सोर के बम-

सोर के बम-

★ सूर्यवंशीय क्षत्रिय  जो नेपाल से आगत थे।
★ सोर के बम राजा डोटी के राजाओं के परिवार की कनिष्क शाखा के सदस्य माने जाते हैं। (सीरा के रैका भी)
★ वर्तमान महाविद्यालय एवं राजकीय इंटर कॉलेज परिसर को घुड़साल कहा जाता था, जो सम्भवतः बम शासकों का अस्तबल था। 【इस स्थान को घुड़साल नाम से जाना जाता था】
★ पपदेव गाँव के समीप उच्चकोट का टीला तत्कालीन किसी किले का अवशेष प्रतीत होता है। (आज भी जन्म  पत्री इत्यादि में क्षेत्र का जिक्र "उच्चकोट समीपे" के रूप में होता है। उच्चाकोट से संलग्न पर्वत श्रृंखला का अंतिम शिखर उदयपुर कहलाता है जहां कोट के अवशेष अभी तक मौजूद है।
★  विजय बम तथा ज्ञानचन्द का सेलौनी ताम्रपत्र- 1420 ई0 का। इससे ज्ञात होता है कि 1420 तक सोर का शासक विजयबम था किन्तु इसके पश्चात चन्दो के अधीन आया। किन्तु सत्ता संघर्ष यथावत रहा।

★ सौर के वास्तविक निर्माता बम शासकों को ही माना जाता है। (सौर नाम का प्रचलन भी उन्हीं की देन है) 
नामोत्पत्ति सम्बन्धी विवरण इतिहास वाले खण्ड में देखें।

★ प्रथम बम राजा कराकील बम था।
★ अंतिम शासक-हरिबम
★ उदयपुर का अवशेष पुराने ब्रिटिश लेखों में इसे पपदेव का डांडा ही कहा गया है।
★ रावल पट्टी में हाट गाँव मे बना एक हथिया नौला, जिसे हाट का नौला या रानी का नौला कहा जाता है।
(इसके सम्बन्ध में जनश्रुति है कि बम राजा ने रानी के लिए नौला बनवाया था जिससे प्रसन्न होकर राजा ने पुरस्कार मांगने को कहा कलाकार ने रानी की माँग की तो राजा ने एक हाथ कटवा दिया था.)

 बमों की राजधानी-

      1. पपदेव का डांडा (उदयपुर) ये शक्तिबम के शासन तक राजधानी रही।

     2. बमधौन/ठुला कोट   विजयबम द्वारा बसाई गई।   
   
★ वर्तमान पिथौरागढ़ के द्वौत नामक गाँव (नैनी-सैनी के निकट) में बमजाति के लोग रहते हैं जो सम्भवतः इसी राजवंश के हैं।

★ वर्तमान पिथौरागढ़ की शान के रूप में मोष्टा देवता एवं हिलजात्रा बम शासक ही नेपाल से यहाँ लाये थे।

★ बमों के ताम्रपत्रों में खेतीहार क्षत्रिय कुलीनों का उल्लेख हैं। सोर की अंग्रेजी कालीन छहों पट्टियों, जो पटवारियों के हल्के के रूप में विभाजित हुई, की नींव बमों के समय पड़ चुकी थी। इसलिए सोर परगना को छः पट्टी सोर कहा जाता है।

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