कुमाऊँनी मुहावरे और लोकोक्तियाँ भाग-01

 अभागि कौतिक गो,  कौतिकै नि है
अर्थात
जिसकी किस्मत साथ ना दे वह कही भी सुख प्राप्त नहीं कर पाता

अघैईं बामणै कि भैंसेन खीर
अर्थात
जब किसी का पेट भरा हो तो उसे स्वादिष्ट व्यंजन में भी दोष नजर आते हैं

अकल और उमर कैं कभैं भेट नि हुनि
अर्थात
हर व्यक्ति की बुद्धि का विकास उसकी आयु तथा अनुभव के अनुसार ही होता है
तथा हर काम अपने नियत समय पर ही संपन्न होता है

अघिन कुकेलि पछिन मिठी...
अर्थात
ऐसी बात जो कड़वी लगे, पर वास्तव में फायदेमंद हो

अपजसी भाग पर म्यहोवक फूल
अर्थात
जिसकी किस्मत साथ ना दे वह हर हाल में परेशान रहता है

अपणा जोगि  जोगता, पल्ले गौं का संत
अर्थात
अपने क्षेत्र/घर के लोगों की क़द्र ना करना

अमुसि दिन गौ बल्द लै ठाड़ उठूँ
अर्थात
जब आपत्ति आती है तो हर व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता के साथ अपना बचाव करता है

अनाव चोट कनाव पड़न
अर्थात
घबराहट या अनाड़ीपन में उल्टा सीधा काम करना, बुद्धि व विवेक से काम नहीं करना

अन्यारै कि मार खबर नै सार
अर्थात
 किसी कार्य का सही प्रचार व प्रसार नहीं होगा तो कोई भी कैसे जानेगा

असोज में करेले कार्तिक में दही, मरे नहीं पड़े सही

अर्थात
समय व आवश्यकता के अनुसार ही किसी वस्तु को प्रयोग में लाना चाहिए

अस्सी गिचाँ दगड़ि कैलै नि सकि
अर्थात
झूठी अफवाह को रोकना किसी एक व्यक्ति के बस में नहीं रह जाता
 

अति बिराऊँ में मूस नि मरन
किसी कार्य के लिए आवश्यकता से अधिक लोग होने पर काम सफल नहीं होगा


आंग में नि भै लत्ता, जांण भै कलकत्ता
अर्थात
बिना किसी तैयारी के किसी काम को करने का निर्णय करना


आपुण खुट जांण, पराई खुट ऊंण
अर्थात
किसी से मिलने जाने पर वहां से वापसी दूसरे पर निर्भर होती है

आपूं जोगी बगि रौ, दूहरौंक ख्वर हाथ

अर्थात
अपने खुद मुसीबत में है पर दुसरे की समस्या का समाधान करने का नाटक

आपूं मरि बिगैर स्वर्ग नि देखिं
अर्थात
अपने किये बगैर कोई काम का अनुभव नहीं हो सकता

आपूं हिटणी रीता, औरों कैं पढ़ौनी गीता
अर्थात
अपने तो किसी काम के नहीं औरों को उपदेश देना

आफि नैग, आफि पैग
अर्थात
सब श्रेय अपने आप को ही देना

आफि औतारि, आफि पुजारी
अर्थात
हर बात में अपने को शामिल आकर लेना

आपुण बखतम पाणि है लै पतव
अर्थात
अपना काम निकालने के लिए चापलूसी करना

आपुण मुलूकौक ढुंग लै चुपड़
या
आपुण मैतौक, कुकुर लै प्यार
अर्थात
अपने क्षेत्र/घर की हर वस्तु से व्यक्ति प्यार करता है

आपुण सुनै जै ख्वट, तो परखणिक क्ये दोष
अर्थात
अगर अपने पक्ष से ही बुराई हो तो दूसरे को दोषी नहीं बता सकते

आपुण हाथ जगन्नाथ
अर्थात
जैसे हिंदी में अपने हाथ का हुनर भगवान है



इकल ढुंग,  लोटिनै रै
अर्थात
अकेला व्यक्ति जहां तहां भटकता रहता है

इकलू बानर जस
अर्थात
कम सामाजिक या अकेला रहने वाला व्यक्ति

इकारि इकारि लगौण
अर्थात
दूसरे की बात सुने बिना अपनी ही बात दुहराते जाना

इकलि पराणि, जां लै टोपि रै
अर्थात
अकेले व्यक्ति का पक्का ठिकाना नहीं होता

इकलि पराणि, यतुक धाणि
अर्थात
कार्य का अत्यधिक भार होना

ईकॉई लगौंण
अर्थात
एक समय खाने की आदत बनाना

ईजैल लगै यौ लोकेकि, बाब लगौनि पर लोकैकि
अर्थात
परिवार/समूह के अंदर ही गहरे मतभेद होना

ईजौक ना बाबौक, पिनाऊक गाबक
अर्थात
सबसे असम्बद्ध रहने वाला व्यक्

ईतर हारौ, तेल जितौ
अर्थात
ज्यादा आकर्षक मित्रता कम टिकती है (जैसे ईत्र उड़ जाता है, तेल मौजूद रहता है)

ईज्जत डुबौंण
अर्थात
सम्मान गंवा देना (ईज्जत डुबा देना)

ईज्जत उतारण
अर्थात
दूसरे की बेईज्जती करना (ईज्जत उतारना)



उजै कि पूज
कर्मठ व्यक्ति को हर जगह सम्मान प्राप्त होता है



एक आँखक उज्याव
अर्थात
अकेली औलाद पर भरोसा या जिम्मेदारी होना

एक कावाक नौ काव
अर्थात
एक बात से अनेक बात पैदा होना /बात का बतंगड़ बन जाना

एकै खाड़ाक पिनाऊ
अर्थात
एक ही तरह के नालायक

एक खुटि में नाचण
अर्थात
ज्यादा ही उत्साहित होकर अपनी क्षमता से अधिक कार्य करना

एक गौं एक गाड़, दूर नै टाड़
अर्थात
अत्यधिक निकट की जान-पहचान होना

एक गंगोलिया, सौ को रिंगोलिया
अर्थात
गंगोलि (गंगोलीहाट वाले लोग) बहुत चतुर माने जाते हैं

एक तयि रोटि लै खोटि, एक तरफ़ि माया लै खोटि
अर्थात
एक तरफ़ आधी पकी रोटी की तरह एक ही तरफ़ से स्नेह ठीक नही होता

एक तिलौक गूद, सात भै-बैणी बांट खै
अर्थात
आपस के प्रेम में बंटवारे के लिए कोई विवाद नही होता

एक दांतौक मोल दि, बत्तीस दांत खोल दि
अर्थात
छ्ल-कपट कर किसी की वस्तुओं पर अधिकार करना

एक दिनौक पुन, द्वि दिनौक पुन, तिसार दिन भैंसाक दुन
अर्थात
मेहमान कुछ समय के लिऎ ही पुज्य होता है

एक बखत मरि जाण, आपुण परायि देखि जाण

अर्थात
संकट के समय ही सच्चे हितैशियों की पहचान होती है

एक सींगि बल्द सार परिवार पालूं
अर्थात
एक कमजोर व्यक्ति पर सारे परिवार कि जिम्मेदारी

एक सुड़ूक में स्वाद, एक झलक में संसार
अर्थात
अच्छा स्वाद व अच्छा दृश्य छुप नहीं पाता




और खेल, और खेल, आँख ड्यामणाक खेल
अर्थात
ऐसे काम करना जिसमें हर हाल में नुकसान ही हो



क्ये शोकैल खै, क्ये रोगैल खै
अर्थात
रोग और शोक एक साथ होना और ऐसा ऐसा होने पर व्यक्ति का बचना मुश्किल हो जाता है

कण्टर बांधण

अर्थात
बोरिया बिस्तर सहित बाहर करना

काच आरु लौण हुण तोड़ी
अर्थात
अनुभवहीनता वाले कार्य करन

काणिक ब्या में नौ खचाव
अर्थात
विवादास्पद व्यक्ति के हर कार्य में समस्या

कांण भैंसाक ज आंख
अर्थात
एक ही पक्ष को देखना या जिधर मन किया उसका पक्ष करन

काँ जै भट्ट भूट, काँ जै चिड़ चिड़ उठ
अर्थात
कहीं की बात में कही विवाद करन

काँ जै गरज, काँ जै बरस
अर्थात
कोई तालमेल ना होना

काँ तक जालै माछा तू, आलै म्यारै ग्वाद
अर्थात
हर किसी की एक सीमा है जिस सीमा के बाहर वह नहीं जा सकत

