उत्तराखण्ड की 15 महत्वपूर्ण नहरें

1. ऊपरी गंगा नहर- राज्य की सबसे पुरानी नहर जिसका निर्माण 1842 से 1854 के मध्य किया गया था। इस नहर को हरिद्वार के समीप गंगा के दाहिनी ओर से निकाला गया है जो हरिद्वार से कानपुर तक है। 1983 में इसका आधुनिकीकरण किया गया। इस नहर के निर्माण का मुख्य उद्देश्य 1834 में गंगा-यमुना दोआब में फैला भीषण दुर्भिक्ष को कम किया जाना था। 1836 में पी0बी0 काटले ने इस नहर को स्वीकृत किया। 

2. निचली गंगा नहर- नरोरा बांध से सेंगर नदी व सेरसा नदी और मैनपुरी जिले के शिकोहाबाद को पार कर आगे बढ़ती है। इसे गंगा नहर की भागनीपुर शाखा कहा जाता है। इसे 1880 में खोला गया।

गंगनहर की प्रमुख चार शाखायें देवबंद, अनूपशहर, माट तथा हाथरस के रूप में हैं। इसके निर्माता काटले का आधुनिक भगीरथ के नाम से जाना जाता है। गंगानहर बनने के बाद इसने डाटकाली मंदिर का भी निर्माण करवाया था। हालांकि डाटकाली मंदिर पूर्व में गोरखों द्वारा निर्मित था, जो अलग है। 

3. पूर्वी गंगा नहर- भीगगोड़ा से निकली यह नहर चंदोक, नगीना, नजीबाबाद, नहटो, अलवापुर पांच शाखाओं में विभक्त है। इससे हरिद्वार, बिजनौर तथा मुरादाबाद जिलों में सिंचाई होती है।

4. शारदा नहर- बनबसा, चम्पावत से निकाली गई यह नहर 1928 में शारदा अथवा काली नदी में बनाई गई है। 

5. जमरानी बांध परियोजना- उधमसिंह नगर एवं नैनीताल जिलों में सिंचाई सुविधा हेतु शुरू परियोजना।

6. रामगंगा नहर- पौड़ी के कालागढ़ के पास बांध बनाकर निकाली गई नहर श्रृंखला जो उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड दोनों के लिए हितकारी है।

7. भीमताल- यहां से छोटी-छोटी नहरें निकालकर सिंचाई व्यवस्था बहाल की गई है। 

8. राजपुर नहर- इस नहर का निर्माण करने का श्रेय पृथ्वीपति शाह की माता रानी कर्णावती का जाता है। रिस्पना नदी से पानी लेकर यह नहर झण्डा साहिब के सामने तालाब तक जाती थी। 1820 के आस-पास इस नहर का जिम्मा श्री गुरू राम राय दरबार साहिब ने सम्भालना शुरू किया। 1840 में इस नहर का पुनरूद्धार पी0वी0काटले ने करवाया। 

9. कटापत्थर नहर- इस नहर का डिजाइन पी0वी0काटले ने 1840-41 में बनाया था। यह नहर वर्ष 1847 को तैयार हुई। यह नहर यमुना नदी के पानी पर बनी है। 1902 में भारी बाढ़ से यह नहर नष्ट हो गई थी। अतः वर्तमान में स्थित नहर वर्ष 1903 में बनी है।

10. बीजापुर नहर- काॅटले ने ही 1837 में इसका डिजाइन बनाया था। यह पूर्वी टोंस नदी पर विजयपुर गांव से निकलती है। 1839 में कार्य प्रारम्भ किया और मात्र एक वर्ष में बनकर तैयार हो गयी। गढ़ी क्षेत्र में यह दो हिस्सों कांवली एवं कोलागढ़ नहर के रूप में बंट जाती है। इस नहर के शीर्ष को 1905 में बनाई गई। 

11. खलंगा नहर- सौंग नदी पर यह नहर 1860 में बनी है। मालदेवता से शुरू हो कर यह नहर रायपुर क्षेत्र में रायपुर नहर के रूप में जानी जाती है। 1902 में बालावाला एवं नत्थूवाला में लघु नहरों का निर्माण किया गया।

12. जाखन नहर- 1863 में जाखन नदी पर बनाई गई नहर जो जाखन से रानी पोखरी तक जाती है। 

13. धर्मपुर नहर- रिस्पना नदी पर ईस्ट कैनाल नाम से जानी जाने वाली नहर जो बंगाली कोठी से आगे खेतों में मिल जाती थी। इस नहर के साथ बनी सड़क को ई0सी0 रोड का जाता है। यह नहर आगे बढ़कर कारगी नहर कहलाती थी जोकि बंजारावाला के खेतों को सींचित करने का कार्य करती थी। 

14. हल्द्वानी नहर- ट्रैल के द्वारा इसका निर्माण करवाया गया था। 

15. लस्तर नहर- 1970 में जखोली ब्लाॅक, रुद्रप्रयाग में के बांगर, सिलगढ़, लस्या पट्टी के दर्जनों गांवों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने हेतु निर्मित लगभग 30 किमी लम्बी नहर है। 


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