सेना का जनरल बकरा 'बैजू'

आज़ादी से पहले की बात है जब गढ़वाल राइफल्स का ट्रेनिंग कैम्प लैंसडौन था। उस समय लैंसडौन नगर में एक बकरा जो निडर विचरण करता हुआ नजर आ जाता था वो ऐसा वैसा बकरा नहीं था बल्कि सेना का जनरल था जिसका नाम था जनरल बैजू।

बात 1919 के एंग्लो-अफगान युद्ध में मोर्चे पर रॉयल अंग्रेजी सेना का हिस्सा रही गढ़वाल राइफल की एक टुकड़ी की है जब वह अफगानिस्तान के चित्राल क्षेत्र में भटक गए थे। यह सैन्य टुकड़ी दिन भर शत्रुओं के कारण झाड़ी में रही तथा रात को बाहर निकलती थी। एक रात थके-भटके भूखे सिपाही अपना मार्ग ढूंढ रहे थे तभी सामने झाड़ी हिलते हुई प्रतीत हुई, उन्हें लगा शत्रुओं ने घेर लिया है और भटकी हुई टुकड़ी ने अपने बचे-कुचे अस्त्र सम्भाल कर चौकन्ने हो गए। थोड़ी देर में झाड़ी से एक भीमकाय बकरा बाहर निकला तब सैनिकों की जान में जान आई। वह बकरा निर्भय सैनिकों को निहार रहा था। लम्बी दाड़ी वाले उस बकरे ने सिपाहियों से डरे बिना उनके नजदीक आने का इंतज़ार किया और फिर धीरे-धीरे उल्टे पाँव ही चलते हुए सिपाहियों को रास्ता दिखाने लगा। काफी दूर जाने पर बकरा एक चौड़े खेत में रुक गया, सैनिकों ने उसे घेर रखा था कि बकरे ने बिना डरे अपने पैरों से खोदना शुरु कर दिया और सिपाही उसे मंत्रमुग्ध होकर देख ही रहे थे। थोड़ी देर में ही उसके बड़े-बड़े बहुत सारे आलू खोद लिए थे। सैनिकों ने उन्हें इकट्ठा कर भूनकर खाया। उस भटके वक्त में वह बकरा देवदूत बनकर सामने आया। कुछ ही देर में अन्य सैन्य दल भी मिल गए। 

विजयी होने के बाद सेना लैंसडौन आ गई और अपने साथ उस बकरे को भी लेकर आ गए।

सेना ने भी अपने मददगार बकरे का अहसान उसे ‘जनरल’ का दर्जा देकर चुकाया था। 

जनरल बकरे को लैंसडौन में पूरी आजादी थी। सैनिक बैरक में उसे एक कमरा दिया गया था। बाजार में जिस चीज को वह खाने लगता उसे कोई रोकता नहीं था। उसका बिल दुकानदार सेना को देते थे जहां से उसका भुगतान हो जाता था।

बकरा जनरल का जिक्र इतिहासकार डॉ. रणवीर सिंह चौहान ने प्रसिद्ध पुस्तक ‘लैंसडौन सभ्यता और संस्कृति’ और साहित्यकार योगेश पांथरी ने अपनी पुस्तक ‘कालौडांडा से लैंसडौन’ में किया है। इसके अतिरिक्ति इस जनरल बकरे का जिक्र उत्तराखण्ड पर्यटकों का स्वर्ग नामक पुस्तक में कुंवर सिंह नेगी कर्मठ ने भी किया है।

टिप्पणियाँ

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    में भी देता उत्तराखंड के बारे में जानकारी हु आप हमसे भी जुड़ सकते है धन्यवाद

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    2. Kya aap mujhe bata sakte h ki kaise apni website ka link comments m daal sakte h

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  3. सर एक निवेदन हैं कि आप जो भी इतिहास से जुड़े ब्लॉग लिखते है उनके स्रोत के बारे में भी बताए ताकि हम भी उनकी पुष्टि कर सकें🙏

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  4. आपका ब्लॉक उत्तराखंड ज्ञानकोष के क्षेत्र में काफी लाभप्रद सूचना प्रदान करता है

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