातृदेवी थी जिसे नन्ना कहा जाता था। उत्तराखण्ड की खस जाति का उद्गम मध्य एशिया माना जाता है। डा 0 डी 0 डी 0 शर्मा ने कैस्पियन सागर का नामकरण कस्साइट जाति से होना तथा कस्साइट जाति को खसों से जोड़ते हैं। नन्दा देवी को मूल रूप से मध्य एशिया की इसी कस्साइट जाति से जोड़ा जाता है जिसे उत्तराखण्ड तथा नेपाल हिमालय में खस कहा जाता है। हिन्दु धार्मिक ग्रन्थों में देवी के 108 नामों में हिमवान भाग में नन्दा देवी का नाम मिलता है। नन्दा को कृष्ण-बलराम की बहिन भी माना जाता है। नन्दा देवी को देवी सती का स्वरूप भी माना जाता है। बदरीनाथ के चार ताम्रपत्रों में स्पष्ट कार्तिकेयपुर के राजाओं ललितसुरदेव , पदमदेव तथा सुभिक्षराज ने नन्दा देवी को अपनी ईष्टदेवी घोषित की है। एक ताम्रपत्र जोकि 853 ई 0 का है में ललितसुरदेव ने लिखा है वे नंदा भगवती के असीम भक्त थे। नन्दा देवी के प्रमुख मंदिर नन्दा राजजात यात्रा - राजजात यात्रा 280 किमी लम्बी साहसिक , रमणीय , सुंदर , विस्मयकारी ,