काँ राजुली शौक्याण, काँ जै दानपुर
अर्थात
मनुस्य तथा जगह का कोई तालमेल ना होना

काँ राजै की राणि, काँ भगतुवै कि काणि
अर्थात
दो बेमेल व्यक्तियों की तुलना करना

कुकुर में बिराऊ लफाउण
अर्थात
किसी को जानबूझकर मुसीबत में डालना या झगड़ा करवान

कुकुराक घर कपास
अर्थात
किसी वस्तु की क़द्र ना करना

कुकुरा जब नि औं त्यार गौं,  काँ बै बुकालै मेरि मौ

अर्थात
जब किसी से सम्बन्ध ही नहीं रहेगा तो उसका रौब कहां चलेगा

कुकुराक पूछड़ में थेलुवा बाँधौ, आजि बाँगो, आजि बाँगो

अर्थात
कुत्ते  पूंछ टेढ़ी की टेढ़ी या कोई फ़र्क़ ना पड़ना

कुकुर मुख लगै थोव चाटो, ज्वे मुख लगै, चुई काटो
अर्थात
किसी को भी जरुरत से ज्यादा अहमियत नहीं देनी चाहिए

कुनई क्ये देखछा, मुनई देखो
अर्थात
भाग्य नहीं मनुष्य के  कर्म देखो

कुल्ली जै छै, चै के रौछै?

अर्थात
व्यक्ति का जो काम है उसे उस पर लग जाना चाहिए

कुल्याड़िक घौ, हन्तरौक बुज

अर्थात
किसी समस्या/बीमारी का सही हल/ईलाज ना करना

को लाय काठि पाति, को लाय चुल।
खाण बखत हैरिं, सब ठुलै ठुल।
अर्थात
बिना मेहनत के खाने वाले ज्यादा होते हैं

को जै रयो, को जै रौल.......

अर्थात
सबको एक दिन मर जाना है, अमर कोई नहीं है

कौंण कै एरौ फिर बुलाण, चुप रौणै सोचि नि माणन पराण
अर्थात
दिल की बात हर हाल में जुबान पर आ ही जाती है

कौतिकै कि आँखि घर नि जाणि, ग्यूं कि खापड़ि मडु नि खाणि

अर्थात
अगर आँखों और जीभ को अच्छी वास्तु मिल जाये तो साधारण वस्तुएं पसंद नहीं आती

कौ लाटा काथ, सुण काला तू,
स्यूड़ हरै गोछि, चा काणि तू,
अन्वौ कौ घर लूटौ, दौड़ डूना तू

अर्थात
अक्षम व्यक्ति को कार्य का वितरण




ख्वार बटि खड्ड खोद बेर लड़न
अर्थात
अत्यधिक बहस और तर्क करना

ख्वार बटि सुर्याव खोलण
अर्थात
बहुत ही कठिन कार्य

खवाई बरेती, भुग्तायी गवाह
अर्थात
काम निकल जाने के बाद व्यक्ति का महत्व ख़त्म हो जाता है

खर्चो न खाओ, चोर हूँ पहरावो...
 अर्थात
जरुरी खर्च में भी कंजूसी करते हुए धन संचय करते रहना

खवै पिवै क्ये नै, बीच बाट मारणहूँ ऐ
अर्थात
किसी का सम्मान करने बजाय विवाद करना

खाड़ाक पिनाव खाडै में रै
अर्थात
किसी स्थान तक ही सीमित रहना (कूप मंडूप)

खाण बखत कपाई फुटि
अर्थात
अंतिम समय पर होते होते काम में विघ्न पढ़ना

खाप सुकै दिन
अर्थात
दुसरे को निरुत्तर कर देना

खाय गुड़, बताय पिनाव
अर्थात
करना कुछ कहना कुछ

खायि पी आंग लाग, ली दि दगड़ रै
अर्थात
जो होने खाया वह शरीर को लगता है और जो लेन देन है वह अपने साथ रहता है

खायी के जाणो भुकै बात
अर्थात
जो दर्द झेल रहा होता है वही दर्द को समझ सकता है

खालि छै ब्वारि, म्यर बल्दौक पूछड़ कन्या

अर्थात
दुसरे  खाली देखकर उसे व्यर्थ का कार्य करने  कहना

खांण पिण हूँ क्ये नै, धणि लाशण में जोर

अर्थात
हैसियत ना होने पर भी दिखावे पर जोर देना

खुटाक ताव उड़न

अर्थात
बहुत ज्यादा मेहनत करना

खेति पाति क्ये नै, बण गौंक पधान
अर्थात
बिना किसी हैसियत के शेखी बघारना

खै नि जाणो कसम कांगो, नाच नि जाणो खाव बांगो

अर्थात
अपना दोष दूसरों पर मढ़ना

खै पी बेर जत्ती जस है रौ
अर्थात
व्यक्ति का हृष्ट पुष्ट होना




गढ़वाल कटक तो कुमौं सटक, कुमौं कटक तो गढ़वाल सटक
अर्थात
अवसरवादी होना और विपत्ति से भाग जाना

गलत करला तो चुई बाट निकलौल
अर्थात
गलत करने की सजा मिलेगी

गरिबैकि बात बूस जसि उड़नि भै
अर्थात
गरीब की बात को सब हल्के में लेते हैं

गरिबैकि ज्वे,  सबूंकि भौजि
अर्थात
गरीब की पत्नी को लोग सम्मान नही देते

गरिबैकि मौक नारसिंग
अर्थात
गरीबों का भी भगवान होता है

गाड़ तरि जांठ नि खेड़न
अर्थात
अर्थात जो मुसीबत में साथ दे उसका साथ नही छोड़ते

गाव-गाव ऎ ग्ये
अर्थात
बहुत परेशान और आतंकित हो गया

गाव गाव गाड़ दि

अर्थात
बहुत दु:खी और आतंकित कर दिया

गिज अगास लगै दिण
अर्थात
निरुत्तर कर देना

गिज अगास लागण
अर्थात
निरुत्तर हो जाना

गुड़ अन्यार में लै मिठ, उज्याव में लै मिठ
अर्थात
गुणी व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है

गोरु ना बच्छि, नीन आये अच्छि
अर्थात
कोई जिम्मेदारी ना होने पर व्यक्ति मस्त रह्ता है

गौं क्ये देखछा, गौंक गौंनों के देखो
अर्थात
व्यक्ति के रूप से नहीं आचरण से ही सही पहचान हो जाती है

गंगोलिक लाट, आदू जै पिस्यू आदू जै माट
अर्थात
गंगोली या गंगोलीहाट का साधारण व्यक्ति भी बहुत चालाक होता है




घर आया खांणाक सूज
अर्थात
घर पर आते ही हर किसी को भूख या खाने का ख्याल आता है।

घर जवैं थैं खाणकि खौताव
अर्थात
जिसके पास काम ना तो खाने की ज्यादा रहती है

घर न्हैं लूण दई, च्याल कैं चैं गूड़ दई
अर्थात
अनर्थक या अपेक्षा से अधिक की मांग करना

घर पिनाव, बण पिनाव
मामाक घर गै, वां हाथ लाम पिनाव
अर्थात
किसी वस्तु की बहुतायक हो जाना

घरौक चोर, पड़ोस पन जाग

अर्थात
अपने कमियों को ना देखकर दुसरे की कमियां बताना

घाम तातण
अर्थात
खाली समय व्यतीत करना या बेरोजगार होना

घुरुवौक पिसि, घुरुवौक तेल
औरों कैं द्वि दि, घुरु कैं डेढ़

अर्थात
जिसका सब कुछ है या जो मुख्य है उसी को नजरंदाज करना

घोटनूं तो गिज जगूं, थूकनूं तो दूद छू
अर्थात
कशमकश में कोई निर्णय ना कर पाना




च्यल के देख छा च्यलाक दगड़ि देखो
अर्थात
मनुस्य की संगत से भी उसकी पहचान हो जाती है

च्यल हैबे पूत प्यार, मूल हैबे सूद प्यार
अर्थात
अत्यधिक चालाक और लालची होना

 च्योल हैगो कैबेर भाग नि खुल जान
अर्थात
बेटा हो जाने से ही कोई भाग्यवान नहीं होता या कोई मूल्यवान वस्तु होने
से ही मनुस्य का महत्त्व नहीं बढ़ जाता

चड़ खाय, तितुर-चाखुड़ गाय
अर्थात
अपनी कमी को छुपाना और बड़ा-चढ़ा कर बात करना

चन्द्रैण करण / है जाण

अर्थात किसी को बहुत ज़लील करना या समाज से बाहर करना

चक ज्यू कां छैं! वायुमंडल
अर्थात
बात को अनसुना करना या मगन रहते हुए बात पर ध्यान ना देना

