गढ़वाल क्षेत्र में धान का कटोरा कहा जाता है रामा सिराईं

        रवाईं क्षेत्र उत्तरकाशी में स्थित रामा सिराईं को गढ़वाल का धान का कटोरा कहा जा सकता है। नामकरण का कारण है इस क्षेत्र में उपजने वाला लाल चावल जिसके लिए ये जाना जाता है। ज्ञातव्य हो कि कुमाउं क्षेत्र में धान का कटोरा बोरारौ में स्थित कोसी नदी घाटी को कहा जाता है। यहां नदी की बात करें तो कमल नदी घाटी को धान का कटोरा कहा जाना उचित प्रतीत होता है। यहां उगने वाला लाल चावल च्वाटूधान तथा च्वार धान कहलाता है। यह धान यहां हिमाचल की धान घाटी च्वारघाटी से आया था। 

        बात कमल नदी की करें तो उत्तराखण्ड के सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के पुरोला विकासखण्ड में बहने वाली कमल नदी का अपना अलग ही महत्त्व है। स्थानीय लोग इस नदी को कमोल्ड नाम से जानते हैं। कमल नदी यहाँ के लोगों की जीवनरेखा है।

        यह नदी कोई ग्लेशियर से निकलने वाली नहीं है, यह तो कमलेश्वर स्थित जंगल के बीच एक प्राकृतिक जलस्रोत से निकलती है। जो सदाबहार जलधारा है। यह जलधारा कमल नदी के रूप में लगभग 30 किमी बहकर नौगाँव के पास यमुना में संगम बनाती है। जो कि क्रमशः कमलेश्वर से रामा, बेष्टी, कण्डियाल गाँव, कुमोला, देवढुंग, पुरोला, चन्देली, नेत्री, हुडोली, सुनाराछानी, थलीछानी सहित 55 गाँवों की खेती को सिंचित करते हुए नौगाँव स्थित यमुना से मिल जाती है।


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