भारत के प्रमुख संगठन


1. सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल
सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल का गठन 8 अगस्त, 2009 में सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल अधिनियम, जिसे वर्ष 2007 में संसद द्वारा पारित किया गया, के तहत् किया गया।

ट्रिब्यूनल में एक अध्यक्ष, और उतनी संख्या में न्यायिक एवं प्रशासनिक सदस्य होते हैं, जैसाकि केंद्र सरकार उचित समझे। ट्रिब्यूनल की सेवा मामलों में प्रथम अधिकार क्षेत्र होगा और कोर्ट मार्शल मामलों में अपीलीय अधिकारिता होगी।

ट्रिब्यूनल को सभी सेवा मामलों के संबंध में सभी न्यायालयों द्वारा कार्यशील (उच्चतम न्यायालय या उच्च न्यायालय को छोड़कर जो संविधान के अनुच्छेद 226 और 227 के अंतर्गत अधिकार क्षेत्र कार्यान्वित करते हैं) अधिकार क्षेत्र, शक्तियां एवं प्राधिकार रखते हैं।

एक आवेदन पर अधिनिर्णयन के उद्देश्य हेतु, ट्रिब्यूनल को वो सभी शक्तियां होगी, जो सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत् दीवानी न्यायालय में निहित होती हैं।

ट्रिब्यूनल को एक कोर्ट मार्शल द्वारा दी गई सजा, तथ्यों, आदेश या निर्णय के खिलाफ अपील के संबंध में सभी अधिकार क्षेत्र, शक्तियां एवं प्राधिकार होंगे।

2.  केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की स्थापना अप्रैल 1963 में हुई थी। इससे पूर्व इस संगठन को विशेष पुलिस प्रतिष्ठान के रूप में जाना जाता था, जिसे दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के अंतर्गत बनाया गया था और जो इसी अधिनियम के अनुसार परिचालित होता था। 1963 में केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो की स्थापना के बाद इस संगठन के कार्यकलापों को विस्तृत कर दिया गया। यह भारत की सर्वाधिक लोकप्रिय तथा विश्वसनीयता प्राप्त प्रशासनिक संस्था है। परिश्रम, निष्पक्षता, सच्चरित्रता के ध्येय वाक्य को लेकर कार्यरत सी.बी.आई. एक केंद्रीय पुलिस जांच एजेंसी है। देश की इस शीर्षस्थ जांच एजेंसी का मुख्य लक्ष्य सार्वजनिक जीवन में मूल्यों के संरक्षण तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप बनाए रखना है। देश का यह अभिजात्य बल इण्टरपोल के साथ समन्वय भी स्थापित करता है। नितांत पेशेवर कार्यशैली से युक्त सी.बी.आई. ने सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालयों, संसद तथा आमजन का विश्वास की जांच सी.बी.आई. को सौंपने की मांग की जाती है।

उल्लेखनीय है की केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को राज्य की सुरक्षा सम्बन्धी मामलों के साथ-साथ राष्ट्रीय महत्व के मामलों की जांच का कार्य भी सौंपा गया है। सन् 1985 में सी.बी.आई. को गृह मंत्रालय से हटाकर नए बने कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के अधीन किया गया। ऐसा इसलिए किया गया कि यह मंत्रालय प्रायः प्रधानमंत्री के प्रत्यक्ष नियंत्रण में होता है। सन् 1991 में राजीव गांधी हत्या सन् 1992 में बाबरी मस्जिद के ढहने तथा सन् 1993 में मुम्बई बम विस्फोटों के पश्चात् इनकी जांच संबंधी विशेष जांच टीम भी गठित हुई। आर्थिक उदारीकरण के दौर में बड़े आर्थिक अपराधों की जांच हेतु सन् 1994 में आर्थिक अपराध संभाग की स्थापना हुई।

वर्तमान में सी.बी.आई. का मुख्यालय कार्य संचालन की दृष्टि से निम्नांकित सात संभागों में विभक्त है-

1. अभियोजन निदेशालय
2. केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला;
3. भ्रष्टाचार निरोधी संभाग;
4. आर्थिक अपराध संभाग;
5. विशेष अपराध संभाग;
6. प्रशासन संभाग;
7. नीति एवं समन्वय संभाग
8. सी.बी.आई. का कार्यक्षेत्र

सी.बी.आई. के कार्य समय के साथ बढती इसकी उपयोगिता एवं कार्यक्षेत्र के अनुरूप विकसित एवं विस्तारित हुए हैं। सी.बी.आई. के मुख्य कार्य इस प्रकार हैं-