चड़न बखत घ्वड़, लड़न बखत घ्यूँ
अर्थात
जब जरुरत पड़े तभी वस्तु को ढूंढ़ना (लापरवाह होना)

चार गौंक सयाण, अठार गौं में रौं, म्यर काम नि ऐ, तो ऐसी तैसी में जौ
अर्थात
प्रभावशाली होते हुए भी अगर हमारे संपर्क का नहीं है तो हमें भी क्या मतलब

चेलि मांगणी और डॉव हलकौणि कतुक औनि
अर्थात
हमें कोई कमी नहीं है हम अपनी शर्त पर ही काम कराएँगे

चेलि हइये जैसि खिसैण
अर्थात
किसी पुरानी बात से शर्मिंदा होना

चेलि है कौंण ब्वारि कैं सुणौन
अर्थात
कहना किसी से और सुनाना किसी और को (indirect बात करना)

चेलि हैबेर जवै लाड़, च्यौल हैबेर नाति लाड़
अर्थात
रिश्तेदारी में दामाद और पोते की या वस्तुओं में नये की ज्यादा अहमियत होती है

चोर थैं कै चोरि कर, गुसैं थैं कौय चेतायि रये
अर्थात
दोगलापन करना

चोरूं बुतिक जै मोर मरना भाबर रित है जान
अर्थात
किसी भी कार्य को करने के लिए योग्यता का जरुरी है

चौमासैकि घस्यार, ह्यूनैकी रस्यार
अर्थात
अवसर देखकर अपने मतलब का आसान काम पकड़ लेना

चौमासौ'क जर, राजौ'क कर
अर्थात
बरसात में ज्वर को सहज में नहीं लेना चाहिएछन आँखा भ्योव घूरिण
अर्थात
जानबूझकर कोई गलती करना




छन पढियों, हाथ भड़ियौन
अर्थात
जान बूझकर गलतियां करना

छनै की लहर, छनै की पहर

अर्थात
किसी का भी वक्त हमेशा एक सा नहीं रहता है

छनै को छौलियाट, नी छनै को बौल्याट
अर्थात
धन होने पर मनुस्य में अभिमान और ना होने पर बेचैनी रहती है

छप्पन करोड़ की चौथाई
अर्थात
अत्यधिक सम्पति विरासत में होना या मिलना

छप-छपि लागण
अर्थात
वांछित परिणाम या वस्तु मिलने पर संतुष्टि की अनुभूति

छन की नि छन करण
अर्थात
किसी वस्तु के होने पर भी छुपाना और अपने को हीन बताना

छन द्यो अकाव
अर्थात
साधनो के होते हुए भी साधनहीन होना

छनै की छल-बल

अर्थात
अर्थात प्रभावशाली होना, अच्छा प्रभाव होना

छरपट की सैणि, बरपट को खसम
अर्थात
एक से बढ़कर एक जोड़ीदार

छू तो छौलै, नि छु तो बौलै
अर्थात
प्रभावशाली होने पर ईतराना और प्रभाव समाप्त होने पर आपा खोना

छै च्याल जै म्यर होना तो मैं बागोक उड्यार पाई लिन
अर्थात
साधन या आय होने पर उसका उपयोग करना कोई मुश्किल काम नहीं है

छाति छूटण

अर्थात
अत्यधिक उदार हो जाना, दिल खोलकर उदारता दिखाना

छाय करण
अर्थात
संरक्षण देना या कृपा बनाए रखना  (ईश्वर के द्वारा)

छाँ जस फ़ानण
अर्थात
किसी को तसल्ली से डाँटना या धमकाना

छां-दै क्ये लै नै, नौणिक स्वीण
अर्थात
हवाई किले बनाना या मुंगेरीलाल के सपने देखना

छांण बेर पाणि पीण

अर्थात
अत्यधिक सावधानी बरतना

छां हैं जाण, ठ्यक कैं लूकौण

अर्थात
व्यर्थ का एहतियात





ज्यून बाब कैं लात,  मरि बाब कैं भात
अर्थात
माता पिता की जीवित रहते सेवा ना करना और मृत्यु के बाद तरह तरह के ढोंग करना

ज्यौड़क स्याप बणौन
अर्थात
किसी छोटी सी बात बतंगड़ बनाना

ज्वक जस चिपकण
अर्थात
बहुत ही चिपकू स्वभाव

जड़्याक दुश्मण, जड़्याकै सींग
अर्थात
कभी-कभी आदमी के गुण ही उसे मुसीबत में डाल देते हैं

जतुकै लीण गोरुल हग, उतुकै पूछड़ में लटपटाय
अर्थात
जितना काम करना उतना ही बिगाड़ देना या कार्य-कुशल ना होना

जब तक ल्वे, तब तक सब क्वे
अर्थात
अपने सामर्थ्यवान होने तक ही सब पूछते हैं या सुख के सब साथी दुःख का कोई नहीं

जस त्‍यर जाग-जुगत, उस म्‍यार पखोव
अर्थात
जैसे प्रयत्न वैसा ही परिणाम मिलेगा

जस ब्यूं, उसै बालड़
अर्थात
वंशानुगत गुण सन्तान में स्वत: ही होते हैं

जसै नादि उसै जुड़, जसै बाब उसै बुढ़

अर्थात
मनुस्य के लक्षण देखकर ही उसके गुण पता चल जाते हैं

जां कुकुड़ नि हुन, वां रात जै क्ये नि ब्यानि
अर्थात
वस्तु महत्व रखती है पर इतना नहीं की उसके बिना काम ही ना हो

जां नाक छू वां नथ न्हाति, जां नथ छू वां नाक न्हाति

अर्थात
जीवन में सबकुछ किसी को नहीं मिलता

जां बामण भैट चार, वां दिन न बार
अर्थात
अधिक जानकार लोगो के बीच कोई फैसला नहीं  हो पाता

जां बिराऊ नै, वां मुसांक नाच

अर्थात
जहां नियंत्रण नहीं होता वहां अव्यवस्था रहती है

जां स्यूड़ नि अटाण, वां साबव ख़ितण
अर्थात
बेमेल यन्त्र से जबरदस्ती कार्य करना या अतार्किक कार्य करना

जांण नै पछ्यांण, लगै दिशांण
अर्थात
परिचय न होने पर अपने को अति घनिष्ट मित्र बताना

जाँठि जोर, भैंसि चोर
अर्थात
कही पर प्रभुत्व के लिए शक्तिशाली होना जरुरी है

जू कां, जू कां - जू बल्दाक कानिम
अर्थात
किसी वस्तु की तलाश में व्यर्थ का बवंडर करना

जूंवांक डरैल घागरि पैरण जै क्ये छोड़ि दिनी

अर्थात
किसी वस्तु से समस्या होने पर उसका समाधान सोचना चाहिए

जूँवौं'क भैंस

अर्थात
तिल का ताड़ बनाना

जै'क गयी नि चलेलि, वीक नयि क्ये चलेली!
अर्थात
जो भोजन ही कम करेगा वह हृष्ट-पुष्ट कैसे होगा!

जैक घर में धिनाई वीक घर रोजे त्यार

अर्थात
परिवार में दूध दही होना समृद्धि का प्रतीक है

जैक जगदीश, वीक क्ये रीस
अर्थात
जिस पर प्रभु की कृपा हो, उसको किसका डर

जैक जस तैक तस, मुसौक पोथिल मुसै जस
अर्थात
वंशानुगत गुण आगे की पीढ़ी में आ ही जाते हैं

जैक पाप, वीक छाप
अर्थात
गलत कार्य छिपाने पर भी नहीं छिपते

जैक बाब भालुल खाय, ऊ काव खूंट देखि बेर लै डरूं

अर्थात
कोई भयानक दुर्घटना मनुस्य को ज्यादा सतर्क बना देती है

जैक बुढ़ बिगड़, वीक कुड़ बिगड़
अर्थात
परिवार के मुखिया का जिम्मेदार होना चाहिए

जै'क भात खै, वी'कै गीत गै
अर्थात
जिसके अधीन रहे उसी का गुणगान करना

जैक स्यर छुट, वीक भाग फुट
अर्थात
अपनी खेतीबाड़ी या जन्मभूमि को छोड़ना दुर्भाग्य है

जैकि ज्वे नै, वीक क्वे नै
अर्थात
पत्नी सबसे सच्ची साथी होती है

जैकैं लागि गुपट्यौलैल ऊ कौंछ मरि ग्यूं, जैकैं लागि ढुङ्गेल ऊ कौंछ बचि ग्यूं
अर्थात
जिसको कम चोट लगती है या जिसकी कम हानि होती है, वो ज्यादा शोर मचाता है

