"भारत मे हाथी संरक्षण परियोजना "
हाथियो के संरक्षण के लिए 1992 मे 'गजतमे' नाम से परियोजना की शुरुआत की
गई। वर्तमान मे यह परियोजना 14 राज्यो मे चल रही है जिसके अंतर्गत 26 हाथी संरक्षण क्षेत्र घोषित किये गए है । यह परियोजना 60000 वर्ग किमी पर क्षेत्रीय विस्तार रखती है ।
प्रमुख संरक्षण क्षेत्र-
1. शिवालिक व राजाजी - उत्तराखंड
2. काजीरंगा -असम
3.देवमाली- अरुणाचल प्रदेश
4.मैसूर -कर्नाटक
5. अन्नामलाई परम्बीकुलम-तमिलनाडु
6.पेरियार ,अनाइमुडी, शांत घाटी-केरल
7. रेयाला-आन्ध्रा प्रदेश
8.लेमरु व बादलखोड- छतीसगढ ।
राजस्थान के आमेर के कुंडा गांव मे एशिया का तीसरा एलीफेंट विलेज बनाया गया है ।दो अन्य विलेज थाईलैंड एवं श्रीलंका मे है । देश मे हाथी पुनर्वास केन्द्र हरियाणा मे है ।वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 2010 मे हाथियो के संरक्षण हेतु उसे राष्ट्रीय विरासत पशु नेशनल हेरिटेज एनिमल घोषित किया है ।वर्तमान मे देश मे लगभग 25000 हाथी है जो एशिया का 60 प्रतिशत है ।
संरक्षण की दिशा मे सबसे महत्वपूर्ण कदम के रुप मे 24 मई 2011 को 8 देशो के पर्यावरण मंत्रियो का "हाथी-8 सम्मेलन" नई दिल्ली मे सम्पन्न हुआ ।इसी सम्मेलन मे हाथियो के संरक्षण हेतु राष्ट्रव्यापी जागरुकता अभियान हाथी "हाथी मेरे साथी" की शुरुआत की गई ।
साथ ही हाथी संरक्षण के लिए विश्वव्यापी संदेश पहुचाने हेतु दिल्ली मे एलिफेंट फोरम भी बनाया गया हैं।
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