महक़ क्रांति
उत्तराखंड में "महक क्रांति" योजना के अंतर्गत सुगंधित पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न जिलों और घाटियों में बड़े पैमाने पर कार्य किया जा रहा है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों की आर्थिकी को मजबूत करना और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना है। उत्तराखंड सगंध पौधा केंद्र (Centre for Aromatic Plants - CAP) इस योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
यहां कुछ प्रमुख जिले और घाटियाँ हैं जहाँ "महक क्रांति" के तहत कार्य हो रहा है:
लेमनग्रास वैली: देहरादून, हरिद्वार और पौड़ी जिलों में 2400 हेक्टेयर भूमि पर लेमनग्रास की खेती का लक्ष्य रखा गया है। इससे आवश्यक तेल, चाय, अरोमाथेरेपी और कीटाणुनाशक जैसे उत्पाद तैयार किए जाएंगे।
मिंट वैली (जापानी मिंट): हरिद्वार और उधमसिंह नगर में 8000 हेक्टेयर भूमि पर मिंट वैली विकसित की जाएगी। इससे आवश्यक तेल, खाद्य सामग्री, औषधीय उत्पाद और अरोमाथेरेपी के लिए मिंट उत्पाद बनाए जाएंगे।
डेमेक्स रोज वैली: चमोली, उत्तरकाशी और अल्मोड़ा जिलों में 2000 हेक्टेयर भूमि पर डेमेक्स गुलाब की खेती का लक्ष्य है। इससे गुलाब जल, गुलाब का तेल, गुलाब वाइन, गुलाब शहद, परफ्यूम, साबुन, कॉस्मेटिक और अरोमाथेरेपी उत्पाद मिलेंगे।
दालचीनी वैली (Cinnamon Valley): नैनीताल और चंपावत जिलों में दालचीनी की खेती पर जोर दिया जा रहा है।
*सुरई वैली (Himalayan Cypress):* उत्तरकाशी जिले में सुरई (हिमालयन साइप्रस) की खेती की जा रही है।
टिमरू वैली: पिथौरागढ़ जिले में टिमरू की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे "उत्तराखंड परफ्यूम" भी विकसित किया जा रहा है।
इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड सरकार ने काशीपुर में भारत का पहला "एरोमा पार्क" भी स्थापित किया है, जो सुगंधित पौधों के प्रसंस्करण और संबंधित उद्योगों को बढ़ावा देगा।
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