हिमालय की आराध्या माँ नन्दा

 

हिमालय की आराध्या माँ नन्दा

नन्दा की उत्पत्ति- स्व0 डा0 शिव प्रसाद नैथानी के अनुसार नन्दा मूल रूप से सुमेरियाई लोगों की मातृदेवी थी जिसे नन्ना कहा जाता था। उत्तराखण्ड की खस जाति का उद्गम मध्य एशिया माना जाता है। डा0 डी0डी0 शर्मा ने कैस्पियन सागर का नामकरण कस्साइट जाति से होना तथा कस्साइट जाति को खसों से जोड़ते हैं। नन्दा देवी को मूल रूप से मध्य एशिया की इसी कस्साइट जाति से जोड़ा जाता है जिसे उत्तराखण्ड तथा नेपाल हिमालय में खस कहा जाता है। हिन्दु धार्मिक ग्रन्थों में देवी के 108 नामों में हिमवान भाग में नन्दा देवी का नाम मिलता है। नन्दा को कृष्ण-बलराम की बहिन भी माना जाता है। नन्दा देवी को देवी सती का स्वरूप भी माना जाता है।

बदरीनाथ के चार ताम्रपत्रों में स्पष्ट कार्तिकेयपुर के राजाओं ललितसुरदेव, पदमदेव तथा सुभिक्षराज ने नन्दा देवी को अपनी ईष्टदेवी घोषित की है। एक ताम्रपत्र जोकि 8530 का है में ललितसुरदेव ने लिखा है वे नंदा भगवती के असीम भक्त थे।

नन्दा देवी के प्रमुख मंदिर


नन्दा राजजात यात्रा
- राजजात यात्रा 280 किमी लम्बी साहसिक, रमणीय, सुंदर, विस्मयकारी, साहसिक तथा सुखद यात्रा है। यह कौतुहल के साथ ही जैव विविधता का परिचय कराने वाली अद्वितीय राजयात्रा है। ऐतिहासिक संदर्भ के आधार पर माना जाता है कि यह यात्रा नवीं सदी में राजा शालिपाल द्वारा शुरू की गई थी। इस यात्रा के अध्यक्ष कुँवर एवं मंत्री नौटियाल होते हैं। 12वीं सदी में कन्नौज के राजा यशधवल भी इस यात्रा में आये थे जो रूपकुंड से आगे नहीं जा सके थे। पंडित देवराम नौटियाल के एक लेख के अनुसार अब तक आयोजित राजयात्राएं निम्न प्रकार हैं-

1-      1843

2-      1863

3-      1886

4-      1904

5-      1925

6-      1933

7-      1952

8-      1968

9-      1987

10-   2000

11-   2014

अगली यात्रा 2026 में सम्भव है।

नन्दा देवी राजजात यात्रा पड़ाव

नन्दा देवी राजजात यात्रा के विभिन्न पड़ाव- राजजात यात्रा शुरू होने से पहले दिन चैसिंग्या खाण्डु के जन्में गांव से कांसुवा पहुंचाया जाता है। 

1-   इड़ाबधाणी- यह यात्रा नौटी से शुरू होकर इड़ाबधाणी तक जाती है।

2-   नौटी- दूसरा पड़ाव पुनः इड़ाबधाणी से नौटी तक होता है।

3-   कांसुवा- कांसुवा माना जाता है कनकपाल के छोटे भाई अथवा कांसा भाई इस गांव में आकर बसा था तब से इसे कांसुवा कहा जाता है। यहां तीसरा पड़ाव आयोजित होता है।

4-   सेम- कांसुवा-चांदपुरगढ़ी के मध्य महादेवघाट की गुफा है जहां प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन होते हैं।

5-   कोटि- कोटि में भगवती की पाषाणयुगीन कला में काले पत्थर की मूर्तियां हैं।

6-   भगोती- कोटि से भगोती 12 किमी यात्रा के बाद भगोती में अगला पड़ाव होता है। यह नन्दा देवी के मायके क्षेत्र का अन्तिम पड़ाव है। इसके बाद मींग गधेरे से नन्दा देवी का ससुराल क्षेत्र प्रारम्भ हो जाता है।

7-   कुलसारी- यह ससुराल क्षेत्र का पहला पड़ाव है। यहां देवी मंदिरों का निर्माण कल्यूर शिल्प शैली में हुआ है।

8-   चेपड्यूँ- सह बुटोला थोकदारों का गांव है। यहां मंदिर तो नहीं है पर यहां के थोकदारों के घरों में ही यात्री ठहरते है।

9-   नंदकेशरी- इस स्थान पर कुमाउं से आने वाली राजजात मुख्य राजजात में मिलती है। नंदकेशरी के सम्बन्ध में कहा जाता है कि नंदा के केश सुराई वृक्ष पर उलझ गये थे। देवी द्वारा शिव को याद करने पर शिव प्रकट हो गये मगर सुराईं वृक्ष भेद में आने के कारण वे पेड़ को छू नहीं कर पाए। तब शिवगण भैरव ने नंदा के केशों को अलग किया इसलिए इसे नंदकेशरी कहते है। 

10- फल्दियागांव- इसके निकट ही पूर्णा के सेरे हैं, जहां देवी ने गेहूं को श्राप दिया था।

11- मुदोली- इस स्थान के निकट ही देवी ने पिल्हवा नामक दैत्य का संहार किया था।

12- वाण- वाण के लाटू मंदिर में जात्रा का विश्राम होता है। लाटू देवता के कपाट यात्रा के पहुंचने पर ही खोले जाते हैं।

13- गैरोलीपातल- कैलगंगा नदी में यात्री स्नान इत्यादि करते हैं।

14- पातरनचैंणिया- इसका पुराना नाम निरालीधार था। इस स्थान से आगे महिला यात्रि नहीं जाते हैं।

15- शिलासमुद्र- इसे स्थानीय बोली में यमराज की गली कहा जाता है, यह ऐसा स्थल है जो समुद्र जो हिमशिलाओं से निर्मित हुआ है।

16- चंदनियाघट- यहां से आगे होमकुण्ड तक यात्रा जाती है तथा इस पड़ाव के बाद यात्रा वापस मुड़ जाती है।  

17- सुतोल- यात्रीगण वापसी में सुतोल में विश्राम करते हैं।

18- घाट- यह वापसी की यात्रा मार्ग का अंतिम पड़ाव है, यहां से यात्री नौटी अथवा अपने मूल स्थानों की ओर लौटने लगते हैं।

19- घाट से नौटी- यह आखिरी पड़ाव था, यहां से यात्री नौटी गांव को लौटते हैं।


    इस पूरे यात्रा काल में नौटी में राजगुरू श्रीमद्भागवत् का पाठ करते हैं। राजजात में रिंगाल की बनी रंग-बिरंगी छंतोलियां होती है। इस आर्टिकल को और बढ़ाया जा सकता है यदि आपने कमेंट में इच्छा व्यक्त की तो।


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