विशेष अपराधों, जैसे- आतंकवाद, बम विस्फोट, आत्मघाती हमले, फिरौती हेतु अपहरण तथा माफिया एवं अण्डरवर्ल्ड से जुड़े अपराधों इत्यादि की जांच करना;
केंद्रीय विभागों, केंद्रीय लोक उपक्रमों तथा केंद्रीय वित्तीय संस्थानों के कार्मिकों द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार तथा धोखेबाजी प्रकरणों की जाँच करना
अपने सामान्य कार्यक्षेत्र से बाहर ऐसे प्रकरणों की भी जांच करना जो उसे सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय तथा राज्य सरकारों द्वारा सौंपे गए हैं
इण्टरपोल से संबंधित कार्यों में भाग लेकर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय अपराधों से संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा तत्संबंधी जांच भी करना
विदेशी मुद्रा विनिमय, शासकीय गोपनीयता तथा भारत की प्रतिरक्षा से जुड़े मुद्दों तथा अपराधों की जांच करना
केंद्रीय सरकार द्वारा अनुरोध करने पर उनसे संबंधित कर्मचारियों एवं अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही करना
आर्थिक अपराधों जैसे- बैंकिंग धोखाधड़ी, आयात-निर्यात विनिमय उल्लंघन, नशीले पदार्थों तथा पुरामहत्व की वस्तुओं औरसांस्कृतिक सम्पदा सहित प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी इत्यादि की जांच करना;
राष्ट्रीय स्तर पर अपराधों के आंकड़े एकत्र करना और अपराधों एवं अपराधियों के सम्बन्ध में सूचना प्राप्त करना एवं अन्य एजेंसियों को सूचनाएं प्राप्त करना
रेलवे एवं डाक-तार से जुड़े अपराध, समुद्री एवं हवाई अपराध, पेशेवर आपराधिक घटनाएं, संयुक्त पूंजी कंपनियों में गबन तथा अन्य गैगवार अपराधों की जांच करना
उन अपराधों की जांच एवं अन्वेषण करना जो राज्य सरकार द्वारा नहीं सुलझाए जा सकते हैं
विभिन्न अपराधों में यह संख्या जो अनुसंधान करती है उनमें सरकार की अपनी राय भी देना।

3. आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत् सरकार ने 27 सितंबर, 2006 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) का गठन किया।

प्राधिकरण में भारत का प्रधानमंत्री अध्यक्ष होता है, 9 सदस्य होते हैं जिनमें से एक सदस्य को उपाध्यक्ष के रूप में पदनामित किया जाता है। प्राधिकरण की आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में यथा परिकल्पित कार्य सौंपे गए हैं-

आपदा प्रबंधन के लिए नीतियां, योजनाएं तथा दिशा-निर्देश निर्धारित करना;
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना तथा भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों द्वारा तैयार योजनाओं का अनुमोदन करना;
राज्य योजना निर्मित करने के लिए राज्य प्राधिकरणों के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करना;
आपदाओं की रोकथाम अथवा उनकी विकास योजनाओं तथा परियोजनाओं में इसके प्रभावों को कम से कम करने के उद्देश्य से उपायों को समेकित करने के लिए राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों और भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों द्वारा पालन किए जाने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करना;
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संसथान के कार्यकरण हेतु स्थूल नीतियों एवं दिशा-निर्देश निर्धारित करना;
प्रशमन के उद्देश्य से निधियों के प्रावधान की अनुशंसा करना
आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों और योजनाओं के प्रवर्तन और कार्यान्वयन का समन्वय करना;
बड़ी आपदाओं से प्रभावित दूसरे देशों को वैसी सहायता प्रदान करना जैसी केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाए;
न्यूनीकरण के प्रयोजनार्थ निधियों के प्रावधान की सिफारिश व्यापक नीतियां और दिशा-निर्देश निर्धारित करना।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अध्यक्ष को धारा-6(3) के अंतर्गत यह शक्ति दी गई है कि आपातकाल की स्थिति में वह उपर्युक्त सभी या कुछ कार्य स्वयं निर्धारित कर सकेगा किंतु उनका प्राधिकरण द्वारा कार्योत्तर अनुसमर्थन अनिवार्य होगा।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

उत्तराखंड के लेखक और उनकी प्रमुख पुस्तकें- भाग-1

कुमाऊँनी मुहावरे और लोकोक्तियाँ भाग-01

उत्तराखण्ड भाषा का विकास भाग-02 गढ़वाली भाषा