भारतीय भाषाएँ


भारत की मुख्य विशेषता यह है कि यहाँ विभिन्नता में एकता है। भारत में विभिन्नता का स्वरूप न केवल भौगोलिक है, बल्कि भाषायी तथा सांस्कृतिक भी है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 1652 मातृभाषायें प्रचलन में हैं, जबकि संविधान द्वारा 22 भाषाओं को राजभाषा की मान्यता प्रदान की गयी है। संविधान के अनुच्छेद 344 के अंतर्गत पहले केवल 15 भाषाओं को राजभाषा की मान्यता दी गयी थी, लेकिन 21वें संविधान संशोधन के द्वारा सिन्धी को तथा 71वाँ संविधान संशोधन द्वारा नेपाली, कोंकणी तथा मणिपुरी को भी राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया। बाद में 92वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2003 के द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में चार नई भाषाओं बोडो, डोगरी, मैथिली तथा संथाली को राजभाषा में शामिल कर लिया गया। इस प्रकार अब संविधान में 22 भाषाओं को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। भारत में इन 22 भाषाओं को बोलने वाले लोगों की कुल संख्या लगभग 90% है। इन 22 भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी भी सहायक राजभाषा है और यह मिज़ोरम, नागालैण्ड तथा मेघालय की राजभाषा भी है। कुल मिलाकर भारत में 58 भाषाओं में स्कूलों में पढ़ायी की जाती है। संविधान की आठवीं अनुसूची में उन भाषाओं का उल्लेख किया गया है, जिन्हें राजभाषा की संज्ञा दी गई है।





भारत में 4 भाषा–परिवार
भाषा-परिवार                 भारत में बोलने वालों का %
भारोपीय                              73%
द्रविड़                                     25%
आस्ट्रिक                                   1.3%
चीनी–तिब्बती                           0.7%




वृहद भारत के भाषा परिवार



हिन्द-आर्य भाषायें
संस्कृत, पालि, प्राकृत, जटकी, अपभ्रंश, हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, सिंधी, कश्मीरी, नेपाली, मैथिली,मराठी, डोगरी, सादरी, कोंकणी, गुजराती बंगाली, उड़िया, असमिया





द्रविड़ भाषायें 
तुलु, तमिल, तेलुगु, कन्नड, मलयालम






आस्ट्रो-एशियाई भाषाएँ
संथाली, हो





तिब्बती-बर्मी भाषाएँ
नेपाल भाषा, मणिपुरी, खासी, मिज़ो, आओ, म्हार, नागा



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