जैल  थायि, वील पायि
अर्थात
किसी इच्छा की पूर्ती हेतु धैर्य रखना चाहिए

जो झूटो, वो टूटो
अर्थात
झूठे व्यक्ति का भांडा एक बार फूट ही जाता है

जो भाड़ हाथ खित, ग्याँजे ग्याँज मिल
अर्थात
कुछ हाथ ना आना





झक मार बेर झुंगर खै, साजि लै नै बासि खै
अर्थात
परिस्थितियों के अनुसार समझौता करना पड़ता है

झिमौड़क पूड़
अर्थात
बहुत ही सनकी व्यक्ति

झिमौड़क पूड़ में हाथ खितण
अर्थात
बिना किसी कारण मुसीबत लेना

झूठा सच्चा पितर, गया जै बे रै देख्यैल
अर्थात
हर कार्य अपने नियत समय और स्थान के अनुसार ही होगा

झांण झुंडौक समझण
अर्थात
ऐरा गैर समझना
 

झूटि ऊ बुलानेर नि भै, सांचि ऊ कुनेर नि भै
अर्थात
झूठ को ऐसी चालकी से बोलना कि वह सच प्रतीत हो

झूठा ब्या, साँचा न्या

अर्थात
विवाह में झूठ चलता है पर न्याय सच्चे को ही मिलता है
 

झूठी बुलाणी गाड़ पार, जो रैजो दिन चार
अर्थात
कम से कम ऐसा झूठ बोलो जो कुछ समय तक दूसरे को पता ना चले

झूठै'कि जड़ नै
अर्थात
झूठ के पाँव नहीं होते या कोई आधार नहीं होता है





ट्याट खाय सुख पाय
अर्थात
संतुलित भोजन करना और सुखी रहन

ट्याड़ जै खुट भया. भ्योव पड़िये भै
अर्थात
दुर्भाग्य साथ हो तो कुछ सकारात्मक होना मुश्किल है

टक छन त टक टका, न तर झक झका
अर्थात
आर्थिक समृद्धि में ही शक्ति है

टका दी, गजी फाड़ी
अर्थात
नकद पैसा, तुरंत काम (खरी मजदूरी, चोखा काम)

टटुवैल खोला बटु, फिर लै टटुवौ’कौ टटू
अर्थात
ऐसा व्यापार करना जिसमें अपने लगाये धन को भी गंवाना पड़े

टिट्यां कूं बल, सार अगास मिलै थाम रौ
अर्थात
अपने सामर्थ्य के बारे में ज्यादा ही गलतफहमी होना

टिट्यां जास खुट
अर्थात
शारीरिक से कमजोर होना

टुक में टर्र
अर्थात
मुंह का कड़वा पर सहृदय व्यक्ति

टुट कुड़क मुस जस
अर्थात
बिना किसी बंधन के रहना

टेक हुं जांठि ना, खोल हुं गांठि ना
अर्थात
शारीरिक और आर्थिक दोनों तरह से असमर्थ होना






ठग, ठठेरो, चोर, सुनार, खौ कोलि, डाड़ ल्वार
अर्थात
न्याय का अपहरण या घोर अन्याय होना

ठुल आदिम झूठी बुलाणी, सब ऐथां-ऊथां चाँणी
अर्थात
अगर कोई सामर्थ्यवान झूठ बोले तो  कोई भी आसानी से विरोध नहीं करता

ठुल गोर लूंण बुंकां, नान गोर थोव चाटूं
अर्थात
समय तथा परिस्थिति के अनुसार व्यक्ति को देखकर व्यवहार करना

ठुल थुपूड़ाक ठुल सेत. नान थुपूड़ाक नान सेत
अर्थात
प्रतिष्ठित या धनी व्यक्ति में व्यग्रता भी अधिक होती है

ठेकि भरि घ्यूं, बिराऊ लै खै

अर्थात
अयोग्य व्यक्ति द्वारा किसी दूसरे के परिश्रम का फल प्राप्त कर लेना






 

डरा'क पास जै बेर, डर लै डर जां
अर्थात
बार-बार डरते रहने से अच्छा है एक बार डर का सामना करें

डाला'क मुणि सीतण, जाला'क मुणि नि सीतण
अर्थात
अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना

डामि में लूँण खीतण
अर्थात
किसी को अत्यधिक प्रताड़ित करना

डेढ़ पौ चांण, तिबारी में चुल
अर्थात
तंगहाली में भी दिखावा करना

डेढ़ टट्टू, बगीच में ड्यर

अर्थात
किसी वस्तु को अधिक महत्त्व देना

डोटियालि कणि, सोरयालि'क ध्वक
अर्थात
सौतिया डाह या घोर प्रतिद्वंदिता में षड़यंत्र करना






ढक द्वार, हिट हरद्वार
अर्थात
अति शीघ्रता व चंचलता से कार्य करना

ढढ़ू कैं मारण सबूंल देख, दै खांण कै लै नी देख
अर्थात
बिना पूरी बात जाने किसी को दोषी करार देना

ढकिंण ना बिछौंण, फिर लै बड़ी मरोड़
अर्थात
निरर्थक अभिमान करना

ढूंग में ध्वे, हाड़ में सूकै
अर्थात
बहुत ही दीन-हीन हालत में होना

ढूंग में धरण
अर्थात
किसी को बेदखल कर देना

ढेपुवा चोर चोरि ली गै, पराव् में खुशबुसाट
अर्थात

कोई नुक्सान हो जाने के बाद व्यर्थ ढूंढने का प्रयास






त्यर ग्युं'क थैल पिसियों नि पिसियों,धर म्यर भाग।
अर्थात
आपका काम हो, ना हो, मुझे अपना हिस्सा लेना है।

त्यर पास छन गेड़ी, सबे कौल मेरी मेरी
त्यर पास न्हैति गेड़ी, सब लगाल टेड़ी टेड़ी

अर्थात
समृद्ध व्यक्ति के सभी मित्र और सम्बन्धी बनना चाहते हैं

त्यर पिसी में म्यर मिसी

अर्थात
हर काम में टांग डालना और व्यर्थ का विवाद करना

त्यर हाथ सरकौ, म्यर हाथ फरकौ
अर्थात
किसी के उपकार का अधिक मान करना

त्याड़ी देखा, जोशि देखा, मरण बखत करड़िया देखा

अर्थात
विपत्ति में जो साथ दे वही महत्वपूर्ण है

त्यौर ब्या करूँलौ, सौ बरस में
अर्थात
असंगत आश्वासन देना

त्वैकैं’ई नि खाण, त्यौर पेटौ’क लै खाण

अर्थात
अत्यधिक दुष्टता दिखाते हुये किसी की मजबूरी का फ़ायदा उठाना

त्वै में रंग नै, मैं में ढंग नै
अर्थात
एक से बढकर एक अक्षम व्यक्ति

तलब न तन्खा, नाम लछुवा हौलदार
अर्थात
नाम के बड़े दर्शन के छोटे

तलि पेटौ’क पाणि नि हलकुण
अर्थात
व्यर्थ की चिंता करते रहना

तलि गाड़ लै मेरो, मलि गाड़ लै मेरो
अर्थात
अकारण हर जगह अपना हक जतलाना

तव में झोल झन लागौ
अर्थात
किसी को अत्यधिक बद्दुआ देना कि इसके घर में रोटि भी ना बने

तातै खूं, जलि मरुं
अर्थात
अत्यधिक अधीरता दिखाना

तितिरा’क मुखै’कि लछमी
अर्थात
अचानक किसी का भाग्योदय हो जाना

तीन मणौ’क आंग हल्कौण, पर जिबड़ नि हल्कौण
अर्थात
किसी भी स्थिति में जुबान नहीं खोलना

तीन मनखियों’क उन्तीस आँख
अर्थात
तीन व्यक्तियों शुक्राचार्य की एक ,ब्रह्मा की आठ और रावण की बीस आँखें

तुस्यारै’कि कड़कड़, घाम ऊण तक
अर्थात
व्यक्ति की पद-प्रतिष्ठा का अभिमान स्थायी नहीं होता

तू जालै जां, त्यर भाग लै जाल वां
अर्थात
भाग्य के होने को मनुस्य रोक नहि सकता

तू ठगणि'क ठग, मैं जाति'क ठग
अर्थात
एक से बढ़कर दूसरा, कोई चालाकी नहीं चलने देना

तू मैं’कैं खा, मैं त्वे’कैं खूं
अर्थात
स्वार्थ के लिए अत्यधिक घनिष्टता होना

तू लै ठग, मैं लै ठग, चल पैलि द्वार तो ढक
अर्थात
दो शातिर धूर्त व्यक्ति पहले एक दूसरे के दोष छुपाते हैं

