अल्मोड़ा जिले के प्रमुख व्यक्तियों की सूची पढ़ें और नोट करें।

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लोकरत्न पंत (साहित्य)-
जन्म-1790 काशीपुर मूल रूप से पिथौरागढ़ के उपराड़ा गांव में हुआ। इन्होनें राम नाम, पंच-पंचाशिका, राममहिमा वर्णन, गंगाशतक, चित्र  पद्यावली रामाष्टक, कालिकाष्टक, नीतिशतक इत्यादि रचनायें लिखी है।  काशीपुर के महाराजा गुमानी सिंह के दरबार में कवि थे। अतः इन्हें लोकरत्न गुमानी नाम मिला। इन्हें खड़ी बोली का पहला कवि कहा जाता है। कुमाऊंनी एवं नेपाली भाषा के प्रथम कवि भी माना जाता है।

शिवदत्त सती (साहित्य)-  जन्म 1848 फल्दाकोट, अल्मोड़ा में हुआ। ये मित्रविनोद, भाबर के गीत, घस्यारी, बुद्धि प्रवेश इत्यादि रचनाओं के लिए जाने जाते हैं।

गौरी दत्त पाण्डे गौर्दा‘ (साहित्य)- 1872 पटिया गांव, अल्मोड़ा में जन्में  1939 में निधन. चाय लीला एवं हमरौ कुमाऊं प्रसिद्ध रचनाऐं हैं।



कुमाऊं केसरी बद्रीदत्त पाण्डे (स्वतंत्रता सेनानी एवं इतिहासकार)- जन्म-15 फरवरी, 1882 कनखल में मृत्यु-13 जनवरी, 1965. 1913 में अल्मोड़ा अखबार का सम्पादन किया। 1918 में शक्ति समाचार पत्र निकाला। कुली आन्दोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।  1937 में कुमाऊं का इतिहास नामक पुस्तक लिखा। 2 स्वर्ण पदक प्राप्त किये थे जिन्हें 1962 भारत-चीन युद्ध के समय देश की सुरक्षा हेतु दान किया।  इन्हें पालिटिकल बीस्ट नाम से भी जाना जाता है।

 

हरगोविन्द पंत  (स्वतंत्रता सेनानी)- जन्म 19 मई, 1885 चितई   मृत्यु-1957

1928 में कुलीन ब्राह्मणों द्वारा हल न चलाने की प्रथा को तोड़ा। शीतलाखेत में सिद्ध आश्रम नामक संस्था की स्थापना की।  भगीरक्ष पाण्डे के साथ मिलकर ताड़ीखेत में प्रेम विद्यालय की स्थापना की।  इन्हें अल्मोड़ा की रीढ़ कहा जाता है। 1950-56 तक बद्रीनाथ मंदिर कमेटी के अध्यक्ष रहे।

इन्द्र सिंह नयाल (स्वतंत्रता सेनानी/साहित्यकार)-              जन्म-1902      मृत्यु-1994

नैनीताल के नवयुवकों में चल रहे राजद्रोह के मुकदमों की पैरवी की। 1973 में स्वतंत्रता संग्राम में कुमाऊं का योगदान नामक पुस्तक लिखी।  1955 में खटीमा में थारू हाईस्कूल की स्थापना की। 1932 कुमाऊं युवक सम्मेलन के अध्यक्ष बने।

डाॅ0 मुरली मनोहर जोशी (राजनीतिज्ञ)- 5 जनवरी, 1934 ग्राम गल्ली, अल्मोड़ा में जन्में।  1977 में जनसंघ का जनता पार्टी में विलय होने के बाद, 1980 में बनी भाजपा के पहले प्रदेश सचिव बने।  कन्याकुमारी से जम्मू तक एकता यात्रा की। हिन्दी भाषा में भौतिकी विषय के स्पेक्ट्रोस्काॅपी में शोधपत्र तैयार किया। इस विषय पर हिन्दी में शोध पत्र बनाने वाले पहले व्यक्ति है।

इलाचन्द्र जोशी (कहानीकार/उपन्यासकार/पत्रकार)- 13 दिसम्बर, 1903 अल्मोड़ा में जन्म। निधन- 1982 सुधाकर नामक हस्तलिखित साहित्यिक मासिक पत्रिका अल्मोड़ा से तब निकाला जब वे 8वीं में पढ़़ते थे। इनकी प्रमुख रचनाएं- जिप्सी, सन्यासी, घृणामययी, पर्दे की रानी, प्रेत और छाया, निर्वासित, जहाज का पंछी, मुक्तिपथ, सुबह के भूले इत्यादि।

