उत्तराखण्ड का राज्य वृक्ष बुरांस: एक संपूर्ण विवरण


उत्तराखण्ड की प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक, बुरांस (Rhododendron arboreum) न केवल अपनी सुंदरता के लिए बल्कि पारिस्थितिक, औषधीय और सांस्कृतिक महत्व के लिए भी जाना जाता है । यह उत्तराखण्ड के लोगों के लिए गर्व का विषय है।
वैज्ञानिक रूप से ‘रोडोडेन्ड्रोन अरबोरियम’ कहलाने वाला बुरांस , स्थानीय बोलियों में बुरांश, लाल बुरांश, ब्रास या बरह-के-फूल जैसे नामों से भी जाना जाता है । बुरांस पूरे हिमालयी क्षेत्र और पड़ोसी देशों में 800 से 3000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है । भारत के अलावा, यह भूटान, चीन, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, थाईलैंड, पाकिस्तान और तिब्बत में भी मिलता है ।

स्थानीय तौर पर बुरांश के फूल को कफ्फू फूल भी कहा जाता है। हालांकि कफ्फू शब्द का प्रयोग उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में मोनाल के लिए किया जाता है। सम्भवतः कफ्फू का प्रिय भोजन होने के कारण इसे भी कफ्फू फूल कहा गया हो।

बुरांस: वानस्पतिक विशेषताएं
बुरांस एक सदाबहार झाड़ी या छोटा पेड़ है, जो आमतौर पर 12 मीटर तक ऊंचा होता है । इसके पत्ते गहरे हरे, चमड़े जैसे और 7 से 19 सेमी लंबे होते हैं, जिनकी निचली सतह पर हल्के भूरे रंग के बाल होते हैं । इसके फूल मुख्य रूप से चमकीले लाल रंग के होते हैं, लेकिन गुलाबी और सफेद रंग में भी पाए जाते हैं । फूल घंटी के आकार के और घने गुच्छों में व्यवस्थित होते हैं । यह देर से सर्दी से लेकर शुरुआती गर्मी तक, फरवरी से अप्रैल के बीच खिलता है ।
ऊंचाई के अनुसार बुरांस के फूल के रंग और आकार में परिवर्तन देखा जा सकता है ।

बुरांस का पारिस्थितिक महत्व
उत्तराखण्ड के विभिन्न जिलों में 1500 से 4000 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाने वाला बुरांस , हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इसके फूल मधुमक्खियों, पक्षियों और तितलियों जैसे परागणकों के लिए भोजन का स्रोत हैं । यह मिट्टी के कटाव को रोकने में भी मदद करता है  और इसे एक 'कीस्टोन' प्रजाति माना जाता है।

बुरांस: औषधीय गुण और पारंपरिक उपयोग
बुरांस में कई औषधीय गुण होते हैं और पारंपरिक रूप से इसका उपयोग सिरदर्द, पेट दर्द, खांसी, सर्दी, बुखार और त्वचा की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है । यह हृदय स्वास्थ्य, एनीमिया और मधुमेह के प्रबंधन में भी सहायक माना जाता है ।
वैज्ञानिक अनुसंधान ने इसके एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डायबिटिक गुणों की पुष्टि की है । हालांकि, इसका अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए और गर्भावस्था में सावधानी बरतनी चाहिए । इसकी पत्तियां विषाक्त मानी जाती हैं ।

बुरांस: सांस्कृतिक महत्व और लोककथाएं
उत्तराखण्ड के राज्य वृक्ष के रूप में बुरांस  लोकगीतों और लोककथाओं में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है । एक लोककथा के अनुसार, एक लड़की जो अपनी माँ के लिए तरसते हुए मर गई थी, वह लाल बुरांस के फूल में बदल गई । इसका उपयोग धार्मिक और पारंपरिक समारोहों में भी किया जाता है । यह नेपाल का राष्ट्रीय फूल भी है ।

बुरांस: आर्थिक उपयोग और सतत विकास
बुरांस के फूलों का उपयोग जूस, स्क्वैश, जैम, जेली और शराब जैसे विभिन्न खाद्य उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है । इसकी लकड़ी का उपयोग ईंधन और निर्माण के लिए भी किया जाता है । खिलते हुए बुरांस के दृश्य पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

बुरांस: संरक्षण स्थिति और खतरे
जलवायु परिवर्तन और अति-शोषण बुरांस के लिए प्रमुख खतरे हैं । फूलों का समय से पहले खिलना और आवास का नुकसान इसकी आबादी को प्रभावित कर रहा है ।

बुरांस: सतत उपयोग और वृक्षारोपण
बुरांस का सतत उपयोग और वृक्षारोपण महत्वपूर्ण है । सतत कटाई के तरीकों को अपनाना और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना आवश्यक है।
निष्कर्ष
बुरांस उत्तराखण्ड की एक अनमोल धरोहर है जिसका संरक्षण हम सभी की जिम्मेदारी है। इसके महत्व को समझकर और उचित कदम उठाकर हम इसकी सुंदरता और लाभों को भविष्य के लिए सुनिश्चित कर सकते हैं।

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