नोबेल पुरस्कार 2015

नोबेल पुरस्कार नोबेल फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में हर साल शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में दिया जाने वाला विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है।

नोबेल पुरस्कार की शुरुआत स्वीडन के वैज्ञानिक और डायनामाइट के आविष्कारक अल्फ्रेड नोबेल के द्वारा साल 1895 में लिखी वसीयत में की गई थी। साल 1901 में पहली बार नोबेल पुरस्कार दिया गया था। अल्फ्रेड नोबेल का जन्म 1833 में स्वीडन के शहर स्टॉकहोम में हुआ था। अल्फ्रेड नोबेल एक वैज्ञानिक और केमिकल इंजीनियर थे जिसने 1866 में डाइनामाइट की खोज की।
स्वीडिश लोगों को 1896 में उनकी मृत्यु के बाद ही पुरस्कारों के बारे में पता चला, जब उन्होंने उनकी वसीयत पढ़ी, जिसमें उन्होंने अपने धन से मिलने वाली सारी वार्षिक आय पुरस्कारों की मदद करने में दान कर दी थी।

अब नोबेल पुरस्कार से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पाइंटस पर ध्यान देते हैं।

✒ 29 जून 1900 को नोबेल फाउंडेशन की स्थापना हुई और 1901 में पहला नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। नोबेल फाउंडेशन हर साल अक्टूबर में नोबेल पुरस्कार विजेताओं की घोषणा करता है। लेकिन पुरस्कारों का वितरण अल्फ्रेड नोबेल की पुण्य तिथि 10 दिसम्बर को किया जाता है।

✒ किसी क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार अधिकत्तम तीन लोगों को दिया जा सकता है। अगर पुरस्कार में दो विजेता हैं, तो धनराशि दोनों में समान रूप से बांट दी जाती हैं और अगर पुरस्कार तीन लोगों को संयुक्त रूप से मिला है तो नोबेल फाउंडेशन को यह अधिकार होता है कि वह धनराशि तीन में बराबर बाँट दे या एक को आधा दे दे और बाकी दो को बचा धन बराबर बाँट दे।
✒ नोबेल पुरस्कारों के इतिहास में अब तक केवल दो व्यक्तियों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया हैं। पहली बार एरिएक्सेल कार्लफल्डट को 1931 में और दूसरी बार संयुक्त राष्ट्रसंघ के महासचिव डैग डैमरसोल्ड को 1961 में दिया गया था। साल 1974 में नियम बना दिया गया कि मरणोपरांत किसी को नोबेल पुरस्कार नहीं दिया जाएगा।

✒ महात्मा गांधी को 1937 से लेकर 1948 तक पांच बार शांति पुरस्कारों के लिए नामित किया गया पर एक बार भी उन्हें इस पुरस्कार के लिए नहीं चुना गया। इस गलती के लिए नोबेल फाउंडेशन ने कई बार माफी भी मांगी हैं।

✒साल 2013 तक 876 लोगों और संस्थाओं को नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका हैं। जिनमें से 851 व्यक्ति और 25 संस्थान हैं।

✒ अब तक नोबेल पुरस्कार पाने वाले लोगों में से दो लोगों ने यह पुरस्कार लेने से मना किया हैं 1964 में साहित्य में शॉन पॉल सारते और 1973 में शान्ति में ले डॉक थो ने यह पुरस्कार लेने से मना कर दिया था।

✒ नोबेल पुरस्कार के रूप में 80 लाख क्रोनर (11 लाख अमेरिकी डॉलर) यानि करीब 7.5 करोड रूपये की राशि प्रदान की जाती है। वित्तीय संकट के कारण नोबेल फाउंडेशन ने साल 2012 के पुरस्कार राशि में 20 प्रतिशत की कटौती करने का निर्णय लिया था।

✒ पहले नोबेल पुरस्कार पाँच विषयों में कार्य करने के लिए दिए जाते थे। अर्थशास्त्र के लिए पुरस्कार 1969 में पहली बार प्रदान किया गया। इसे अर्थशास्त्र में नोबेल स्मृति पुरस्कार भी कहा जाता है।

अब उन भारतीय की बात करते हैं जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला हैं।
अब तक भारत से जुड़े 10 लोगों को नोबेल पुरस्कार मिल चुका हैं इनमें से दो लोग भारतीय मूल के विदेशी हैं ।
⏩ रवींद्रनाथ ठाकुर
रवींद्रनाथ ठाकुर नोबेल पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय थे। ‘गुरुदेव’ के नाम से प्रसिद्ध रवींद्रनाथ ठाकुर का जन्म 7 मई, 1861 को कोलकाता में हुआ था। उन्हें उनकी कविताओं की पुस्तक गीतांजलि के लिए 1913 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया। तब वो ये पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय थे।