राम सिंह धौनी (स्वतंत्रता आन्दोलनकारी)-  1893 में जन्म। 12 नवम्बर, 1930 में निधन. जय हिन्द शब्द का सर्वप्रथम प्रयोगकर्ता थे।  1921 फतेहपुर में साहित्य समिति का गठन किया।   शक्ति पत्र के सम्पादक 1925 में बने।   1935 में इनकी स्मृति में श्री राम सिंह धौनी आश्रम की स्थापना सालम में की गई।

विक्टर मोहन जोशी (स्वतंत्रता आन्दोलनकारी)- 1 जनवरी, 1896 को जन्म।  4 अक्टूबर,1940  को देहान्त।         1920 को प्रयाग से क्रिश्चियन नेशनलिस्ट नामक अंगे्रजी पत्र प्रारम्भ किया। 1930 में स्वाधीन प्रजा नामक समाचार पत्र का प्रकाशन किया। कुमाऊं में हुए हर आन्दोलन में श्री जोशी की भूमिका देखने को मिलती है। अल्मोड़ा में क्रिश्चियन फ्रैण्डस एसोशिएसन की स्थापना की, जिसका बाद में नाम क्रिश्चियन यंग पीपुल सोसाइटी नाम रखा गया। बागेश्वर में स्वराज्य मंदिर की स्थापना की। 1928 में बागेश्वर में खद्दर की प्रदर्शनी आयोजित की।

घनानन्द पाण्डेय (वैज्ञानिक)- 1 जनवरी, 1902 रानीखेत में जन्म   

1954 में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष। 1961-66 रूड़की विश्वविद्यालय के कुलपति। उत्तराखण्ड विकास संगठन नाक संस्था का गठन किया।

सोबन सिंह जीना (स्वतंत्रता आन्दोलनकारी)-  04 अगस्त, 1909 में जन्म।              कुमाऊं राजपूत परिषद् का गठन किया।                 रायबहादुर की उपाधि प्राप्तकर्ता. भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक। इन्होंने पताका नामक समाचार पत्र निकाला था।  30-31 मई, 1988 को उत्तरांचल उत्थान परिषद् का गठन किया।

प्रसून जोशी (गीतकार/सिनेमा)- 16 सितम्बर, 1968 में जन्म। द एड गुरू नाम से विख्यात। जिस हेतु प्रतिष्ठित अमेरिकी लाॅयन पुरस्कार प्राप्त किया। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

पूरन चन्द्र जोशी (राजनीतिज्ञ)- जन्म- 1907 निधन- 1979

1928 में अखिल भारतीय वर्कर्स एवं प्रीजेन्ट्स पार्टी की स्थापना की। 1935-48 तक कम्यूनिस्ट पार्टी के सचिव रहे। राष्ट्रीय युवा मोर्चा का गठन 1970 में किया।

देवकी नन्दन पाण्डेय (स्वतंत्रता सेनानी)- रानीखेत, अल्मोड़ा से सम्बन्धित थे। नंगे पांव कैलाश मानसरोवर यात्रा करने वाले व्यक्ति.  पद्म श्री सम्मान प्राप्तकर्ता है। इन्हें कुमाऊं के गांधी नाम से जाना जाता है।

बच्ची राम आर्य (समाजसेवा/स्वतंत्रता आन्दोलनकारी)- 1909-1980

कुर्मांचल में शिल्पकारों के जनेऊ आन्दोलन के प्रणेता। कर्मकाण्डी आर्यसमाजी पण्डित के नाम से प्रसिद्ध। 1931 में कुमाऊँ शिल्पकार सुधार सभा का गठन किया। जलती मशाल एवं ग्राम सुबोध नामक पुस्तकें लिखी।

आयरिन पंत (समाजसेवी/पाकिस्तान की राजनेता)- 13 फरवरी, 1905 को अल्मोड़ा में जन्म। 1990 में निधन।      अल्मोड़ा की बेटी एवं पाक की बहू नाम से प्रसिद्ध, पाकिस्तान के प्रथम प्रधानमंत्री लियाकत अली खान की पत्नी। पाकिस्तान की पहली महिला राजदूत एवं गवर्नर बनने वाली महिला। इन्हें मदर आफ पाकिस्तान, वूमन आफ वल्र्ड एवं मानवाधिकार पुरस्कारों से सम्मानित हुई।

