अल्मोड़ा जेल एक छोटी झलक

    अंगे्रजों के आगमन के साथ ही कानून व्यवस्था का नवसृजन कुमाऊँ क्षेत्र में देखने को मिलती है। जिसका प्रथम उदाहरण है 1816 में स्थापित अल्मोड़ा जेल, जो वर्तमान जिला चिकित्सालय परिसर में थी। 1822 में इसे हिराडुंगरी स्थानान्तरित किया गया। जगह कम पड़ने के कारण 1855 में दूसरी जेल बनाई गई। वर्तमान स्थान पर जो जेल है उसे 1872 में बनाया गया। इसी जेल में नेहरु ने डिस्कवरी आफ इण्डिया लिखना प्रारम्भ किया था।


    अल्मोड़ा की जिला जेल आजादी के इतिहास से जुडी हुई है, यह अंग्रेज़ो के ज़ुल्म की गवाह रही है, यहाँ आज़ादी के दीवानों में जननायक पं. जवाहर लाल नेहरू, भारत रत्न गोविन्द बल्लभ पंत, फ्रन्टियर गांधी खान अब्दुल गप्फार खान, हर गोविन्द्र पंत, विक्टर मोहन जोशी,बद्रीदत्त पांडये,प. हरगोबिन्द पंत,सुश्री सरला बहन,आचार्य नरेंद्र देव,चन्द्र सिंह गढ़वाली,कामरेड पूर्ण चंद जोशी, गोबिंद चरणकर, मोहन लाल साह,दुर्गा सिंह रावत सहित अनेक स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों ने इस ऐतिहासिक जेल की काल कोठरियों में गुज़ारे है। यहाँ महिला स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी रखा गया था।

इस जेल में निम्न महापुरुष रखे गए है-

पंडित जवाहर लाल नेहरू दो बार जेल में रहे है।
           ◆एक बार 28 अक्टूबर, 1934 से 3 सितम्बर, 1935 तक।
           ◆दूसरी बार 10 जून, 1945 से 15 जून, 1945 तक।

खान अब्दुल गफ्फार खान
           ◆4 जून, 1936 से 1 अगस्त, 1936 तक।

गोविंद बल्लभ पंत
           ◆28 नवंबर, 1940 से 17 अक्टूबर, 1941 तक।


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