⏩ डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन
भौतिक शास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय डॉ. चंद्रशेखर वेंकटरमन थे। उन्हें 1930 में यह पुरस्कार प्राप्त हुआ। रमन का जन्म तमिलनाडु में तिरुचिरापल्ली में हुआ था। उनकी प्रकाश से जुड़ी खोज को रमन प्रभाव के नाम से भी जाना जाता है।

⏩ हरगोबिंद खुराना
हरगोबिंद खुराना को 1968 में मेडिसीन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिया गया। भारतीय मूल के डॉ. खुराना का जन्म पंजाब में रायपुर (जो अब पाकिस्तान में है) में हुआ था। खुराना का शोध इस विषय पर था कि एंटी बायोटिक खाने का शरीर पर किस तरह का व्यापक असर होता है।

⏩ मदर टेरेसा
मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। मदर टेरेसा का जन्म अल्बानिया में हुआ था, जो अब यूगोस्लाविया में है। उनका बचपन का नाम एग्नस गोंक्सहा बोजाक्सिऊ था।

वर्ष 2015 के पुरस्कारों का वितरण अल्फ्रेड नोबेल की पुण्यतिथि 10 दिसंबर, 2015 को स्टॉकहोम (शांति का नार्वे की राजधानी ओस्लो) में किया जाएगा। जिनका विवरण निम्नवत है-

चिकित्सा विज्ञान
वर्ष 2015 का चिकित्सा शास्त्र का नोबेल पुरस्कार परजीवी से होने वाले संक्रमण से लड़ने में महत्त्वपूर्ण योगदान देने वाले तीन वैज्ञानिकों को प्रदान किया जायेगा।
पुरस्कार की आधी धन राशि आयरलैंड में जन्में वैज्ञानिक विलियम सी०कैम्पबेल और जापानी वैज्ञानिक सातोशी ओमूरा को गोल कृमि (Roundworm) नामक परजीवी से होने वाले संक्रमण की चिकित्सा की नवीन पद्धति की खोज के लिए संयुक्त रूप से प्रदान की जायेगी।
शेष आधी पुरस्कार राशि चीन के वैज्ञानिक यूयू तू (Youyou tu) को मलेरिया के चिकित्सा की नवीन पद्धति की खोज के लिए प्रदान की जायेगी।

भौतिक विज्ञान
वर्ष 2015 का भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार जापानी वैज्ञानिक तकाकी काजिता और कानाडा के वैज्ञानिक आर्थर बी. मैकडोनाल्ड को संयुक्त रूप से प्रदान किया गया है।
इन दोनों को यह पुरस्कार न्यूट्रिनो दोलन (Neutrino Oscillations) की खोज के लिए प्रदान किया जा रहा है जिससे यह प्रमाणित होता है कि न्युट्रिनो में द्रव्यमान होता है।

रसायन विज्ञान
वर्ष 2015 का रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार अमेरिका के वैज्ञानिक पॉल मॉडरिश, स्वीडन के वैज्ञानिक थॉमस लिंडाल और तुर्की के वैज्ञानिक अजीज सैंकर को संयुक्त रूप से प्रदान किया जायेगा।
इन्हें यह पुरस्कार डीएनए (DNA) की मरम्मत के यांत्रिकी अध्ययन हेतु प्रदान किया जायेगा।

साहित्य
वर्ष 2015 का साहित्य क्षेत्र का नोबेल पुरस्कार बेलारूस की महिला पत्रकार एवं लेखिका स्वेतलाना एलेक्सिविच को प्रदान किया जायेगा।
स्वेतलाना को यह पुरस्कार उनके विविधापूर्ण तथा वर्तमान समय की समस्याओं के साहस पूर्ण लेखन के लिए प्रदान किया जा रहा है।

शांति
वर्ष 2015 का शांति का नोबेल पुरस्कार ट्यूनीशिया के लोकतांत्रिक मध्यस्थता समूह ‘नेशनल डायलॉग क्वार्टेट’ को प्रदान किया जाएगा।
इस समूह को यह पुरस्कार वर्ष 2011 में ट्यूनीशिया में हुए ‘जैस्मिन रिवॉल्यूशन’ के बाद ट्यूनीशिया में लोकतंत्र की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए दिया गया है।