गौरा पन्त शिवानी‘ (साहित्यकार)- 17 अक्टूबर, 1923 को गुजरात में अश्वनी कुमार एवं लीलावती के घर में जन्म। 12 वर्ष की आयु में अल्मोड़ा से निकलने वाली पत्रिका नटखटसे लेखन का सिलसिला शुरू हुआ। पहली कहानी सोनार बांग्ला नामक बंगाली पत्रिका में मरीचिका नाम से छपी। 1951 में धर्मयुग नामक पत्रिका में कहानी मैं मुर्गा हूँ ने शिवानी नाम की पहचान दिलाई। इनकी रचना करिये छिम्मा पर विनोद तिवारी ने फिल्म बनाई है।  इनकी मुख्य रचनाएं- मायापुरी(1961),  विषकन्या (1972), चैदह फेरे(1973), कैंजा(1975), सुरंगमा(1975), रथ्या (1976), किशुनली (1979), शमशान चम्पा(1992), कालिन्दी(2001), अतिथि इत्यादि।   

शैलश मटियानी वास्तविक नाम- रमेश चन्द्र सिंह बिष्ट (साहित्यकार)- 14 अक्टूबर, 1931 में जन्म। निधन- 24 अप्रैल, 2001। जनकथाकार के रूप में जाना जाता है। इनकी रचनाएं- बोरीवली से बोरीबन्दर (1951), कबूतरखाना, हवलदार, चिट्ठीरसेन, तिरिया भरी न काठ की, बारूद और बचूली, मूक सरोवर के हंस, बेला हुई अबेर, जलतरंग, रामकली, सर्पगन्धा, सवित्री, गोपुली गफूरन, मुठभेड़, मायासरोवर, चन्द औरतों का शहर एवं महाभोज इत्यादि।

शेर सिंह बिष्ट अनपढ‘ (साहित्यकार)- जन्म- माल गांव, अल्मोड़ा 1935

कुमाऊंनी के आधुनिक युग का वास्तविक आरम्भ शेर सिंह बिष्ट से माना जाता है। हमर मैं बाप, दीदी-बैणी, हसणै बहार, कविता संग्रह लोकप्रिय हुए। 1981 में मेरी लटी-पटी नाम से इनकी कविताओं का संग्रह प्रकाशित हुआ था।

गिरीश तिवारी गिरदा‘ (साहित्यकार)- जन्म- ज्योलि ग्राम में 9 सितम्बर, 1945। निधन-22 अगस्त, 2010 इनकी प्रमुख रचनाएं- अन्धा युग, अन्धेर नगरी, थैक्यू मिस्टर ग्लाड, भारत दुर्दशा, नगाडे़ खामोश, धनुषयज्ञ, शिखरों के स्वर, हमारी कविता के आखर, रंग डारी दियो हो अलबेलिन में, एवं उत्तराखण्ड काव्य की रचना की। पिथौरागढ़ जिले के प्रसिद्ध झुसिया दमाई पर शोध ग्रन्थ लिखा।

शान्ति लाल त्रिवेदी (गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी)- 1905 गुजरात में जन्म। गांधी जी इन्हें लम्बे खत वाला नाम से पुकारते थे। 1937 बोरारौ क्षेत्र के चनौदा में प्रथम गांधी आश्रम (राज्य में) शुरू किया। कुमाऊं छोड़ने को कहे जाने पर इनका जवाब अद्वितीय था- ‘‘हम अंगे्रजों को कहते हैं कि भारत छोड़ो, आप हमसे कहते हैं कि हिमालय छोड़ो। हिमालय हमारा है, हम इसे क्यों छोड़ें?’’ 1951-54 गरुड़ एवं शैल ग्राम में पेयजल विवाद सुलझाने के लिए जाने जाते हैं।

सुश्री राधा बहन/राधा भट्ट (समाजसेवा/ पर्यावरणविद्)-  जन्म- 16 अक्टूबर, 1934 कस्तूरबा गांधी नेशनल मेमोरियल ट्रस्ट की 9 वर्षाें 1998-2007 तक महासचिव। गाँधी पीस फाउंडेशन की अध्यक्ष (2006-2015) रहीं। 1957 से 1961 तक उत्तराखण्ड में चले भूदान आन्दोलन में सक्रिय भागीदारी रही। 1992 में जमुनालाल बजाज पुरस्कार से सम्मानित। सर्व सेवा संघ की भी अध्यक्ष रहीं।

भैरव दत्त पाण्डे (लोकसेवक)- 17 मार्च, 1917 को अल्मोड़ा के सिमल्टा ग्राम में जन्म।    2 अप्रैल, 2009 में निधन। उत्तराखण्ड से प्रथम ICS थे। (1938) (कुमाऊँ से प्रथम IAS राजा राय सिंह और गढ़वाल से बी.डी.जुयाल थे।) राज्य से प्रथम व्यक्ति जो कैबिनेट सचिव बने। वर्ष 2000 में पद्म विभुषण से सम्मानित हुए। 1986 में उत्तराखण्ड सेवा निधि का निर्माण किया।

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