तेरि पैलाग, मेरि कत्थप
अर्थात
अभिमान में किसी के मान-सम्मान के सम्बोधन को नकार देना

तेरि पैलाग म्यर भैंसा’क सिंग’म
अर्थात
अभिमान में किसी के अभिवादन या सम्मान को नकारन

तेल जै कम, चिड़चिड़ाट जै ज्यादा
अर्थात
क्षमता से अधिक दिखावा करना

तै द्याप्त कैं क्वै नी मिल, जो म्यर आंग आ
अर्थात
किसी भी काम के लिए अपने को आगे करके फिर एहसान दिखान

तौ हुणि चोख्यूण नै, मुजि हुंणि घ्यूं

अर्थात
असंगत या अपूर्णीय मांग करना






थकि बल्द कैं नङूण
अर्थात
किसी की विपत्ति या मौके का फायदा उठाना

थाति हरण, पितृ मरण

अर्थात
एक साथ कई विपत्तियों का आना

थूका’क आंस लगै बेर क्ये नी हुन
अर्थात
मिथ्या प्रपंच का पता चल जाता है

थूका'क आंसू लगौण, मूता'क दी जगौण

अर्थात
मिथ्या प्रपंच कर किसी दूसरे के परिश्रम या सम्पति का भोग करना

थूका’क थेकलां’ल जै क्ये काम चलूं
अर्थात
मिथ्या बातों से किसी को ज्यादा देर तक बहलाया जा नहीं सकता

थूकि थूक और दि दान वापस नि ली सकन
अर्थात
दान कर देने बाद उसके बारे में सोचने का कोई फायदा नहीं

थोड़ि उधरि, पुर उधरौल,
जै'कैं सुधारला, ऊ पुर सुधरौल

अर्थात
समय के अनुसार वस्तु विनाश, विकास और निर्माण निश्चित है

थोड़ि कूंण, भौत समझण
अर्थात
गम्भीर बात संक्षेप में कही जा सकती है






दस दशैं, बीस बग्वाल, कुमूँ बीस, फुल भग्वाल
अर्थात
इन्तजार के दिन गिनते रहना

दशरथौ'क बाण, दशरथ कैं’ई लागौ
अर्थात
अपने दुश्कर्मों का फल व्यक्ति को भुगतना ही होगा

दस म्हैण बोकौ, नौ म्हैण सेकौ, पै दिगो धोको

निकम्मी या नालायक औलाद होना

दली दाल, फली चावौं खै, निमखण भै'रै
अर्थात
कामकाज कुछ नहीं खाली रोटी तोड़्ना

दाद राठ चाक में, तो हम पाख में
अर्थात
द्वेष वश किसी भी हद तक अपने को गिरा देना

द्याप्त नवाण गै, हुमण दगड़ लाग
अर्थात
किसी कार्य सिद्धि में नई विपत्ति आना

दातुल आपणि तरफ़ काटूँ
अर्थात
व्यक्ति अपने सम्बन्धियों और मित्रो का ही पक्ष लेता है

दांतों’क आडिल, जिबड़ सयाण

अर्थात
अन्धों में काना राजा

दाड़िम खै, दाड़िम ऎ
अर्थात
जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे

दात जै एक, दूतकारणि जै दस
अर्थात
देने वाले कम दूतकारने वाले अनेक

द्वालि जै बुजि गयि, जै लै मार ली माछ
अर्थात
किसी अनुभवी कुशल व्यक्ति द्वारा कार्यसिद्धि की योजना बना देने के बाद
उसकी सफलता निश्चित है

दि जै नै तो, अकरौ’क क्ये कौ
अर्थात
अगर कोई वस्तु प्राप्त ना होने पर महंगा होने का कोइ मतलब नह

दि बेर दाता, सै बेर सयाण
अर्थात
देने से नहीं सहनशीलता से व्यक्ति की असली पहचान होती है

दिना’क चार पहर, म्यर मन में आठ लहर
अर्थात
मन का अत्यधिक विचलित रहना

दिल्ली’कि दिलवाली, मुखै’कि चुपड़ि पेट खालि
अर्थात
शहर के लोग मीठी-मिठी बातों से दूसरों के बेवकूफ़ बनाते हैं

दिवान, भूत छोड़ौ ना मसान
अर्थात
लालची रिश्वतखोर सरकारी अधिकारी किसी को नहीं छोड़ता

द्वि च्याल म्यार, द्वि पैंस म्यरै, तेरि बलै, म्यर क्ये करैं
अर्थात
दूसरा कितना ही षडयंत्र कर ले जो जिसके भाग्य में है उससे छीन नहीं सकता

दूद चूसि खै राखौ, भात चूसि खेड़ राखौ
अर्थात
कभी हमने भी सम्पन्नता में दिन गुजारे हैं

दूद भात छोड़ दिन, पर दगड़ नि छोड़न
अर्थात
अच्छा खाना भी मित्रता के लिए छोड़ा जा सकता है

दूहरै’कि आस, नरकौ’क बास
अर्थात
दूसरे के प्रयत्न पर भरोसा न कर अपने बलबूते कार्य सिद्धि होती है

दूहरै’कि ज्वे कैं चूड़ि पैरै, छ्मछमानि ग्ये
अर्थात
गलत जगह प्रयत्न या निवेश करने से अपने कर्म/धन का नाश होता है

दुहरौ'क ख्वर चुपड़ बेर आपुंण ख्वर चुपड़ नी हुन
अर्थात
कार्य की सफ़लता के लिए सार्थक प्रयास करना पड़ता है

देखि मैंस क्ये देखण, तापि घाम क्ये तापण
अर्थात
मनुस्य का चरित्र उसके लक्षणों से एक बार में ही पता चल जाता है

देवी'क मार, खबर न सार
अर्थात
भगवान् जब दंड देता है तो उसका कोई पूर्वाभास नहीं होता

दै'क पहरू बिराऊ
अर्थात
बेईमान और अयोग्य को जिम्मेदारी देना

दै ठेकी वाल घर, स्यो पैलाग पाल घर
अर्थात
मित्रता किसी से और मतलब किसी से





धणियाक गूदां में रै’क गूद जोड़नि
अर्थात
अत्यंत कंजूसी से धन संचय करने वाला व्यक्ति

धार में’क दिन, गाव में’क गास
अर्थात
जिसको होने से रोका ना जा सके

धान पधान, ग्यूं गुलाम, मडु राज

अर्थात
पहाड़ में मडुवा सबसे महत्वपूर्ण अनाज है
दूसरा अर्थ यह भी है कि स्थान के अनुसार व्यक्ति की उपयोगिता बदल सकती है

धार में जास दिन
अर्थात
वृद्धावस्था में जीवन का अन्तिम समय

धिनाई'क पहरु ढड़ु
अर्थात
चोर के ऊपर सुरक्षा ही जिम्मेदारी देना

धिनाई जै है जालि, माण में फाणि ल्यहुल
अर्थात
अगर वस्तु प्राप्त हो जाये तो उसके उपयोग का साधन भी मिल जाता है

धिनाई लै भाग में हैं
अर्थात
दुग्ध उत्पाद हर किसी को उपलब्ध नहीं होते हैं

धिनाई सुकि ग्ये, ठेकि में मुस भै रईं
अर्थात
वस्तु की आवश्यकता ना होने पर उसकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है





नक आपुंण करि जौ, भल दूहरौंक जी रौ
अर्थात
दूसरों को सुख देने में असली आनन्द है या सर्व भवन्तु सुखिन:

नकटा’क नाखम बोट जाम, काटण छोड़ श्योव भैटो
अर्थात
निर्लज्ज और निकृष्ट व्यक्ति अपनी निर्लज्जता दिखाने से बाज नहीं आता

नयाय’क चलन, रुखौ’क ढलण

अर्थात
अकस्मात किसी घटना से दोष लग जाना

नाख यसिक नै तो उसिक पकड़ी
अर्थात
कहने के बावजूद किसी कार्य को जानबूझकर दूसरे तरीके से करना

ना खोलण हूं गांठि, ना टेकण हूं जांठि

अर्थात
अत्यंत साधनहीन होना

ना डाड़, ना हंसि, खालि गिज तणै
अर्थात
खिसियानि हालत में जबरदस्ती के हंसने का दिखावा

