ऐपण कि विविध रूप
धार्मिक या सांस्कृतिक दृष्टि से ऐपण कला विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों एवं पर्वोत्सों तथा शुभ कार्यों विवाह इत्यादि में घरों की देहरियों, प्रांगणों एवं पूजा स्थलों पर विभिन्न प्रकार के मांगलिक प्रतीकों का अभिलेखन अथवा रेखांकन सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति का सार्वभौम हिस्सा रहा है जैसे कि- बंगाल में अल्पना महाराष्ट्र में रंगोली गुजरात में सतिया बिहार अरियन/अइपन ओड़िसा में ओसा उत्तर प्रदेश में सांझी व चौक पुरना राजस्थान में मांडणा केरल में ओड़म आन्ध्र प्रदेश में मुग्गुल ये सभी इसी संस्कृति का प्रतीक है। उत्तराखण्ड में ऐपण भी इसी का अंग है। सम्भव है कि विष्णु धर्मोत्तर पुराण के 64 आलेख्यीय कलाओं में सात ग्रहों के अंकन हेतु जिस ‘अइपण’ कला का वर्णन है वही ऐपण है। विहार में उसी रूप में जबकि बंगाल में अल्पना जैसे साम्य नाम से इस कला का प्रचलन है। आज तो विभिन्न केमिकल से बने पेंट अथवा रंगों का उपयोग ऐपण बनाने हेतु किया जाने लगा है किन्तु पारम्परिक ऐपण बनाने हेतु गेरू, बिस्वार, मिट्टी/गोबर का लेपन के साथ ही विशिष्ट प्रकार की सफेद मिट्टी जिसे कमेड़ कहा जाता है का उपयोग किया जाता है। बिस्वार भी