अर्थशास्त्र (आर्थिक विज्ञान)
वर्ष 2015 का अर्थशास्त्र (आर्थिक विज्ञान) का नोबेल पुरस्कार स्कोटलैंड के एग्नस डेटन(Angus Deaton) को प्रदान किया जाएगा।
उन्हें यह पुरस्कार ‘उपयोग, गरीबी और कल्याण’ के विश्लेषण के लिए प्रदान किया जा रहा है।



नोबेल पुरस्कार और एल्फ्रेड नोबेल

एल्फ्रेड के अकेलेपन की उपज है नोबेल पुरस्कार

हाल ही में नोबेल पुरस्कारों की घोषणा हुई है। यह पुरस्कार दुनिया का सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है। पर क्या आप जानते हैं कि यह पुरस्कार एक ऐसे व्यक्ति के अकेलेपन की उपज थी जिसने अपनी सारी उम्र विज्ञान की खोजों में लगा दी। यानी महान वैज्ञानिक एल्फ्रेड नोबेल। एल्फ्रेड नोबेल ने अपने पूरे जीवन में कुल 355 आविष्कार किए थे जिनमें वर्ष 1867 में डायनामाइट का आविष्कार भी है जो उसकी सबसे बड़ी खोज मानी जाती है।

दिसंबर 1896 में जब उनकी मृत्यु हुई तो वे यूरोप के सबसे अमीर लोगों में से एक थे। पर वह फिर भी खुद को अकेला महसूस करते थे। युवा अवस्था में प्रेमिका की मौत का एल्फ्रेड को इतना गहरा सदमा लगा कि उन्होंने तमाम उम्र शादी नहीं की। इतना धन होने के बावजूद वह उनके काम का नहीं था। मौत के बाद जनवरी 1897 में जब उनकी वसीयत सामने आई तो पता चला कि उन्होंने अपनी संपत्ति का सबसे ब़ड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट बनाने के लिए अलग कर दिया है।
उनकी इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानवजाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाए। इस तरह 29 जून 1900 को नोबेल फाउंडेशन की स्थापना हुई और 1901 में पहला नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया।

जीवन का  संघर्ष

स्वीडन के रसायन शास्त्री, इंजीनियर एल्फ्रेड बर्नाहड नोबेल का जन्म 21 अक्तूबर 1833 को स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुआ था। एल्फ्रेड 8 साल की उम्र में अपने परिवार के साथ रूस चले गए, जहाँ उनके पिता एमैन्यूल नोबेल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की वर्कशॉप खोली। उन्हें बचपन से ही रसायन विज्ञान में काफी रुचि थी।

सेंट पीटर्सबर्ग में प़ढ़ाई के दौरान ही उन्हें एक लड़की से प्यार हुआ लेकिन उसकी मौत के बाद उन्हें इतना गहरा सदमा लगा कि उन्होंने अपना सारा जीवन शक्तिशाली विस्फोटकों के निर्माण में लगा देने का फैसला किया। वर्ष 1863 में स्वीडन वापस आने के बाद उन्होंने अपने पिता की फैक्टरी में काम करना शुरू किया।

एल्फ्रेड के पिता कई वर्षों से विस्फोटकों के निर्माण पर कार्य कर रहे थे। वर्ष 1864 में उनकी फैक्टरी में हुए एक हादसे में एल्फ्रेड का छोटा भाई एमिल और 4 अन्य लोग मारे गए। इस हादसे से एल्फ्रेड और उसके पिता दोनों को गहरा सदमा लगा। इसी बीच एल्फ्रेड से विस्फोटकों पर काम करने का परमिट छीन लिया गया और फैक्टरी भी बंद हो गई। पर एल्फ्रेड दुनिया को दिखाना चाहते थे कि उनके विस्फोटकों का इस्तेमाल सिर्फ तबाही के लिए ही नहीं किया जा सकता है।
आखिरकार वह अपने प्रयोग में सफल हुए और सरकार ने नाइट्रोग्लिसरीन से बने विस्फोटक का इस्तेमाल स्टॉकहोम की रेलवे सुरंग को उ़ड़ाने के लिए किया। इसके बाद एल्फ्रेड ने 4 देशों में अपने प्लांट खोले। वर्ष 1867 में एल्फ्रेड ने नाइट्रोग्लिसरिन की विशेष किस्म डायनामाइट का पेटेंट करवाया। इसके बाद उन्होंने जेलेटिन डायनामाइट का इस्तेमाल करना शुरू किया। यह डायनामाइट से ज्यादा सुरक्षित था।

