निजी क्षेत्र की जल विद्युत परियोजनाएं
उत्तराखण्ड में
राज्य गठन के बाद 29 जनवरी, 2008 को ऊर्जा
नीति बनायी गयी। उत्तराखण्ड में
तीन प्रकार की जल विद्युत परियोजनाएं संचालित है-
1. केन्द्र
द्वारा वित्त पोषित योजनाएं
2. राज्य द्वारा
वित्त पोषित योजनाएं
3. निजी क्षेत्र
की परियोजनाएं
आज हम लोग तीसरे
प्रकार की परियोजनाओं को पढ़ने वाले हैं।
निजी क्षेत्र की
कार्यरत परियोजनायें
विष्णुप्रयाग परियोजना- 400 मेगावाट की यह परियोजना जय प्रकाश वेन्चर एसोसिएट कंपनी द्वारा विष्णुप्रयाग में इस परियोजना का निर्माण किया गया है।
श्रीनगर परियोजना- 330 मेगावाट क्षमता वाली यह परियोजना अलकनन्दा नदी पर श्रीनगर के निकट निर्मित की गई है। यह परियोजना 1985 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्वीकृत की गई थी। यह परियोजना मई, 2006 में हैदराबाद की जीवीके पाॅवर एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी द्वारा शुरू की गई। इस परियोजना से 12 प्रतिशत उत्तराखण्ड जबकि उत्तर प्रदेश को 88 प्रतिशत बिजली का लाभ होगा। इसी बांध में धारी देवी का मंदिर भी निर्मित किया गया है।
बद्रीनाथ परियोजना- 140 मेगावाट की यह जल विद्युत परियोजना चमोली में बद्रीनाथ के निकट जी0एम0आर0 एनर्जी कंपनी द्वारा किया जा रहा है।
मापांग बोगुड्यार परियोजना- 200 मेगावाट की यह परियोजना पिथौरागढ़ में गौरी नदी में निर्माणाधीन है।
हनोल त्यूनी परियोजना- 50 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना जो उत्तरकाशी की टोंस नदी पर है।
सिंगोली भटवाड़ी परियोजना- रुद्रप्रयाग के उखीमठ में मंदाकिनी नदी पर 60 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना है। इस परियोजना के विरोध में मंदाकिनी बचाओ भीरी आन्दोलन भी शुरू हुआ था। मंदाकिनी बचाओ मंच तथा उत्तराखण्ड जन कारवां मंच जैसे संगठनों का सृजन भी इसी परियोजना के विरोध में शुरू हुए थे। यह परियोजना एल0 एण्ड टी0 कम्पनी के जिम्मे हैं।
मोरी हनोल परियोजना- 63 मेगावाट क्षमता वाली यह परियोजना टोंस नदी पर कृष्णा निट वियर कम्पनी द्वारा निर्मित है।
उर्थिंग सोबला परियोजना- 280 मेगावाट वाली निर्माणाधीन परियोजना जो धौलीगंगा, पिथौरागढ़ में रिलायंस एनर्जी लि0 कम्पनी के अधीन है।
मेलखेत परियोजना- 56 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना चमोली में मेलखेत पाॅवर प्राइवेट लिमिटेड द्वारा कराया जा रहा है।
बगोली डैम- चमोली में कर्णप्रयाग में पिंडर नदी में पाडली नामक स्थान पर स्थित है। इसे पाडली डैम परियोजना भी कहते है।
सयाना चट्टी गंगनानी परियोजना- 45 मेगावाट क्षमता वाली परियोजना जो बड़कोट के निकट यमुना में है। इसके निकट ही बड़कोट कुआ परियोेजना भी संचालित है।
सेराघाट डैम- सरयू नदी में पिथौरागढ़ में स्थित है।
कालिका दंतु परियोजना- 230 मेगावाट क्षमता वाली रन आॅफ द रिवर परियोजना पिथौरागढ़ में काली नदी में निर्माणाधीन है।
बताएं इसे आगे बढ़ाया जाय अथवा इतना हीे ठीक है?
आगे बढ़ाया जाए गुरुजी🙏
जवाब देंहटाएं👍
जवाब देंहटाएंBilkul age bdaya jay
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