कोटी बनाल के पंचपुरा भवन



     उत्तराखण्ड यानि नवीन पर्वत हिमालय का क्षेत्र का है और यहां आपदायें जैसे कि दिन के बाद रात की तरह आती रहती है। 01 सितम्बर, 1803 का गढ़वाल का ऐतिहासिक भूकम्प हो या वर्ष 2013 की आपदा हो दोनों के बावजूद हमारी परिस्थितियों में बहुत अन्तर देखने को नहीं मिलता है। इन्हीं सब विपदाओं के बीच भी बनाल पट्टी, उत्तरकाशी के ग्रामीणों ने सालों पहले ही वैज्ञानिक तरीके से भवनों का निर्माण शुरू कर दिया। 

    यहां के पंचपुरा भवन आज भी विज्ञान के लिए पहेली बने हुए हैं। पंचपुरा भवन उत्तरकाशी के कई क्षेत्रों में देखने को मिलते हैं। आजकल की बिल्डिंगें कुछ ही साल तक टिक पाती हैं पर पहाड़ में बने पंचपुरा भवन ना जाने कितनी सदियों से ऐसे ही अडिग अचल खड़े हैं। उत्तराखण्ड  क्षेत्र कई बड़े भूकंपों का गवाह रहा है। लेकिन हैरानी की बात है कि ये भूकंप भी पंचपुरा भवनों की नींव को हिला नहीं पाए। विज्ञान भी इन भवनों का रहस्य खोजने में जुटा हुआ हैए ताकि भूकंप के समय होने वाले जान.माल के नुकसान से बचा जा सके। उत्तरकाशी के मोरीए बड़कोटए पुरोला और उपला टकनौर क्षेत्र में कोटि बनाल शैली के भवन देखने को मिलते हैं। पुराने समय में पंचपुरा भवनों को पहाड़ की आर्थिक समृद्धि का प्रतीक माना जाता था। ये भवन स्थापत्य और विज्ञान का शानदार नमूना हैं भूकंप के झटकों को भी ये आसानी से सह लेते हैं।

एक डाॅक्यूमेंटरी फिल्म भी बनी है।

    पारंपरिक घरों की जगह सीमेंट कंक्रीट से बने मकानों ने ले ली है, पर आज भी जौनसार-बावर क्षेत्र में कोटि बनाल शैली से बने घर देखने को मिल जाते हैं। ये भूकंपरोधी होने के साथ ही इको फ्रैंडली भी होते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि तिलोथ के वीर भड़ नरू बिजोला रैथल के राणा गजे सिंह और झाला गांव के वीर सिंह रौतेला के पंचपुरा भवन दशकों बीत जाने के बाद भी गर्व से खड़े हैं। इन्हें देख आप उत्तराखंड के गौरवशाली इतिहास को फिर से जी सकते हैं। सशक्त भवन निर्माण शैली का प्रतीक रहे पंचपुरा भवनों को भूकंप और प्राकृतिक आपदा भी डिगा नहीं सकी। आपको बता दें कि कोटी बनाल शैली के इन्हीं घरों पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म कोटि बनाल ने एशिया के सबसे बड़े ग्रीन फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड हासिल किया है। डॉक्यूमेंट्री कोटि बनाल का निर्माण पहाड़ के शिक्षक श्रीनिवास ओली ने किया है, ये फिल्म सीएमएस वातावरण इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में छाई रही। फिल्म ने सेलिब्रेटिंग हिमालयाज कैटेगरी में बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड हासिल किया।


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