कुछ कथन



किन्होंने अंग्रेजों द्वारा प्रदान की गई “नाइट” की उपाधि लौटाते हुए कहा था कि ‘वह सम्भव समय आ गया है जब सम्मान के प्रतीक अपमान अपने बेमेल सन्दर्भ में हमारी शर्म को उजागर करते हैं और मैं, जहाँ तक मेरा सवाल है, सभी विशिष्ट उपाधियों से रहित होकर अपने उन देशवासियों के साथ खड़ा होना चाहता हूँ, जो अपनी तथाकथित क्षुद्रता के कारण मानव जीवन के अयोग्य अपमान को सहने के लिए बाध्य हो सकते हैं’?
                   - रवीन्द्रनाथ टैगोर ने

किसने कहा था कि ‘क्या आप एक ही देश में नहीं रहते? क्या आप एक ही धरती पर जलाये और दफनाये नहीं जाते? क्या आप एक ही जमीन पर नहीं चलते या एक ही धरती पर नहीं रहते? याद रखिए हिन्दू और मुसलमान शब्द केवल धार्मिक अन्तर के लिए है’?
                -सर सैयद अहमद खान ने

किन्होंने कहा था कि ‘जिस समय जनता का उत्साह अपनी चरम सीमा को छूने वाला था, उस समय पीछे हट जाने का आदेश देना राष्ट्रीय अनर्थ से कम नहीं था। महात्मा जी के प्रमुख सहयोगी देशबन्धु दास, पण्डित मोतीलाल नेहरू और लाला लाजपत राय, जो सब जेलों में थे, भी इस सामूहिक खिन्नता में भागीदार थे। मैं उस समय देशबन्धु के साथ था और मैंने देखा कि जिस तरह महात्मा गांधी बार-बार गोल-माल कर रहे थे, उस पर वे क्रोध और दुःख से आपे से बाहर हो रहे थे’?
            - सुभाषचन्द्र बोस ने

किन्होंने कहा था कि ‘भाग्य का चक्र किसी न किसी दिन अंग्रेज जाति को बाध्य करेगा कि वह अपने भारतीय साम्राज्य से हाथ धो ले। लेकिन वे अपने पीछे किस तरह का भारत, कितनी बुरी बदहाली छोड़ जाएँगे? जब सदियों पुराने प्रशासन का सोता अंततः सूखेगा तब कितना कूड़ा-करकट और कीचड़ वे अपने पीछे छोड़ जाएँगे’?
                   -रवीन्द्रनाथ टैगोर ने

किन्होंने कहा था कि ‘अपनी शिकायतों का निवारण कराने तथा रियायतें पाने के लिए उन्होंने 20 साल से अधिक समय तक कमोबेस जो निरर्थक आन्दोलन चलाया, उसमें उन्हें रोटियों के बजाय पत्थर मिले’?
                      - लाला लाजपत राय

किन्होंने कहा था कि ‘ईश्वर के नाम पर मैं यह पवित्र शपथ लेता हूँ कि मैं भारत और उसके अड़तीस करोड़ लोगों को स्वतन्त्र कराउँगा और इस पवित्र युद्ध को अपने जीवन की अन्तिम साँस तक जारी रखूँगा’?
               -नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने

किन्होंने कहा था कि ‘आज हमें पाकिस्तान और आत्महत्या में से एक को चुनना होगा’?
            -गोविन्द वल्लभ पन्त ने

किस लेखक ने अपनी पुस्तक “माउण्टबेटन एण्ड पार्टीशन ऑफ इण्डिया” में लिखा है कि ‘यदि जिन्ना की अपनी उस बीमारी के कारण दो वर्ष पहले मृत्यु हो गई होती, तो हम अपने देश को एक बनाये रखने में पूरी तरह सफल रहते; वही एक अकेला व्यक्ति था, जिसने भारत के अखण्ड और एक बने रहने की स्थिति को असम्भव बना दिया। यह मुहम्मद अली जिन्ना का बनावटी इस्लामाबाद और हुकूमत की तीव्र लालसा ही थी जिसके आगे झुककर भारत के सभी नेताओं एवं जनता को भारत का विभाजन स्वीकार करना पड़ा। जिन्ना ने ही पाकिस्तान की बात छेड़ी थी, उसे उछाला था और मुसलमानों की भावना को दूषित कर पाकिस्तान बनाये जाने के लिए उन्हें भड़काया था। अन्यथा भारत का सामान्य मुसलमान कभी भी भारत के दो टुकड़े हों, ऐसा नहीं चाहता था’?
                - लॉरी कालिन्स ने

किसने कहा था कि ‘आगरा और फतेहपुर सीकरी दोनों ही लन्दन से बड़े हैं’?
               -   राल्फ पिच ने

किन्होंने कहा था कि ‘गांधीजी के जितने भी मूल विचार थे, वे गलत, ऊल-जलूल और अव्यावहारिक थे। स्वतन्त्र भारत ने उन्हें तिलांजलि दे दी, यह बहुत अच्छा हुआ’?
मन्मथनाथ गुप्त ने काकोरी केस में
किन्होंने कहा था कि ‘क्रान्तिकारिोयं का फाँसी चढ़ जाना इस बात का सबूत है कि खुदगर्जी उनको इस रास्ते पर नहीं लाई। उनमें देशप्रेम था। वे देश में सच्ची स्वतन्त्रता स्थापित करना चाहते थे। उन्होंने जो कुछ भी किया उसकी सारी जिम्मेदारी अंग्रेजी सल्तनत पर है’?
              -   पण्डित मदनमोहन मालवीय ने

किन्होंने कहा था कि ‘मैं आप लोगों मे् से कुछ को महान बनता हुआ देखना चाहता हूँ। आप अपने लिए नहीं, भारत माता को महान बनाने के लिए महान बनें। जिससे वह स्वाधीन देशों की पंक्ति में मस्तक ऊँचा करके खड़ी हो सके। जो निर्धन और निष्प्रन्न हैं, मैं चाहता हूँ कि उनकी निर्धनता और निष्प्रन्नता मातृभूमि की सेवा को समर्पित हो जाये। काम करो! जिसमें मातृभूमि समृद्ध हो सके, कष्ट झेलो! जिसमें मातृभूमि आनन्दित हो सके’?
            - महर्षि अरविन्द ने

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