40 साल की उम्र तक एल्फ्रेड एक बहुत अमीर इंसान बन चुके थे, लेकिन उनकी जिंदगी में साथ देने के लिए कोई नहीं था। उस दौरान उन्होंने लेखन में भी हाथ आजमाया। उन्होंने दो उपन्यास भी लिखने शुरू किए थे, लेकिन उन्हें पूरा नहीं कर पाए। कहा जाता है कि उन्होंने अकेलेपन के चलते ही नोबेल शांति पुरस्कार की स्थापना की थी। एल्फ्रेड अपने जीवन के अंतिम दिनों में इटली में रहते थे। इटली के शहर सेन रिमो में 10 दिसंबर 1896 को उनकी मौत हो गई। पहले नोबेल पुरस्कार एल्फ्रेड की मौत के 5 साल बाद 10 दिसंबर 1901 को दिए गए।

प्रेमिका की मौत का गहरा सदमा

अपनी प्रेमिका की मौत का एल्फ्रेड को इतना गहरा सदमा लगा कि उन्होंने तमाम उम्र शादी नहीं की। मौत के बाद जनवरी 1897 में जब उनकी वसीयत सामने आई तो पता चला कि उन्होंने अपनी संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा एक ट्रस्ट बनाने के लिए अलग कर दिया है।
एल्फ्रेड की इच्छा थी कि इस पैसे के ब्याज से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए जिनका काम मानवजाति के लिए सबसे कल्याणकारी पाया जाए। इस तरह 29 जून 1900 को नोबेल फाउंडेशन की स्थापना हुई और 1901 में पहला नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया।

दुनिया के श्‍ाीर्ष सम्‍मान नोबेल पुरस्‍कार से जुड़ी कुछ खास बातें जो आप नहीं जानते होंगे :

1. इस पुरस्कार की शुरुआत स्वीडन के एल्फ्रेड नोबेल के नाम पर 1895 में की गई थी. उन्‍होंने डायनामाइट का आविष्‍कार किया था.

2. नोबेल पुरस्कार 5 क्षेत्रों - भौतिकी, रसायन विज्ञान, शरीर विज्ञान या चिकित्सा, साहित्य और शांति के लिए दिए जाते हैं.

3. महात्मा गांधी को आज तक नोबेल पुरस्कार नहीं मिला. उन्हें यह पुरस्कार न दिया जाना नोबेल पुरस्कारों के इतिहास सबसे बड़ी भूल मानी जाती है. हालांकि महात्मा गांधी 5 बार इस पुरस्कार के लिए नामित किए जा चुके हैं.

4. केवल जीवित लोगों को ही नोबेल पुरस्कार दिया जा सकता है. लेकिन तीन व्यक्ति ऐसे हैं जिन्हें मरणोपरांत पुरस्कार दिया गया. सबसे पहले 1931 में एरिक एक्सल कार्लफेल्ट को साहित्य के लिए और फिर तीस साल बाद 1961 में डाग हामरशोल्ड को शांति पुरस्कार दिया गया. इन दोनों की मौत नामांकन और पुरस्कार दिए जाने के बीच हुई. तीसरी बार 1974 में फिर एेसा हुआ तो उसके बाद से नियम ही बदल दिया गया था.

5. चार ऐसे लोग भी हैं जिन्हें दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. अमेरिका के जॉन बारडेन को दो बार भौतिकी के लिए पुरस्कार मिला. पहली बार 1956 में ट्रांजिस्टर के आविष्कार के लिए और दूसरी बार 1972 में सुपरकंडक्टिविटी थ्योरी के लिए. केमिस्ट्री में दो बार पुरस्कार मिला ब्रिटेन के फ्रेडेरिक सैंगर को. पहली बार 1958 में इंसुलिन की संरचना को समझने के लिए और दूसरी बार 1980 में.

6. मैरी क्यूरी एकमात्र महिला हैं जिन्हें दो बार नोबेल पुरस्कार मिला, 1903 में रेडियोएक्टिविटी समझने के लिए फिजिक्स में और 1911 में पोलोनियम व रेडियम की खोज करने के लिए केमिस्ट्री में मिला.

7. सबसे ज्यादा नोबेल पुरस्कार पाने वाले देशों में अमेरिका पहले नंबर पर है. दूसरे स्थान पर है जर्मनी. इसके बाद ब्रिटेन और फ्रांस का नंबर आता है.

8. 2014 में नोबेल पाने वाली मलाला युसूफजई इस पुरस्कार की अब तक की सबसे युवा विजेता हैं.

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