गाडू-घड़ी यात्रा क्या है?
यह यात्रा नरेंद्रनगर के राजमहल से शुरू होती है। यहां टिहरी राजपरिवार की सुहागिन महिलाएं पीले वस्त्र धारण कर पारंपरिक तरीके से तिल का तेल निकालती हैं। इस तेल को एक पवित्र कलश ('गाडू घड़ा') में भरा जाता है। पूजा-अर्चना के बाद, यह कलश डिमर गांव के पुजारी को सौंप दिया जाता है, जो इसे विभिन्न पड़ावों से होते हुए बद्रीनाथ धाम तक ले जाते हैं। गाडू-घड़ी यात्रा का महत्व: * बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की शुरुआत: यह यात्रा बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया की शुरुआत मानी जाती है। * भगवान बद्रीनाथ का अभिषेक: इस कलश में भरे गए तिल के तेल का उपयोग बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने पर भगवान बद्री विशाल के प्रथम अभिषेक और पूरे वर्ष उनकी प्रतिमा पर लेप करने के लिए किया जाता है। * राजपरिवार की भूमिका: टिहरी राजपरिवार इस परंपरा को सदियों से निभाता आ रहा है और उनका इसमें महत्वपूर्ण योगदान है। माना जाता है कि टिहरी के राजा भगवान बद्रीनाथ के 'बोलते रूप' हैं। * सांस्कृतिक महत्व: यह यात्रा उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का प्रतीक है, जिसमें स्थानीय लोगों की गह...