क्यूंसर का मेला

जनपद के जौनपुर विकास खंड का यह एक लोकमान्य देवता है। इसका मंदिर पालीगाड़ पट्टी में बगसील गांव के अन्तर्गत देवलसारी नामक स्थान पर स्थित है। जहां इसकी पूजा नागराज के रूप में की जाती है। इस स्थान पर आश्विन मास की संक्रांति को एक उत्सव का आयोजन किया जाता है।

लोक कथा प्रचलित है कि एक बार इस गांव में एक साधु आया। उसे देवलसारी सेरा बहुत पसंद आया किन्तु यहां के सयाणें ने उसकी प्रताड़ना करके उसे भगा दिया। क्रुद्ध होकर साधु ने श्राप दे दिया कि तुम्हारे इस सेरे में धान की जगह देवदारु के वृक्ष उग जायेंगे, ऐसा ही हुआ। लोगों ने देखा कि खेतों में धान की जगह देवदारु उग आए हैं और जिस स्थान पर साधु बैठा हुआ था, वहां पर एक नाग कुंडली मारे बैठा हुआ है। तब भयभीत होकर गांव के लोगों ने दूध, दही, पुष्प-फल लाकर उसकी पूजा की। पश्चात् उस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण कर दिया गया।

इस मंदिर में स्थित शिवलिंग के निकट जलकुंडी है। इसके जल के सम्बन्ध में लोगों का कहना है कि आश्विन मास की संक्रांति के दिन जब पुजारी उस जलकुंडी के समक्ष शंख ध्वनि करता है तो जलकुंडी से जल स्वतः ही बाहर की ओर प्रवाहित होने लगता है। यहां पर देवपूजा के लिए आया हुआ जनसमूह जलकुंडी के जल से ही देवता का प्रसाद, हलुवा, सिरणी आदि तैयार करते हैं। कहा जाता है कि मंदिर में पूजा सम्पन्न होने के पश्चात् जल कुंडी से प्रवाहित जल स्वतः ही बंद हो जाता है। इस अवसर पर यहां देवता का थौलू खेला जाता है।

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