नान गोरु कैं ठुल गोरु, ठुल गोरु कैं बाग

अर्थात
हर किसी को किसी ना किसी से भय लगा ही रहता है

नानि खाप, ठुलि धाद
अर्थात
छोटे मुंह बड़ी बात करना

नानि खोरि ठुलि खोरि नी है जानि
अर्थात
व्यक्ति को उसकी हैसियत के अनुसार ही सम्मान मिलता है

नान्तिना’क जाड़, ढूंग में
अर्थात
शैशव अवस्था में मनुस्य को वातावरण की कोई चिन्ता नहीं होती

नामा’क नरोतम
अर्थात
बहुत अच्छा नाम रख देने से व्यक्ति के कर्म नहीं बदल जाते

नालि टूटि ग्ये तो ब्याज जै क्ये टूटौ
अर्थात
किसी दुर्घटना से आपकी देनदारी खत्म नहीं हो जाती

नांगण कैं कामव मिलौ, नांगण उड़न लागौ
अर्थात
एक व्यक्ति इच्छित वस्तु मिलने पर अत्यधिक प्रफ़ुल्लित हो जाता है

नि खाणि रांड, भदिया’क धेलि में
अर्थात
विपत्ति में अपने परिजनों के पास ही जाना पड़ता है

निमड़ि है बे चिमड़ि भल
अर्थात
ना होने कुछ होना भी ठीक है

नि हइये’कि एक डाड़, हइये’कि सौ डाड़
अर्थात
औलाद ना होने का एक बार रोना और औलाद नालायक होने पर सौ बार रोना

नीमूं पछिनाक बनौल
अर्थात
किसी कार्य/व्यवसाय का अर्धकुशल व्यक्ति

नीमूं जस निचोड़ दी

अर्थात
किसी को पूर्ण नष्ट कर देना या किसी की पूरी सच्चाई उजागर कर देना

नै आग लागो, नै पाणि पूजो
अर्थात
ऐसे बेतुके काम करना जिनका कोई प्रयोजन ना हो

नै घूरू भेटिनै, नै कौतिक देखिनै
अर्थात
दूसरे को असमंजस की स्थ्ति में डाल देना

नै बाछि’क गाव, नै ठेकि’क ताव
अर्थात
व्यर्थ की बरबादी होना

नै मुट्ठी भीतेरा'क, नै मुट्ठी भ्येरा'क
अर्थात
ना तो बच्चा ना वयस्क, यह माता-पिता द्वारा किशोरों के लिए प्रयुक्त होता है

नै रांडौक, नै मांडौक
अर्थात
निकृष्ट व्यक्ति ना घर का ना घाट का

नौकरि’क र्वाट, बज्जर जस ख्वाट
अर्थात
किसी और की चाकरि में असली सुख प्राप्त नहीं हो सकता

नौ त्यर, गौं म्यर
अर्थात
नाम और काम किसी का और श्रेय किसी और को

नौ नखारा, सौ टोक्यारा
अर्थात
यौवन की चंचलता पर हर किसी को द्वेष होता है

नौ नौदाम, पुराण छ्दाम
अर्थात
नये अच्छी गुणवत्ता वाले सामान का दाम अधिक होता है

नौलि'क नौ मटक, ख्वारन पटक
अर्थात
यौवनावस्था में स्वभाव में चंचलता आ ही जाती है

नौ नटू, एक बटू
अर्थात
कोई समाधान ना होना, एक अनार सौ बीमार






पढ़न बखत धुं, खांण बखत कजि, हई कुड़ि जौ बंजि
अर्थात
पढ़ाई के समय धुंआ तथा खाना खाते समय विवाद से बचना चाहिये।

पढ़ी लेखी गुणि च्याल
अर्थात
संस्कारवान संतान होना

परबुधिया मर किलै नि जानै, ठौर नै
अर्थात
कुतर्क करने वाले मंदबुद्धि व्यक्ति की समाज में जगह नहीं बनती है।

पराय ख्वर खै, हगते गीत गै
अर्थात
निर्लज्ज होकर जीवन यापन करना

पराय गोरु में गोदान
अर्थात
दूसरे के काम से अपना उल्लु सीधा करना

पराय च्यल पालण, छार छाणन
अर्थात
दूसरे की संतान या सम्पति से अपने लिए उम्मीदें नही करनी चाहिए

पराय पूत, घ्वड़’क मूत
अर्थात
दूसरे की संतान से अपनी संतान की तुलना ना करें

परायी जोबरियों'क काच्चे साग

अर्थात
अपने परिवार या समाज का अलग महत्व है

पहाड़ झन जन्मौ च्यौल, देश झन जन्मौ ब्यौलो
अर्थात
पुरुष का पहाड़ पर तथा बैल का मैदानी क्षेत्र में जीवन मुश्किल भरा होता है

पहाड़ समान दाता नै, बिना लट्ठी दिन नै
अर्थात
दबाव या डर दिखाने पर ही सहायता करना

पाई पूत, है अवधूत
अर्थात
अच्छे लालन-पालन के बाद भी संतान का संस्कारहीन होना

पांणि'क सोत नै, धुंओं'क निकास नै

अर्थात
 जीवन यापन की कठिन परिस्थिति होना

पांणि'क सांस, छुतड़ौ'क बास

अर्थात
जहां पर रहने की सुविधाएं अच्छी हों वही पर रहना चाहिए

पांणि'कि धौ, पन्यारै'कि मौ
अर्थात
बेमेल समन्वय कराना, उपयोगिता के अनुसार वस्तु या व्यक्ति का उपयोग ना करना

पांणि में जाँठ मार बेर, पाणि'क द्वी नि हुन

अर्थात
किसी व्यक्ति की अकारण निंदा करने से उसकी छवि प्रभावित नहीं होती

पातर धरण, हाथि’क खुराक

अर्थात
परस्त्रीगमन का व्यसन सम्पति को तेजी से समाप्त कर देता है।

पिठो (अनाज का भूसा) है रूख नै, जवैं है निठुर नै

अर्थात
अनाज के भूसे से मिठास या कोमलता तथा दामाद से सहयोग की आशा नहीं करनी चाहिए

पिनाऊ'क पातौ'क जस पाणि
अर्थात
बहुत ही अस्थिर या अविश्वसनीय व्यक्ति होना

पिनालु'क पातौ'क पांणि, गरिबै घरै'कि मांणि
अर्थात
निर्धन व्यक्ति की कभी स्थायी सुख नहीं मिल पाता

पिसि सबै चोरि ली गै, घट किलै चोरौ
अर्थात
चोर का कोई भरोसा नहीं वह सब कुछ चोरी कर सकता है

पिल फुटौ, पीड़ ग्ये
अर्थात
जैसे भी हो, किसी प्रकार एक बड़ी मुसीबत से पीछा छूटा

पिंण बखतौ’क बाछ, चरण बखतौ’क बौहौड़ (बछड़ा)
अर्थात
अवसर के अनुसार व्यवहार बदल लेना या अवसरवादी होना

पीठि'कि और कोखि'कि आग बराबर हैं
अर्थात
अपने सहोदर भाई-बहिनो या संतान से आत्मीयता अधिक होती है

पुठ पछिन तो राज कैं लै गाई मिलैं
अर्थात
किसी के पीठ पीछे कोई किसी भी निंदा कर देता है

पुराण पातै’ल झणन, नयी पातै’ल लागण
अर्थात
मृत्यु का शोक नहि करना चाहिये जन्म और मरण जीवन का अंग हैं

पूसै ब्याँण, पूसै औतांण
अर्थात
किसी कार्य को शुरू करते ही बिना कारण छोड़ देना

पेट को रीता, मुख को फीटा/तीता
अर्थात
अप्रिय पर सच बोलने वाला निस्वार्थ व्यक्ति

पेट’म मुस नाचण
अर्थात
अत्यधिक भूख लगना

पेट में नानतिन, हात में कनज्योड़ि
अर्थात
अत्यधिक उतावलापन या अधीरता दिखाना

पैलि गै सुख, तब गर्भ सुख
अर्थात
गो-सेवा सबसे महत्वपूर्ण सेवा है

पैलि जै बूड़ि गीत गाँछि, अब नाति जै है गो
अर्थात
किसी की प्रसन्नता में और वृद्धि होना

पैलि हाथि'क दांत भ्यार नि औन, भ्यार ऐ बेर भितेर नि जान
अर्थात
प्रभावशाली व्यक्ति पहले बोलता नहीं है और अगर बोलै तो फिर सबको चुप करा देता है

पौंण पर मन हो तो चुल में भिनेर हो
अर्थात
 मेजबान का मेहमान को उचित सम्मान ना देना

