बाईस जतकाव


बाइस जतकाव माने 22 बार सन्तान उत्पत्ति होना। उत्तराखण्डी समाज में कुछ विचित्र की सामाजिक प्रथाएँ भी देखने को मिलती हैं, जैसे - यदि किसी महिला की एक ही पति से 22 संतानें (बाईस जतकाव) पैदा होती हैं तो उस महिला का अपने पति के साथ मकान के छत की धुरी (दोनों ओर की ढालू छत का मिलन बिन्दु) में उनका पुनर्विवाह किया जाता था। जोहार की भोटिया जनजाति में यह पुनर्विवाह 20 संतानोत्पत्ति के बाद होता था। इसी तरह यदि किसी व्यक्ति को मृत समझकर उसकी वैतरणी (कालदान) कर दी गई हो और वह चेतनावस्था में लौटकर पुनः जीवित हो जाय या किसी की मृत्यु की सूचना के आधार पर उसका अंत्येष्टि संस्कार सम्पन्न कर दिया गया हो, लेकिन वह पुनः प्रकट हो जाय तो ऐसे व्यक्ति के नामकरण से लेकर विवाह तक के सभी संस्कार पुनः सम्पन्न करने पड़ते हैं, तभी उसे घर-परिवार के सदस्यों में सम्मिलित किया जा सकता है।

डॉ. शेर सिंह बिष्ट जी की पुस्तक कुमाऊँ हिमालय समाज एवं संस्कृति का एक अंश.

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