सेवा कर

सेवा कर यात्रा

केंद्र और राज्‍य सरकार की ओर से लगाये जाना वाला वैसा कर जो किसी व्‍यक्ति या संस्‍था पर सेवा प्रदान करने के एवज में लगाया जाने वाला कर ही सेवा कर है. सेवा प्रदाता की ओर से हर माह उसकी आमदनी के हिसाब से उससे कर के रूप में कुछ राशि वसूली जाती है. इसकी शुरुआत 1994 में की गयी है. शुरुआत में पांच फीसदी सेवा कर 2003 तक के लिए फिक्‍स कर दिया गया था.

यह एक अप्रत्‍यक्ष कर है, चूंकि इसे सेवा प्रदाता द्वारा अपने व्‍यापार संबंधी लेन देनों में सेवा प्राप्‍त करने वाले व्‍यक्ति से वसूला जाता है. भारत में 1994 के दौरान सेवा कर की प्रणाली आरंभ की गई थी, जिसे वित्त अधिनियम, 1994 के अध्‍याय V में जोड़ा गया था. यह आरंभ में 1994 से तीन सेवाओं के आरंभिक समूह पर लगाया गया था तथा तब से उसके पश्‍चात वित्त अधिनियमों द्वारा निरंतर सेवा कर का विस्‍तार बढ़ाया जाता रहा है. वित्त अधिनियम को जम्‍मू और कश्‍मीर राज्‍य के अलावा पूरे भारत में सेवा कर की वसूली के लिए विस्‍तारित किया गया है.

कौन विभाग देखता है कामकाज

वित्त मंत्रालय में राजस्‍व विभाग के तहत केन्‍द्रीय सीमा शुल्‍क और उत्‍पाद शुल्‍क मंडल (सीबीईसी) के माध्‍यम से सेवा कर के संग्रह और संबंधित लेवी की नीति के निर्धारण का कार्य किया जाता है. केन्‍द्र सरकार द्वारा प्रदत्त अधिकारों के उपयोग से सेवा कर नियमों द्वारा सेवा कर के आकलन और संग्रह के प्रयोजन को पूरा किया जाता है. सेवा कर का प्रशासन विभिन्‍न केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क आयुक्‍तालयों द्वारा किया जाता है.

ये केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क और सीमा शुल्‍क मंडल के तहत कार्य करते हैं. दिल्‍ली, मुम्‍बई, कोलकाता, चेन्‍नई, अहमदाबाद और बैंगलोर मेट्रों शहरों में 6 आयुक्‍तालय स्थित हैं जो सेवा कर से संबंधी विशिष्‍ट कार्य करते हैं. मुम्‍बई में स्थित सेवा कर निदेशालय तकनीकी और नीति स्‍तर के समन्‍वय के लिए क्षेत्र स्‍तर पर गतिविधियों की समग्रता से देखभाल करता है.

कब कब बढ़ाये गये सेवा कर

सेवा कर की शुरुआत 1994 में की गयी. उस समय कुछ चुनिंदा सेवाओं में सरकार की ओर से टैक्‍स का निर्धारण किया गया जो 5 फीसदी था. इसे 2003 तक के लिए अपरिवर्तित रखा गया. बाद में अप्रत्‍यक्ष कर संग्रह के तहत आने वाले इस कर प्रणाली से सरकार को अच्‍छी खासी राजस्‍व की प्राप्ति हुई. बाद में सरकार ने 2004 में शिक्षा क्षेत्र में कर को दो फीसदी बढ़ाते हुए पांच फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया. इसके बाद 2006 में इसे 12 फीसदी कर दिया गया.

2007 के मई में इसे और बढ़ाते हुए मौजूदा सरकार ने 12.36 फीसदी कर दी. बाद में आर्थिक मंदी के दौर में 2012 में सेवा कर को घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया. लेकिन यह बदलाव कुछ चुनिंदा सेवाओं पर ही लागु किया गया. उसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने 1 जून 2016 से सेवा कर 14 फीसदी करने का निर्णय लिया गया. 1 जून 2015 से नयी सेवा कर लागू हो गयी।


20 साल में 3 से 119 हुईं सेवाओं की संख्‍या

अगर हम उक्‍त आंकड़ों पर गौर करें तो पायेंगे की सरकार ने सेवा कर के शुरुआत में वर्ष 1994 में मात्र 3 ही सेवाओं को कर के दायरे में रखा था. वहीं 20 साल बाद मौजूदा आंकड़ों के अनुसार 119 सेवाओं को कर के दायरे में लाया जा चुका है. सरकार ने धीरे-धीरे कर वैसे सभी सेवाओं को कर के दायरे में रख दिया है जिससे आम नागरिक परोक्ष या अपरोक्ष रूप से जुड़ा हुआ है. इससे सरकार के राजस्‍व में हर साल इजाफा हुआ है. आंकड़ें बताते हैं कि सरकार को 2003 - 2004 में पिछले साल की अपेक्षा 91 फीसदी की बढा़ेतरी दर्ज की गयी. इय इस पूरे 20 साल की सबसे अधिक बढोतरी है.


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