पौ भरिचुन में, तिबारी में डयर
अर्थात
बिना किसी बात के छोटी सी बात पर इतराना या हनक दिखाना





फ्यूंली'क फूल, भैंसौ'क गिच्च
अर्थात
आवश्यकता से बहुत कम प्राप्त होना

फ्योन जसि बासण रै

अर्थात
शोकपूर्ण कटु प्रलाप करना

फते नगारची
अर्थात
कामयाब या कुशल नगाड़ा (नंगर) बजाने वाला

फरफत्ते मेरि कुंडली कथें
अर्थात
किसी एक काम के लिए लगातार भटकते रहन

फाटो स्यूंणो, रूठो मणूनो
अर्थात
बिगड़ी बात या बिगड़े काम की बनाना पड़ता है

फ़ांकण बैठ्या माई को जार, बांटण बैठ्या चूलि को छार
अर्थात
खर्च करने पर सब कुछ समाप्त हो जाता है सही उपयोग हो तो राख को भी उपयोगी है

फांड फूटलौ तो करधनि क्या थामैलि
अर्थात
दुर्भाग्य में मित्र भी सहायक नहीं हो पाते

फुट ख्वर, ल्यो’क धार
अर्थात
भाग्य खराब होने पर और अधिक कष्ट होता है

फूटि ढोल
अर्थात
हमेशा कर्कश बोलने वाला व्यक्ति

फेचुवा की खेब, कूड़ि तक
अर्थात
किसी की भी पहुँच सीमित होती है (मुल्ला की दौड़ मस्जिद तक)






ब्याज रात में ले बाट लागि रौं
अर्थात
ब्याज लगातार बढ़ता रहता है

बण सुंगरै'ल उज्याड़ खै, घर सुंगरौ'क थोव थेच
अर्थात
किसी के अपराध के लिए किसी और को दण्डित करना

बदन पर लंगोट नै, मोतियों का कारोबार
अर्थात
बिना किसी संसाधन के दुर्लभ वस्तुओं की लालसा करना

बयाव'क चलण, बोटौ'क ढलण
अर्थात
दुर्योग से किसी अशुभ घटना का लांछन लगना

बरस भया अस्सी, अकल ग्ये नसी
अर्थात
वृद्ध होने पर शारीरिक और मानसिक कमजोरी भी होने लगती है

बल्द नि लाणो कांगो, आप नि करण कांगो
अर्थात
किसी के गुण-दोष के आधार पर ही उसे जिम्मेदारी देनी चाहिए

बलिया देखि, भूत भाजौ
अर्थात
बलवान को देखकर कोई उससे नहीं टकराता
या विवादित व्यक्ति से सब दूर रहते हैं

बंजारों कैं टांडा सूजंछ
अर्थात
हर किसी को अपने क्षेत्र और लोगों से लगाव होता है
 

बाग़ गोठ बै बाकौर ली गो फ़िक़र नै, बाग़ गोठ पवुक गो यौ फ़िक़र छू
अर्थात
किसी विपत्ति के नुक्सान के अलावा उसके दूरगामी परिणाम की भी चिंता होती है

बाग़ मार बेर, बागम्बर में भैट
अर्थात
किसी उपलब्धि के बाद अत्यधिक इतराना

बागै'कि कैंज बिराई

अर्थात
आशा से कम या प्रतिष्ठा से कम प्रदर्शन

बागै'ल मारौ तो दौण रीत, भ्योव पड़ौ तो दौण रीत
अर्थात
किसी भी तरह से भी नुक्सान हो वह अपूर्णीय होता है

बाछि कैं बाग़ ली गो, हुलो हलाणो सीखो

अर्थात
नुकसान हो जाने के बाद समाधान के बारे में जानना

बाछि भै, ना लूति लागि
अर्थात
जिसके पास कम होने पर भी संतोष है वही सुखी है

बाटमे कुड़ि, चहा में उड़ी
अर्थात
रास्ते में घर होने पर मेहमान ज्यादा आते हैं
 

बानरै'की सुख पूछै
अर्थात
किसी की कुशल पूछने में भी विवाद करने वाला

बाबू'क कमाई ना सपूत खावो, ना कपूत खावो
अर्थात
अवांछित धनसंचय व्यर्थ ही जाता है

बार बरस दिलि में रै बेर लै भाड़ झोंकौ
अर्थात
अवसर होने पर भी अवसर का लाभ ना उठा पाना

बाँज ब्यायो, गोबिड़ो भयो
अर्थात
किसी बड़ी चेष्टा का तुच्छ परिणाम (खोदा पहाड़ निकली चुहिया)

बांज् गौं'क कौ पधान

अर्थात
अंधों में काना राजा

बाबा ज्यू'कि जटा, आशीष में ग्ये 

अर्थात किसी सद्भावी व्यक्ति के सद्कर्म, उसके सहचरो को भी लाभान्वित करते हैं

बानरौ'क गाल भरण, गातै'कि कुशल

अर्थात
लालची व्यक्ति को अपना पेट भरने से मतलब होता है

बाला'कि नि मरो मै, बूड़ै'कि नि मरो ज्वे
अर्थात
बचपन में माँ और बुढ़ापे में जीवनसाथी का साथ में होना जरुरी है

बिगड़ि गे नाथै'कि, सुधरि गे सिद्धे'कि
अर्थात
किसी का नुकसान कभी कभी किसी के लिए लाभकारी भी हो जाता है

बिगर भेदै कीड़ नि झड़न
अर्थात
दुष्ट व्यक्ति को दण्डित करने के लिए दुष्टता का सहारा भी लेना पड़ता है

बिगर रौ'कि मौनि
अर्थात
बिना मुखिया या मार्गदर्शक वाला समूह

बिगलिया भै सोरा बराबर
अर्थात
बंटवारे के बाद भाइयों में पारिवारिक सौहार्द काम हो जाता है

बिछि'क मंत्र पत्त्त नै,स्यापा'क दूल में हात

अर्थात
बिना किसी योजना और तैयारी के कोई बड़ा जोखिम उठाना

बिन गुरु बाट नै, बिन कौड़ी हाट नै

अर्थात
बिना मार्गदर्शक के जीवन में और बिना धन के बाजार में महत्त्व नहीं है

बिना दूदै, छै म्हैंण पावो
अर्थात
किसी को सिर्फ आश्वासनों से ही बहलाना

बिराऊ कैं मारौ सबूं'ल देख, दूध खाई कै लै नि देख
अर्थात
विवाद होने पर दोनों पक्ष को जांचे बगैर किसी एक का पक्ष नहीं लेना चाहिए

बिषौ'क कीड़, बिष में रै
अर्थात
जैसा स्वभाव होता है वैसी ही संगत हो जाती है

बिषौ'क मुख चिस
अर्थात
विष कर उपचार तुरंत हो जाना चाहिए

बीर सिंगै'ल खै, शिव सिंग ओसै

अर्थात
किसी के दोष को किसी निर्दोष पर मढ़ना

बुति करिया'क छै माण, गल्लदारि'क नौ माण
अर्थात
मजदूर को उचित मजदूरी ना मिलना

बूड़ बल्द ना आपूँ लागौ, ना कैई कैं लागण दियो 

अर्थात
बिना बात दूसरे के काम में बाधा डालना

बूड़ मरनी, भाग सरनी
अर्थात
किसी बुजुर्ग के मर जाने पर भी उसके अनुभव और ज्ञान अगली पीड़ी में जाते हैं

बेत भर नाख काटौ तो हात भर बढ़ गो
अर्थात
निर्लज्ज्ज व्यक्ति दंडित किये जाने पर भी निर्लज्जता नहीं छोड़ते

बेलि भरि नौणी, नाली भरि कुमौणि
अर्थात
ऐसा कार्य जिसमें नुक्सान ज्यादा कर लाभ कम
 

बैगा'क साग, सैणी'क देखि बाग़
अर्थात
पुरुष को हरियाली और महिला को पशुओं का भ्रम होता है

बैरि क्वे ना एक, ऋण क्वे ना शेष
अर्थात
जिसका कोई विरोधी नहीं है और जिसके ऊपर कोई ऋण नहीं है वही सबसे सुखी है

बौज्यूक दगड़ि, गुड़ौ'क कट्ठ
अर्थात
पिता के मित्र भी सम्मानीय होते हैं

बौया गिजौण, पौंण नि गिजौण
अर्थात
लालची प्रवृति के मेहमान को ज्यादा सम्मान नहीं देना चाहिए






 

भ्यार हूं ठौर नै, भीतेर भैटण हूं और नै
अर्थात
अत्यंत दयनीय स्थिति में भी दिखावा करना

