महात्मा गांधी की उत्तराखण्ड यात्रायें

 महात्मा गांधी की उत्तराखण्ड यात्रायें


हरिद्वार यात्रा

6 अप्रैल, 1915 को गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार में महात्मा मुंशीराम से भेंट की। 7 अप्रैल को ऋषिकेश लक्ष्मण झूला और स्वर्गाश्रम की यात्रा की। 8 अप्रैल को गुरुकुल कांगड़ी के ब्रह्मचारियों ने स्वागत किया। 18 मार्च, 1916 गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार में अछूताद्धार सम्मेलन में भाषण दिया।  20 मार्च गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार के वार्षिकोत्सव में भाषण दिया। 22 मार्च तक हरिद्वार में रहे।  मध्य मार्च, 1927 गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार की रजत जयंती समारोह में भाग लिया।


देहरादून यात्रा

प्रथम बार सितम्बर, 1929 में आये तब शहंशाही आश्रम के सामने पीपल वृक्ष रोपित किया था। दूसरी बार मई, 1946 में मसूरी आये थे।


प्रथम कुमाऊँ यात्रा(14 जून, से 4 जुलाई, 1929)

14 जून, 1929 हल्द्वानी और तालुका में सभाएं की व नैनीताल पहंुचे। 15 जून, 1929 नैनीताल में महिलाओं की सभा में भाषण दिया तथा भवाली में सभा की।  16 जून, 1929 को ताड़ीखेत में प्रेम विद्यालय के वार्षिक समारोह में शामिल हुए। 20 जून को अल्मोड़ा में भाषण, 27 जून को कौसानी के लिए गये। 27 जून, 1929 को अनाशक्ति योग को पूरा किया और उसकी प्रस्तावना लिखी।


द्वितीय कुमाऊँ यात्रा(18 मई, से 23 मई, 1931)

18 मई नैनीताल आगमन। मैल्कम हेली से चर्चा की। विभिन्न क्रियाकलापों के बाद 23 मई को बारदोली के लिए प्रस्थान किया।


 महात्मा गांधी की कुमाउं यात्रा पुस्तक के लेखक देवेन्द्र उपाध्याय है।

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