रानीखेत परीक्षा के दृष्टिगत सभी तथ्य

रानीखेत  

        1869 में आधुनिक रानीखेत (छावनी) की स्थापना हुई। कत्यूरी राजा सुधारदेव की रानी पद्मिनी का रमणीय स्थल जिसके नाम पर रानीखेत का नामकरण हुआ। भौगौलिक आधार पर ताड़ीखेत एवं चैबटिया दो हिल स्टेशनों के रुप में बंटा है। तीड़ीखेत जलप्रपात भी प्रसिद्ध है। रानीखेत का प्राचीन नाम झूलादेव था। कुमाऊं रेजीमेंट का मुख्यालय व संग्रहालय(1970) है।  इसे पर्यटकों की नगरी के नाम से जाना जाता है। जानकारी हो कि इसे प्रारम्भ में शिमला की जगह भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया जाना तय किया गया था पर यह सम्भव न हो सका। रानीखेत में जरूरी बाजार है जो इसका ये विचित्र नाम ब्रिटिशकाल में मिला।  स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 के अनुसार रानीखेत दिल्ली और अल्मोड़ा छावनियों के बाद भारत की तीसरी सबसे स्वच्छ छावनी है।

रानीखेत जिला आंदोलन

                भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही अल्मोड़ा जिले को बांटकर अलग रानीखेत जिला बनाने की मांग उठती रही है। 1960 के दशक से ही रानीखेत जिले के लिए आंदोलन शुरू हो गए थे. 1987 में उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अध्यक्ष वैंकट रमानी की समिति ने जिले की संस्तुति की और फिर इसके 2 वर्ष बाद 1989  में आठवें वित्त आयोग ने जिले को वित्तीय मंजूरी भी प्रदान कर दी। इसके बाद भी जब जिले का गठन नहीं हुआ, तो 1993-94 में फिर एक आंदोलन शुरू हो गया, जिसके बाद यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने पहल की, और रानीखेत में सीओ तथा एडीएम की नियुक्ति की गई, परन्तु बाद में एडीएम को हटा दिया गया।  

2004-05 में फिर से लोग जिले की मांग को लेकर आंदोलनरत हुए। 2007 में प्रशासन ने राज्य सरकार को रानीखेत जिले का आधिकारिक प्रस्ताव भेज। इस प्रस्ताव के अनुसार रानीखेत जिले में छह ब्लॉक, पांच तहसीलें, 1309 राजस्व गांव, 59 न्याय पंचायतें तथा 120 पटवारी क्षेत्र शामिल किए गए थे।  प्रस्तावित जिले का क्षेत्रफल 13735.740 हेक्टेयर था। 2010 में भी अधिवक्ताओं के नेतृत्व में एक बड़ा जन आंदोलन हुआ। आठ महीने तक चले इस आंदोलन के बाद 2011 में उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल ने अल्मोड़ा जिले की रानीखेतसल्ट,  भिकियासैण, द्वाराहाट और  तहसीलों से रानीखेत जिले की घोषणा की थी, परन्तु गजट नोटिफिकेशन जारी न होने के कारण जिला अस्तित्व में नहीं आया। वर्ष 2012  के विधानसभा चुनावों के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

प्रमुख  आकर्षण

गोल्फ मैदान- गगास नदी (गर्गमुनि का आश्रम था अतः गगास नाम पड़ा) के तट पर गोल्फ मैदान है जिसका स्थानीय नाम उपट है। गगास की सहायक नदियां भैडारो व रिसकोई है। गोल्फ मैदान का निर्माण 1920 में हुआ।

भालू डैम- 1903 में बनाया गया कृत्रिम डैम। इसे स्वर्णलता ताल भी कहा जाता है।

चौबटिया- फलोद्यान का स्वर्ग कहा जाता है। यहां सरकारी उद्यान का निर्माण 1860 में किया गया. यहां सेवन स्टोन नामक सनसेट प्वाइंट प्रसिद्ध है। फल संरक्षण एवं शोध केन्द्र स्थापित है। 1830-56 के मध्य मिस्टर ट्रपू द्वारा चैबटिया में चाय बगीचा लगाया। 


झूला देवी मंदिर- वर्तमान मंदिर 1935 में बना। यहां दुर्गादेवी एवं भगवान राम का मंदिर है।

बाबा हैड़ाखान मंदिर- शिव को समर्पित मंदिर है।

ताड़ीखेत - 1920 में गांधीजी यहां आये थे। यहां गांधी कुटिया स्थित है। यहां ड्रग फैक्ट्री है। गोलू देवता का मंदिर भी है। यहां मनकामेश्वर मंदिर, शीतलाखेत मंदिर, मनीला, नागदेव ताल, चिलियानौला एवं रानी झील भी दर्शनीय स्थल है। 


सैंट ब्रिजेट चर्च-  सैंट ब्रिजेट चर्च रानीखेत नगर का सबसे पुराना चर्च है।

कुमाऊँ रेजिमेंटल सेंटरकुमाऊँ रेजिमेंटल सेंटर (केआरसी) कुमाऊँ तथा नागा रेजिमेंट द्वारा संचालित एक म्यूजियम है। यहाँ विभिन्न युद्धों में पकडे गए अस्त्र तथा ध्वज प्रदर्शन करने के लिए रखे गए हैं। इसके अतिरिक्त म्यूजियम में ऑपरेशन पवन के समय पकड़ी गयी LTTE की एक नाव भी है।

आशियाना पार्क


आशियाना पार्क रानीखेत नगर के मध्य में स्थित है। कुमाऊँ रेजिमेंट द्वारा निर्मित और विकसित इस पार्क में बच्चों के लिए विशेषकर जंगल थीम स्थित है।

मनकामेश्वर मंदिरयह मंदिर कुमाऊँ रेजिमेंट के नर सिंह मैदान से संलग्न है। मंदिर के सामने एक गुरुद्वारा, तथा एक शाल की फैक्ट्री है।

रानी झीलरानी झील नर सिंह मैदान के समीप वीर नारी आवास के नीचे स्थित है। इस झील में नौकायन की सुविधा उपलब्ध है।

बिनसर महादेवबिनसर महादेव भगवन शिव को समर्पित एक मंदिर है। मंदिर के समीप बहती एक गाड़ विहंगम दृश्य प्रस्तुत करती है। मंदिर के पास देवदार तथा चीड़ के जंगलों के मध्य स्थित एक आश्रम भी है।

मजखाली- मजखाली अल्मोड़ा-रानीखेत रोड पर रानीखेत से 12 किमी दूर स्थित एक पिकनिक स्थल है। यहां से बागेश्वर  में स्थित त्रिशुल पर्वतके दृश्य देखे जा सकते हैं। 

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