भ्यैर गौं को भसाड़, जेठ ना असाड़
अर्थात
मूर्ख व्यक्ति की बेइज्जती करने से भी उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता

भल कर, भल ह्वल, सौद कर, नाफ ह्वल
अर्थात
अच्छे कार्य और अच्छी नीयत से व्यापार करने से लाभ होता है

भल करि, ख्यड़ नी जान
अर्थात
किसी के प्रति की गयी भलाई कभी भी नष्ट नहीं होती

भल काम ऐब'न कै लै ढक दिनि
अर्थात
किसी मनुष्य के अच्छे काम से उसकी बुराईयाँ छुप जाती हैं

भल होलो कै भगा बुलै, भगा लै भद्रा में ताव लगै
अर्थात
कुशल व्यक्ति की जिम्मेदारी देने पर भी कार्यसिद्धि ना होना
 

भलि बात, सुनै कि रात
अर्थात
अच्छे प्रवचन जीवन के लिए बहुत लाभकारी होते हैं
 

भागि'क माल जावो, अभागि'क ज्यान जावो
अर्थात
भाग्यवान को धन-सम्पति की हानि होती है और दुर्भाग्यवान की जीवन की हानि होती है

भाट का बढ़्या, भीतेर हूँ लिंण गाड़या
अर्थात
एक निकृष्ट व्यक्ति अपना जीवन यापन निकृष्टतम तरीके से भी कर लेता है

भात खै बेर जात पूछण
अर्थात
दुर्घटना के बाद सतर्कता दिखाना

भीख में भीख दीणो, तीनों लोक जीत लीणो
अर्थात
दान में प्राप्त वास्तु को भी दान कर देना बहुत पुण्य का काम है

भीत ढोली, भीतेर हूँ
अर्थात
दुर्घटना होने पर भी अधिक हानि ना होन

भीं में आँख नि हुण या भीं में नि चाँण
अर्थात
अत्यधिक प्रफुल्लित होना या इतराना

भीम है महाभारत, स्वर्ग है लात
अर्थात
किसी व्यक्ति की सामर्थ्य के देखकर ही उससे बैर लेना चाहिए

भूक चांछ वल्ली गदनि, अघाण चांछ पल्ली गदनि
अर्थात
आवश्यकता और अवसर के अनुसार निर्णय लिया जाता है

भूख मीठी कि भोजन मीठा
अर्थात
भोजन का स्वाद व्यक्ति की भूख के साथ बढ़ जाता है

भूत पूजाई
अर्थात
अधकचरा काम करना या अधपका भोजन

भूतों कैं ल्याख, द्याप्तों कैं धांक
अर्थात
गलत व्यक्ति या परंपरा को बढ़ावा देना

भूल-चूक को भारद्वाज गोत्र
अर्थात
दुसरे की भूल-चूक को अनदेखा कर देना चाहिए

भूल बिसर, जाणो ईश्वर
अर्थात
अनजाने में की गयी गलती भगवान् ही जानता है

भेकुवौ'क कुल्याड़
अर्थात
बड़ा ही मूर्ख व्यक्ति या मुर्खतापूर्ण कार्य करना

भेकुवे की जांठि
अर्थात
एक अविश्वसनीय या संदिग्ध व्यक्ति

भैयों'क बाँट और हाथा'क रेखाड़

अर्थात
भाईयों का हिस्सा और हाथ की रेखाएं बदले नहीं जा सकते

भैंस मारि तोड़ो, कुड़ ढालि बोड़ो
अर्थात
कम लाभ के लिए अधिक की हानि करना

भैंसा'क सींग भैंस कैं भारि नि लागन
अर्थात
अपने परिवार और निकट सम्बन्धियों की सहायता में किसी को कष्ट महसूस नहीं होता

भौं तेरा भट्ट बुकाण, भौं तेरा हौव बाण
अर्थात
एक समय पर एक ही काम किया जा सकता है

भौंण ना भास्, जिया को उपवास
अर्थात
किसी भी प्रकार से सक्षम ना होना






म्यर जस माम कैक लै नै, सांक माम एक लै नै
अर्थात
लम्बी चौड़ी जान-पहचान, कुटुम्ब और परिजन होते हुये भी गुणी परिजनों का अभाव

मडु खौ, तणतण रौ
अर्थात
मडुवा खाओ और हृष्ट-पुष्ट रहो

मडुवा राजा, जब सेको तब ताजा
अर्थात
मडुवा एक रेडिमेड उपयोगी अनाज है

मन करूं गाणि-माणि, करम करुं निखाणि
अर्थात
मन तो हमेशा ज्यादा सोचता है पर मिलता कर्म के अनुसार ही है

मन कौं दूद-भात खूल, भाग कौं दगड़ै रूल
अर्थात
भाग्य हमारे मन के अनुसार नहीं होने देता

मरण बखत बाकर, गुसैं'क मुख चाँछ
अर्थात
संकट के समय व्यक्ति अपने परिवार और निकट सम्बन्धियों से अपेक्षा करता है

मरि च्यला'क दिन गिणन
अर्थात
बीती बातों पर पछताना या याद करना

मरि स्यापाक आँख खचोरण
अर्थात
अक्षम व्यक्ति पर वीरता दिखाना

माण बरकै दिण, धाग सरकै दिण
अर्थात
कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न कर लेना

मादिर कौंछ यौ धमाधम कैक मलि

अर्थात
असाधारण सहनशीलता होना

मारणि दिल्ली, हगण है चुल्ली

अर्थात
अत्यधिक गप्पी व्यक्ति

मारि तलवार, नाम गुलदार
अर्थात
आतंकपूर्ण कार्य से नाम होना

माल की चड़ि, येतणि भई, उतणि भई, उताणि भई
अर्थात
गलत मार्ग से प्रगति करने वाले का उदय और अंत शीघ्र होता है

माल जानूँ, माल जानूँ, सबूँल कै, उकाव-हुलार कै लै नि देख
अर्थात
किसी लक्ष्य की ठोस योजना ना बनाना

मांगण गै छै छकि, मिलि पड़ नौ छकि
अर्थात
विपत्ति से बचने के फ़ेर और मुसीबत में पड़ना

मांस में कीड़ पड़नि हाड़न में नैं
अर्थात
किसी की हैसियत से ही उसे सम्मान मिलता है

मुखड़ी देखि टुकड़ी दिण

अर्थात
किसी की हैसियत के अनुसार व्यवहार करना

मुखौक बुलाण छोड़िये झन, पेटौक गांठ खोलिये झन
अर्थात
बुद्धिमान व्यक्ति अपने मन के द्वेश को छुपाकर अपना काम करता है

मुलुक आपण तो कै हूणि कांपण
अर्थात
अपने इलाके में किसी से क्या डर

मुष्टि में धन, दृष्टी में ज्वे
अर्थात
धन को मुट्ठी के अंदर और पत्नी को निगरानी में रखना चाहिए

मुलूक में गौं नै, दफ्तर में नौं नै
अर्थात
बिना धन-सम्पति वाला होना

मूसै कि घानि लगै दूल फैट, कावा कि घानि लगै देश फिर
अर्थात
किसी बाहरी व्यक्ति की मदद करने पर वह ज्यादा कृतज्ञ होता है

मूंसा बटि हौव जुतौंण
अर्थात
किसी अक्षम व्यक्ति से किसी महत्वपूर्ण कार्य को करवाना

मैं जौं वाँ, कर्म लीजौ काँ
अर्थात
हमारी प्रबल इच्छा के बावजूद भाग्य अधिक बलवान होता है

मोलौ'क लिंण, सूखै'ल सींण
अर्थात
नकद खरीदने वाला सुख की नींद सोता है

मृदङ्गौ'क मुख लीपणेल भली आवाज ऐंछ
अर्थात
किसी को रिश्वत देने से कार्य सिद्धि हो सकती है







ये जतकाव बचूँ तो खसम थैं बाब कौं
अर्थात
किसी महिला के लिए प्रसवकाल बहुत ही कष्टदायक होता है

ये तरफ रौ रभाड़, वे तरफ भले का फाड़
अर्थात
दोनों तरफ से संकट के कारण दुविधा की स्थित

ये तरफ भ्येव, ऊ तरफ बाग
अर्थात
दोनों तरफ से संकट की स्थिति

य द्वोर बल्द छू सोर क ना
अर्थात
यह वह नहीं जो तुम समझ रहे हो

यौ द्याप्त पैली आपण भल करि लियो, फिर म्यर करल
अर्थात
जो अपना भला नहीं कर पा रहा वो दुसरे का क्या भला करेगा


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